RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब कॉंट्रॅक्टर बाबू जो कद मे वकील बाबू से दुगने थे और रावसाब के बराबर दिखते थे, वो बहुत ही ज़्यादा गरम हो गये थे, उन्होने वकील बाबू की बेटी की चूत मे उंगली डाल दी. चुदाई की वजह से उसकी चूत बहुत आकर्षक और गुलाबी हो गयी थी. कॉंट्रॅक्टर बाबू वकील बाबू की बेटी की चूत की फाके खीच रहे थे फिर उंगलिया अंदर डाल रहे थे, वकील बाबू की बेटी मुँह उपर नीचे कर रही थी पर इससे ज़्यादा, उससे हो नही पा रहा था… उसका विरोध एक चीटी के बराबर का लग रहा था. उधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू की बेटी के चूत के बाल, जो मुलायम और छोटे छोटे थे, चूत से उंगली निकाल के, खिचने शुरू कर दिए ….. उन्हे इससे बहुत ही मज़ा आ रहा था…
इधर रावसाब ने वकील बाबू के बेटी के भरे फूले आम जिनके उपर, लाल –लाल और छोटे निपल्स थे, उन निपल्स को ज़ोर्से निचोड़ा, तो वैसेही वो कराह उठी, रावसाब इस खेल के बहुत पुराने खिलाड़ी मालूम हो रहे थे, मैं अपना मुँह नीचे करके बैठा था लगभग 1.30 घंटे से, मेरे मन मे दर्द होने लगा था, उसी समय रावसाब ने वकील बाबू की बेटी की कामीज़ से हाथ निकाल के कमीज़ नीचे से नाभि तक उपर उठाई और नाभि मे अपनी एक बड़ी मज़ली उंगली डाल दी और उस बड़ी उंगली को ज़ोर्से घुमाने लगे, वैसे ही वो और ज़ोर्से कराह उठी….
खिड़की मे बैठे वकील बाबू अभी अपनी बेटी की चुदाई देख के खुश लग रहे थे, क्यूँ कि उनका काला घोड़ा फिरसे खड़ा हो गया था ...उनका काला घोड़ा जिसपे अभी भी बाजू बाजू मे गाढ़ा चिपचिपा वीर्य और बेटी के कमनीय चूत का मादक रस लगा था.... वकील बाबू ने अपनी बेटी का कोमल हाथ पकड़ा और चुपके से अपने काले घोड़े के सूपदे पे रख दिया और अपने हाथ से उसके हाथ को जो काले गहरे रंग के सूपदे पर था, उसे उपर नीचे करने लागे, वकील बाबू की बेटी अपने बाप के लंड की काली चमड़ी खुद अपने हाथोसे उपर नीचे कर रही थी….
अब वकील बाबू ने बेटी की चूत पर हाथ रखना चाहा वैसे ही उन्हे उस जगह पे कंटॅकटर बाबू का हाथ महसूस हुआ, उन्होने उसका हाथ और उंगलिया झटके से निकाल दी, और अपने बेटी की चिकनी गीली चट के अंदर जो गधे जैसे लंड की चुदाई से फूली हुई थी उसमे डाल दी और अंदर बाहर करने लागे, इससे वकील बाबू के बेटी का हाल बहुत बुरा होने लगा और उसकी चूत जो अब तक 4-5 बार पानी छोड़ चुकी थी, फिरसे पानी छोड़ने लगी….
इधर मेरे बाजू मे बैठे कॉंट्रॅक्टर का गहरा काले-लाल रंग के सुपादे के छेद से हल्का हल्का वीर्य के पहले का पानी छोड़ रहा था….. उनके सूपदे का आकर लगभग गधे के सूपदे से ज़रूर मिलता होगा…मैने जिंदगी मे पहली बार इतना बड़ा सूपड़ा देखा… मैं सोच मे पड़ गया… इनका सूपड़ा ही इतना बड़ा है तो पूरा लंड कितना बड़ा होगा और अगर ये लंड इस बेचारी की चूत मे अगर गया तो वो तो ज़रूर बेहोश हो जाएगी..
मैने कब्से सेठानी का निपल अपने एक हाथ मे दबोच रखा था, और अपने नखुनो से उसे तडपा रहा था, सेठानी की साँसे इस वजह से काफ़ी तेज़ चल रही थी.. पर वो अपने पे काबू पाने की पूरी कोशिश कर रही थी … क्यू कि उसे पता था ये बात अगर सेठ जी को पता चल गयी तो उसकी और मेरी खैर नही…. मैने अपना हाथ सेठानी के पीठ के उपर्से से निकाल के पीठ मे डाल दिया… वैसे ही मुझे सेठानी के घने बालो ने इशारा किया मैने 10-15 बॉल हाथ मे पकड़े और उन्हे सहलाने लगा और बीच मे ही ज़ोर्से खिचने लगा इससे सेठानी की और पतली होने लगी वो चरम सीमा के द्वार पे पहुच रही थी.
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