RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
. मैं आगे चलते गया और बंगले के पास पहुचा, काँच की खिड़की जिसपे अंदर से परदा लगा हुआ था, खिड़की की उँचाई ज़्यादा नही थी पर आजूबाजू बहुत सारी झाड़ियाँ थी इसलिए खिड़की तक पहुच पाना थोड़ा मुश्किल लग रहा था तब भी मैं वहाँ पहुचने की कोशिश करने लगा जैसे ही मैं नज़दीक जाने लगा मुझे कुछ आवाज़े सुनाई देने लगी और जैसे कि मैने पहले वकील बाबू के बेटी की आवाज़ सुनी थी ये आवाज़ उससे जानी पहचानी लग रही थी... थोड़ी ही देर मे झाड़ियो के बीच मेसे मैं उस खिड़की के पास पहुचने मे कामयाब हो गया जैसे ही मैं उधर पहुचा मुझे सेठानी की जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी और ऐसा लग रहा था कि जो पंडित पूजा से निकला था वो भी यहाँ मौजूद है...मैने अभी धीरे से जिस बाजू से परदा थोड़ा उपर उठा रखा था उस बाजू से अंदर देखा. अंदर तो आश्चर्या चकित करने वाला द्रिश्य दिखाई दिया, मैं तो देख के दंग रह गया, सेठानी पूरी नंगी बैठी थी, वकील बाबू की लड़की के कपड़े पंडितजी एक हाथ से निकल रहे थे वकील बाबू की बेटी की चुचिया एक दम गोलाकार, अपने यौवन मे आने के लिए और चूसने के लिए तरस रही थी, उन चुचियो को देख के ऐसा लग रहा था जैसे मैं इस पंडित का खून करके उनको अभी पीने के लिए चला जाउ…. जबसे मैं गाव मे आया था ये मैं तीसरी चुदाई देख रहा था और मेरे लंड को अभी किसिका हाथ भी नही लगा था… पंडितजी शरीर से बहुत ही मजबूत और मोटे और निंगोरे थे, उन्होने नीचे धोती पहनी थी और उपर कुछ भी नही… पेट पे सफेद गन्ध की रेखाए….सर पे थोडेसे बाल, दूध दही खाने से बने मदमस्त ताकतवर बाजू और छाती… कोई भी उनकी इस देह पे फिदा हो जाता…. पंडित धीरे धीरे वकील बाबू की लड़की के कपड़े उतार रहा था, अभी उसे पूरा नंगा किया और उसे खड़ा होने को बोला, वो नीचे मुँह करके खड़ी हो गयी, फिर पंडित ने अपनी धोती उपर खीची और अपना क़ाला-पुष्तिला लंड बाहर निकाल के लड़की का एक हाथ पकड़ के, उसमे दे दिया…. लंड इतना मोटा था कि जैसे कोई कुल्हड़ हो, उसका सूपड़ा और भी मोटा था… पंडितजी का लंड रावसाब के लंड को ज़रूर टक्कर दे रहा था.. वकील बाबू के लड़कीनेजैसे ही लंड हाथ मे लिया वैसे ही उसे कुछ चिपचिपा सा द्रव हाथ मे लगा उसके कारण उसने लंड छोड़ दिया…. ये देख के सेठानी बोली “अरे डरो नही कुछ नही होता वो तो तीर्थाप्रसाद है …पंडितजी ये तीर्थाप्रसाद बस कुछ भक्तो ही देते है ..तुम भी लेलो…… ऐसा करो यहा मेरी गोद मे बैठ जाओ… और मुँह मे तीर्थ प्रसाद लो….” सेठानी नीचे बैठ गयी और वकील बाबू की लड़की उनकी गोद मे बैठ गयी, पंडितजी ने धोती उपर एक हाथ से पकड़ के, एक हाथ मे लंड पकड़ के वकील बाबू की लड़की के मुँह मे घुसाया, वैसेही उसने मुँह पीछे किया और लंड बाहर निकाल दिया. सेठानी बोली “भगवान का प्रसाद है ..ऐसे नही करते अभी फिरसे ऐसा मत करना…पहले थोड़ा नमकीन लगेगा पर बाद मे मस्त लगेगा….. ” और फिर पंडितजी ने लड़की के मुँह मे अपना लंड घुसा दिया और इस बार पंडितजी ने चालाकी से उसका सर पकड़ कर लंड की तरफ दबा दिया, और उधर सेठानी ने गोद मे बैठे बैठे लड़की की नौजवान बुर मे उंगली डालना शुरू की……
मुँह मे गधे लंड के वजह से वकील बाबू की लड़की की साँसे रुक सी गयी थी. पंडितजी मुँह मे लंड घुसाए जा रहे थे. उधर नीचे सेठानी उंगलियो का न्रत्य करके उसकी बुर को नचा रही थी. पंडितजी ने लंड अभी थोड़ा बाहर निकाला और सेठानी के मुँह मे भर दिया, सेठानी ने लड़की को गोद से उठा के पलंग पे बिठाया, पंडितजी की धोती के कारण मुझे सेठानी के मुँह के अंदर जा रहा लंड नही दिख रहा था , सेठानी के मुँह मे पंडित लंड घुसा रहे थे और मुँह अपनी ओर खिच रहे थे. सेठानी के मुँह से चिपचिपा पानी निकल रहा था, पंडितजी ने अभी लंड फिरसे बाहर निकाला और मेरे तरफ मुँह करके पलंग पे बैठी लड़की के मुँह मे घुसाया और बाहर निकाला, सेठानी को बुला के लंड पे थूकने को बोला… सेठानी लंड पे थूकने लगी, और थूक से लंड को पूरा गीला कर दिया, पलंग पे सब थूक गिरने लगी… अब पंडितजी ने फिरसे लंड लड़की के मुँह मे घुसाया… वो नही नही बोलने लगी पर सेठानी ने “कुछ नही होता बेटा ये अच्छा है …तुम्हे अच्छा लगेगा” कहके उसका मुँह खुलवाके घुसवा ही दिया लंड मुँह मे…. फिर पंडितजी ने लड़की के मुँह के अंदर ज़ोर्से धक्के मारना शुरू किया… उससे लड़की की साँसे फिरसे फूलने लगी और वो थोड़ा थोड़ा प्रतिकार करने लगी पर पंडित लंड अंदर घुसाए ही जा रहे थे…. अब सेठानीने पंडितजी की टाँगो बीच से आके पंडितजी की काली मोटी तंगी हुई गोतिया मुँह मे ले ली और उनको लॉलिपोप की तरह चूसने लगी, चुसते चुसते मुँह से थूक बाहर निकल के फिरसे गटकने लगी… पंडितजी इस क्रिया से बहुत ही ज़्यादा गरम हो गये होते भी क्यू नही उनके सामने एक ऐसी मदहोश लड़की थी जिसका बदन कूट कूट के यौवन से भरा था और एक ऐसी देवी थी जिसने काम क्रीड़ा के सभी प्रकारो की बक्शी प्राप्त की थी… सेठानी के मुँह से टपकती लार सीधे जाके वकील बाबू की लड़की के पेट और घुटनो पे गिर रही थी…. सेठानी ने अभी तक एक ही काली गोटी मुँह मे ली थी पर ये क्या अब मैने देखा तो सेठानी ने पाड़ितजी की दोनो गोतिया मुँह मे भर ली और ज़ोर ज़ोर्से उनका रस चूसने लगी…
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