RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--10
गतान्क से आगे......
मैने देखा तो रावसाब ने वकील बाबू की लड़की को उपर उठाया और उसकी चढ्ढि बाहर निकाल के पॅंटी भी निकाल दी… कांट्रेक्टर बाबू ने चुपके से पॅंटी अपनी पॉकेट मे रख दी, और रावसाब ने फिरसे उसको चढ्ढि पहेना दी. अभी उनका लंड अंदर जानेके लिए कोई प्राब्लम नही थी क्यूकी अभी पॅंटी की मुसीबत बीच मे नही थी.
फिर उन्होने वकील बाबू के बेटी के चुचिया ज़ोर्से दबाई और उसे थोड़ा उपर उठा दिया, जैसे ही उन्होने उसे उपर उठा दिया मुझे पता चल गया कि अभी तो वकील बाबू की बेटी की लगने वाली है क्यू कि रावसाब वकील बाबू से दो गुना तगड़े थे और मजबूत भी…. इसीलिए वकील बाबू की बेटी उनकी गोद मे बैठने से भाग रही होगी क्यू कि उसे पता होगा कि इधर वो अगर फस गयी तो फिर उसे कोई बचा नही सकता रावसाब से…
रावसाब ने उसे उपर उठाया और निशाना लगाके उसे नीचे दबाने लगे पर वो नीचे आने के लिए ज़्यादा ही विरोध करने लगी, तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबोच दिया वैसे ही उसके मुँह से “उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआ….” “उहह…….ईईईईई…….उूुुुउउ….ईईईईई…”
“उूुुुुुउउ….आअहह…..उहह….”
की आवाज़ बड़ी ही बारीक चीख खुद पे नियत्रन करते हुए निकली
मैं समझ गया था कि उसके लिए रावसाब का लंड सहन से बाहर था, तब भी वो ज़्यादा कुछ आवाज़ किया बिना खुद पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी.
अभी फिरसे रावसाब ने बड़ी हिम्मत करके उसे उपर उठाया और ज़ोर्से दबा के अपने लंड पे बिठा दिया, फिरसे थोड़ी आवाज़ आई ….अभी राव साब ने थोड़ा नीचे दबाना शुरू किया…. मैं ठीक से देख नही पा रहा था लेकिन ऐसे लग रहा था कि उसके पैर नियंत्रण से बाहर हिल रहे है. वो सिकुड रही थी…
अभी धक्को की गति बढ़ने के कारण वो और सिकुड़ने लगी …और रावसाब उसे उपर नीचे करने लगे…. उन्होने उसकी कमर अपने हाथ मे पकड़ के ज़ोर्से उसे उपर नीचे करने लागे और एक दम से “आहह….” की आवाज़ निकली और फिर गाड़ी मे शांति हो गयी…. वकील बाबू की बेटी की हालत काफ़ी पतली हो चुकी थी वो ठीक से हिल भी न्ही पा रही थी ….उसकी चूत से वीर्य की धारा गाड़ी की सीट पे गिर रही थी…उसमे कॉंट्रॅक्टर बाबू हाथ लगाके उस वीर्य के हाथ वकील बाबू की लड़की के मुँह मे डाल रहे थे…. वो इच्छा नही होते हुए भी अपना मुँह खोल के उनकी उंगलिया चूस रही थी…. मुझे तो लग रहा था कि ये गाड़ी से उतरने के बाद चल भी नही पाएगी......
मेरे एक हाथ मे सेठानी की चुचि थी…जो मैं ये दृश्य देख के ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था …एक दृश्य के बीच मे मैने दो बार शेतानी के निपल्स नाख़ून से दबा दिए जिसके कारण शेतानी हॅकीबॅक्की रह गयी परंतु गाड़ी मे होने के कारण वो कुछ नही कर पाई….
अभी 30 मिनट का रास्ता बाकी था……
|