RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--11
गतान्क से आगे......
जब हम लोग उतरे तो मैने देखा, मंदिर बहुत ही भव्य दिव्य और पुराना
मालूम हो रहा था, जिसे देख के सच मे पूजा के अंतर्भाव आ रहे
थे, लगभग 2 एकर के क्षेत्र मे मंदिर फैला था बाजू मे बाथरूम और कई सारी व्यवस्थाए थी,
जैसे ही हम सब उतरे तो चार पाँच लोग भागते चले आए, इससे पताचल
रहा था कि सेठ जी कोई हल्के ज़मींदार नही बल्कि बहुत बड़े ज़मींदार है.
सब लोग और जिनमे 4-5 घर की लड़किया, 4 बहुए,
सेठानी और 2 नौकरानी थी, गांद मटकाते हुए मंदिर की तरफ जाने लगी
इन सब को देख के मुझे स्वर्ग मे आने के
भाव मंन मे आ रहे थे, ऐसा लग रहा था कि अभी पूरी जिंदगी ना मुझे
पाने की ज़रूरत है और नही कुछ करनेकी, सभी महिलाए मंदिर
मे घुस गयी, उनके पीछे सेठ जी भी मंदिर मे चले गये
मैं थोडा पीछे था, तब मैने देखा कि रावसाब, वकील बाबू और
कॉंट्रॅक्टर बाबू बाथरूम की तरफ जा रहे थे, क्यू नही जाएँगे हालत तो उनकी बहुत पतली थी,
कॉंट्रॅक्टर बाबू के चेहरे से लग रहा था कि बहुत ही लाल हो चुके थे
आख़िर केएलपीडी हो गया तो कौन नही भड़केग़ा
थोड़ी देर इधर उधर का अंदाज़ा लेते हुए मैं भी मंदिर मे आ गया,
देखा तो उधर बड़ी सी हवनबेदी बनी हुई थी जिसपे
शुभ हवन श्रिशुक्त हवन, शुभ हवन पुरुष शुक्ता हवन, शुभहवन रुद्रा शुक्ता हवन ऐसे शब्द लिखे
हुए थे, हवन बेदी के बाजू मे 4 बड़े पेट वाले जो बहुत ही उच्च शिक्षित दिख रहे थे वो
बैठे हुए थे और पूजा शुरू करने की तैय्यारि कर रहे थे,
तभी मेरे आँखो के सामने कुछ चमका, अगले पल मैने देखा पूजारी के
शिष्य शिष्या पूजा के लिए मदिर मे चले आ रहे थे
पुरुष शिष्य गन पूजारियो के आजूबाजू बैठ गये जो हम सब के सामने
बैठे थे, एक बाजू मे सभी महिलाए बैठ गयी और एक बाजू मे पुरुषो के लिए जगह रखी थी
पुरुष तो ज़्यादा कोई थे नही इसलिए सेठ जी ने जो 4-5 महिला शिष्या बची थी उनको पुरुषो
के साइड वाली जगह मे बैठने को बोला चित्र कुछ इस प्रकार था....
पुरुष शिष्य
चार पूजारी
[हवन1] [हवन2] [हवन3] [हवन4]
घर की महिला | घर के पुरुष
घर की महिला | महिला शिष्या
घर की महिला | घर के पुरुष
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अभी सेठ जी और 3 नौकर और 2-3 तीन जने
पहचान वाले लोग तीसरे और चौथे हवन के सामने बैठे थे, महिला शिष्य को जगह ना
होने के कारण सेठ जी ने उन्हे पुरुषो के साइड मे अपने पीछे बिठा दिया,
और वो भी पीछे आके बैठ गया, मैं पीछे खड़े ये सब देख रहा था, मेरा हाल
गाड़ी मे देखी चुदाई को देख के बहुत ही बुरा हो गया था अभी मुझे तो
कुछ गरम करनेवाली चीज़ मेरे आजूबाजू चाहिए थी. तो मैं उन 4-5 महिला
शिष्य के पीछे आके बैठ गया, उन्होने भगवे रंग की साडी पहेनी हुई थी, पर इन साड़ी मे कुछ
बात थी, बहुत ही पतली मालूम हो रही थी ये सब साडी, सभी की सभी
महिला शिष्य एक दम गोरी और घरेलू लग रही थी, लग रहा था कि इन पूजारियो ने चुन
चुन के माल लिया है...
उनकी साडी की पीठ कुछ ज़्यादा ही खुली थी, उन्होने गजरे लगाए थे,
उसकी वजह से उनके शरीर से एक मादक महेक निकल रही थी
ऐसे लग रहा था कि कोई सुंदर गुलाबों के उपवन मे टहल रहे हो, उनके
बाल भी बहुत ही सुंदर और अति लंबे थे जो उनकी गांद के नीचे तक लटक रहे थे....
तभी मैने देखा तो रावसाब, वकील बाबू और
कॉंट्रॅक्टर बाबू मंदिर मे आ गये और मेरे बाजू मे आके बैठ गये और आगे बैठी
महिला शिष्या को देख के दंग रह गये, उन सबकी आँखे फिरसे चमकने
लगी. मैने कॉंट्रॅक्टर बाबू को कहते हुए सुना "क्या माल है यार...ये मिल
जाए चोदने को मज़ा आ जाए..." इस पर रावसाब और वकील बाबू ज़ोर्से हस
पड़े और एक दूसरे को आँख मार के इशारा करने लगे तभी एक पुरुष शिष्य मेरे बाजू मे आके
बैठ गया. मैने उसे पूछा कि ये पूजा कब तक चलेगी तो उसने बोला कि ये पूजा नये बालक
के जनम की है और उसे अगले जीवन मे कोई बाधा ना आए इसलिए इसमे
बहुत सारे देवताओ की शांति करनी पड़ती है और ये पूजा लगभग
1.30 घंटे तक चलेगी... उसी वक़्त एक और
शिष्य नवजात बालक को कपड़े मे लेके आया और उसे हवन से थोड़ी दूर बनी
एक बड़ी उची जगह पे रख दिया...फिर एक पूजारी ने ज़ोर से ज़ोर्से मन्त्र
पढ़ना शुरू कर दिए, सब लोग हाथ जोड़कर बैठ गये.... फिर दूसरे पंडित ने भी मन्त्र बोलना शुरू कर
दिए...ऐसे करते करते पूजा शुरू हो गयी परंतु रावसाब, वकील बाबू और कॉंट्रॅक्टर बाबू
का मंन पूजा मे था ही नही उनका मंन तो सामने बैठी अपनी भारी और
गोरी पीठ दिखाती महिला शिष्याओ पे था..... और सच बोलू मेरा भी .........
पूजरी ने मन्त्र शुरू किए, और पूजा शुरू हो गयी… एक एक करके देवताओ की पूजा और शांति हो रही थी… सब लोग बड़े शांत चित्त से हवन की तरफ देख रहे थे…. बड़ी उँची जगह पे रखा बच्चा उसके छोटे पालने मे से इधर उधर देख रहा था…. रात बहुत हो चुकी थी और कुछ लोग तो आधी नींद मे लग रहे थे. घर की महिलाए और सेठ जी और सामने बैठे कुछ नौकर दुलकिया मारते हुए दिख रहे थे…
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