RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
छाया रहती गाव मे थी परंतु दिखने मे एकदम गोरी, सादे पाच फीट कद, भरा हुवा गोलाकार शरीर, 20-21 साल की उमर, उसके तने हुए ब्लाउस से बाहर निकलने की चाह रखनेवाली उसकी चुचिया, उसके वो भरी हुई मदमस्त गांद, उसकी वो चाल, चलते समय उसकी गोल गोल गांद इस तरह हिल रही थी, कि देखनेवाले दंग रह जाए.
उसने अपने सर पे संदूक रखा हुवा था, और वो चले जा रही थी, मनोहर के पीछे पीछे. मनोहर कद मे उससे कम लग रहा था, थोड़ा सा मोटू और छोटू और बड़ा ही अच्छा इंसान मालूम पड़ रहा था, अपने चेहरे से, और उसकी बीवी, छाया मदमस्त अपने स्थानो को गांद को हिलाते हुए चले जा रही थी.
थोड़ी ही देर मे हम स्टेशन से बाहर निकल आए, बाहर सेठ जी और सेठानी के लिए एक तांगा, और दूसरा तांगा बहू और मेरे लिए खड़ा था, मनोहर सेठ जी के साथ टांगे मे बैठ गया और मेरे और बहू के साथ छाया बैठ गयी, मैं तो तांगे वाले के साथ आगे मूह करके बैठा था, और मेरे पीठ पीछे छाया बैठी थी, अब मैने थोड़ा सा वातावरण का अंदाज लेना चाहा.
मैं पीछे खिसक गया, और छाया की पीठ से पीठ लगा दी, वैसे ही वो आगे सरक गयी, और चुपचाप बैठ गयी, मैं फिरसे उसकी तरफ खिसका, इस बार वो आगे सरक नही पाई, क्यू की वो आगे सरक्ति तो तांगे से गिर जाती, पसीने से उसके सारी का पल्लू गीला था, वो मुझे महसूस होने लगा, मैं और थोड़ा पीछे खिसक गया और उसके पीठ से अपनी पीठ पूरी तरह चिपकाकर उसकी पीठ पर रेल दिया.
जैसे ही तांगा हिलता, हम दोनो एक दूसरे के और करीब आ जाते और ज़्यादा चिपक जाते, जैसे की मेरा बाया हाथ बहू के बाजू मे था, मैने अपना दाया हाथ पीछे किया, और उसे पीछे करते हुए हल्केसे छाया की चुचि के साइड पर मलने लगा, जैसे ही मैने छाया की चुचि के साइड पर हाथ रखा, मैं महसूस कर पा रहा था, कि उसकी सासे तेज़ हो रही है.
अब मैने हल्केसे बहू की तरफ देखा तो उसकी आँख लग चुकी थी, और तांगा सुरक्षित होने के कारण उससे गिरने का कोई ख़तरा भी नही था, मेरा हौसला बहू के सोने के कारण और बढ़ गया, और मैने अब अपना हाथ छाया की चुचि के साइड से निकाल के उसकी पूरी गोलाकार, भारी हुई चुचि पर रख दिया, और उसे मसलने लगा, थोड़ी ही देर मे मुझे उसका निपल हाथ मे लगा, मैने उसे दबाना शुरू किया, वैसे ही छाया की सासे और बढ़ने लगी,
छाया मेरे कान मे बोली "ये क्या कर रहे हो बाबूजी…."
मैं कुछ नही बोला.
उसने एक हाथ से मेरे हाथ को उसके स्तनो से निकालने की कोशिश की, परंतु ये मैं भी समझ गया था कि, उस कोशिश मे दम नही था, और वो महज ही कोशिश कर रही थी, मैने अब अपना हाथ और पीछे करते हुए उसके ब्लाउस मे हाथ डाल दिया, जैसे ही मैने उसके ब्लाउस मे हाथ डाला "वाह क्या बड़ी बड़ी नरम नरम चुचिया थी उसकी…..क्या बोलू …स्वर्ग समेत आनंद महसूस होने लगा."
पूरे सफ़र मे मैं उसकी कोमल चुचियो को मसल रहा था, और निपल्स को चिमकारिया ले रहा था, छाया की हालत बहुत पतली हो गयी थी, वो ज़ोर ज़ोर से सासे ले रही थी, लग रहा था कि उसे इस तरह अभी तक किसीने गरम ना किया हो, मेरा लंड तो ऐसे खड़ा हो गया था मानो जैसे पॅंट को चीर के बाहर आ जाए.
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