RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
मैने उसकी नीचे गिरी हुई पॅंटी को उठाया और उसके मूह मे घुसेड दिया, और अपने लंड को फिरसे निशाने पे लगाते हुए, ज़ोर्से झटके मारना शुरू किया शुरुआत के 5 मिनट मे ही वो महिला 2 बार झाड़ चुकी थी.
मैं अब नीचे बैठ गया, और उसे मेरे तरफ मूह करते हुए अपने लंड के उपर बैठने की आग्या दी, वो लंड के उपर जैसे ही बैठने लगी, लंड अंदर अंदर जाने लगा, वैसे ही वो चिल्लाने लगी, मैने उसके हाथ पकड़ लिए और उसे पूरी तरह अपने लंड पे बिठा दिया, पूरा 10 इंच का लंड अंदर जाने की बजह से उसके पेट अक्स रहा था जो कि मैं देख पा रहा था और उसे सहना उस महिला के लिए बहुत कठिन हो रहा था, अभी मैं नीचेसे जोर्के धक्के देना शुरू हो गया, और उसे पूरी तरह घायल कर दिया, वो फिरसे झड़ी, मैने उसे तुरंत नीचे घास पे गिराया और उसपे सवार होते हुए कुछ ऐसे ज़ोर्से धक्के मारने लगा कि उसको नानी याद आ गयी, अब मुझसे रहा नही गया, और तेज़ धक्को के बजह से उसके अंदर मेरा वीर्यपात हो गया, मैं उसके शरीर से पूरी तरह चिपक गया, अभी मेरा लंड उसके चूत मे फुव्वारे मारे ही जा रहा था, थोड़ी देर मे वो थोड़ा शांत हो गया, मैने उसे बाहर ना निकलते हुए उस महिला की चूत के अंदर रखते हुए, उसे पूरी तरह अपने बाहो मे जाकड़ के उससे चिपक गया, वो भी मेरे सर के चुम्मे लेने लगी.
दरवाजे पे कोई ठोक रहा था "बाबूजी …..अरे वो बाबूजी नींद से जागीए नीचे सेठ जी आपको बुला रहे है" ये शब्द कान पे पड़ते ही मैं जाग उठा और मुझे याद आया, वो नाश्ता, वो आरती,पूजा, वो लाल सारी वाली महिला…..ओह भगवान तो यह सब महेज एक सपना था. दोस्तो गाँव मे आकर मैने क्या क्या गुल खिलाए ये सारी बाते बताउन्गा दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना
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