RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब गाव दिखने लगा था, मैने छाया के ब्लाउस से अपना हाथ निकाल लिया, और आगे की तरफ ध्यान से देखने लगा,
इतने मे तान्गेवाला बोला "अब हम पाच मिनिट मे घर पहुच जाएँगे बाबू…..वो जो हवेली दिख रही है पीले रंग की …. वो है सेठ जी की हवेली"
तांगा हवेली के सामने जाके रुका, और मैं नीचे कूद गया, अंदरसे दो चार लोग बाहर आ गये, और समान उठाके अंदर ले जाने लगे. हवेली पुरखो की और बहुत पुरानी मालूम होती थी, परंतु उसकी देखभाल बहुत अच्छे की गयी होगी क्यूकी आज भी वो हवेली एकदम शान से खड़ी थी, और उसपे वो अलग अलग तरह का नाकषिकम उसे और भी शोभा दे रहा था.
सेठ जी ने मुझे अंदर बुलाया और एक नौकर को मुझे मेरा कमरा दिखाने के लिए बोला, मैं अंदर गया, तो वो नौकर आके मुझे मेरे कमरे की तरफ, समान उठाके लेके निकल पड़ा, हवेली 3 माले की थी. नीचे के माले पे सेठ जी रहते होंगे ऐसे मैने सोचा, पता नही था, परंतु अभी आ गया हू तो पता चला ही जाएगा. वो नौकर मुझे दूसरे माले पे लेके गया और एक कमरा खोल के मेरा समान रखते हुए मेरे हाथ मे चाबी देते हुए निकल गया. मैं कमरे के अंदर आया कमरे के अंदर एक अच्छा सा बिस्तर, एक बड़ा सा मेज, एक छोटा परंतु आरामदायक 2 आदमियोको बैठने के लिए सोफा, और बहुत सारा समान अच्छी तरह रखा हुआ था. बाजू मे ही जोड़के छोटसा बाथरूम था, मैं तो शहर मे भी इतना खुशहाली से नही रहा था, ऐसे लग रहा था अब गाव मे ही मेरा आगे का जीवन व्यतीत होनेवाला हो.
मैने बाथरूम के अंदर जाके मूह हाथ धो लिया, और आके अपने बिस्तर पर लेट गया, लगभग शाम हो रही थी तब दरवाजे पे किसीकि हाथ की आवाज़ सुनाई दी, मैने जाके दरवाजा खोला, तो बाहर सेठानी खड़ी थी.
मैं बोला "इतने देर बाद याद आई हमारी"
सेठानी बोली "नही ऐसी बात नही है….पर अब हालत ट्रेन जैसे थोड़ी ही है…तुम जल्दिसे तैयार होके नीचे आ जाओ ….नाश्ता और चाइ तैयार है ……नाश्ता होनेके बाद 6 बजे माता रानी की पूजा है ….आज बहुरानी घर आई है ना इसलिए…..तो तुम जल्दिसे नीचे आ जाओ…सेठ जी तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे है"
मैं बोला "ये तो ठीक है सेठानी जी…परंतु हमारी रात की पेट पूजा का क्या बंदोबस्त है"
सेठानी बोली "वो तो हमारी प्यारी बहुरानी पे निर्भर है….देखते है कैसे रास्ता निकल आता है आपकी और हमारी पेट पूजा का.."
ये कह के सेठानी चल दी, मैं तैयार होके नीचे के माले पे आ गया, उतने मे मुझे छाया ने आवाज़ दी और मुझे नाश्ते के लिए अंदर बुलाया. मैं अंदर चला गया और एक टेबल पे बैठ गया, छाया आई और मुझे नाश्ता देने लगी, मैने हल्केसे उसके पिछवाड़े की तरफ हाथ डालते हुए उसके गांद को एक छोटिसी चिमती ली, तो वो उछल पड़ी और हस्ने लगी और बोली "लगता है आप अपनी हर्कतो से बाज नही आनेवाले बाबूजी…." और मुझे आँख मार दी. थोड़ी ही देर मे मैने नाश्ता ख़तम किया तो एक नौकर आके मुझे बोला "बाबूजी बगल के कमरे मे पूजा शुरू होनेवाली है …आप जल्दिसे वाहा आईएगा …गाव के बहुत सब लोग आए है"
क्रमशः..............
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