RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे तक सरक गयी थी, और कॉंट्रॅक्टर बाबू अपने हाथ से अपने तंबू को रगड़ रहे थे. अचानक से आआआआआआअह……. की आवाज़ आई किसी ने ध्यान नही दिया, सबको लगा गाड़ी ने धक्का खा लिया इसलिए किसी के मुँह से निकली होगी परंतु वो आवाज़ वकील बाबू का लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर जाने के वजह से निकली थी… मुझे अभी थोड़ी थोड़ी बारीकी से आह… आह… की आवाज़ सुनाई देने लगी …. उधर रावसाब भी अपने तंबू को हिला रहे थे और वकील बाबू की बेटी की चुचियो को चुपके से सहला रहे थे.
तभी मैने देखा वकील बाबू ने ज़रा ज़ोर से धक्के मारना शुरू किया और अपनी बेटी को ज़ोर से उपर नीचे करने लगे. गाड़ी चले जा रही थी और वो अपनी बेटी को चोदे जा रहा था. ये देख के मैं बस पागल हो रहा था. मैने अपना एक हाथ आगे निकाल के सेठानी की चुचि को पकड़ लिया और मसलने लगा इससे सेठानी दंग रह गयी पर उसने मेरा हाथ हटाया नही बल्कि थोड़ा सा काँच की तरफ झुक के तिरछा हो गयी
इधर वकिलबाबू अपने धक्को मे बहुत ज़्यादा गति ला चुके थे जिसके कारण लड़की की बारीक आवाज़ आह …आह…. से उहह… उहह…मे बदल गयी वो बुरी तरह से दबी हुई थी और वकील बाबू फुल स्पीड मे अपना हथोडा उपर नीचे करके उसे नीचे की तरफ ज़ोर से दबा रहे थे. लड़की उपर उठने की कोशिश करती पर वकील बाबू उसे नीचे दबा देते. मुझे लग रहा था कि वकील बाबू का लंड उसके लिए ज़रा जायदा ही बड़ा था क्यू कि जैसे ही वो नीचे जाती वो उपर उठने की कोशिश करती, वकील बाबू फॅट से उसे नीचे दबा देते और उसके मुँह से उहह.. की आवाज़ निकल जाती … थोड़ी देर बाद उसने उठने की कोशिश की और इस बार रावसाब ने उसे नीचे दबा दिया, वो बरदाश्त करने की हालत मे नही थी …. और वकिलबाबू ने अपनी गति और ज़्यादा करदी और लड़की के मुँह से अभी उम्म्मह…. उंह की आवाज़े ज़्यादा ही निकलने लगी. इतने मे वकील बाबू शांत हो गये… लगता है उनकी शांति का कारण अपनी बेटी के चूत के अंदर अपन रस छोड़ना था… गाड़ी मे थोडिसी शांति होते दिखाई दी… तभी मैने देखा कि कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू के बेटी की चूत के छेद के अंदर उंगली डाल दी और अंदर तक घुसा दी और अपने मुँह से चाटने लागे. लड़की शांत हो गयी थी उसकी चूत से पानी टपक रहा था जो कि वकील बाबू का ही वीर्य था.
तभी मैने देखा तो दंग रह गया
रावसाब वकील बाबू की तरफ देखते हुए बोले “अरे तुम इस खिड़की पास आ जाओ ये काँच ठीक से लगने के कारण मुझे जोरोसे हवा लग रही है”
और फिर वकील बाबू काँच की तरफ सरक गये और रावसाब बीच मे, जैसे ही वकील बाबू की लड़की, वकील बाबू के साथ काँच की तरफ सरकने लगी, रावसाब ने उसकी कमर को पकड़ के अपनी गोद मे खीच लिया और बोले “अरे बेटी बैठो इधर मेरे गोद मे ही.. काँच के पास बहुत हवा आ रही है..”
वकील बाबू की लड़की ना चाहते हुए भी रावसाब की गोद मे बैठ गयी. वो बैठी ही थी कि मुझे पॅंट की चैन खोलने की हल्की सी आवाज़ आई. मैने थोड़ा मुँह नीचे करके देखा तो रावसाब अपना तगड़ा घोड़ा निकाल रखे थे और आक्रमण की तय्यारी मे थे, जब से मैने इन चारो भाइयो को देखा था तबसे मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी ये तीनो जो मेरे साथ बैठे वो काले और इतने तगड़े क्यू है और जो चार नंबर के है मास्टर जी वो गोरे और पतले क्यू है, ये बात मेरे समझ से इस वक़्त बाहर थी…
क्रमशः………………………………
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