RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--7
गतान्क से आगे......
मुझे मन ही मन मे बहू की गांद मारने की बहुत ही इच्छा हो रही थी, परंतु बहू ऐसा नही करने देगी ये मुझे पता था, क्यू कि जब मैने उसे सेठानी की गांद मारने की बात कान मे बताई थी, तब वो बोली थी "मेरे साथ ऐसा करने की कोशिश कभी मत करना नहितो तुम्हारा ये हथौड़ा जड़ से उखाड़ दूँगी, मुझे मेरी गांद तुम्हारे इस हथौड़े से नही फाड़नी है …मेरी प्रिय सासुमा की तरह..जो आजकल ऐसे चल रही है जैसे गांद मे कुछ फसा हो…."
उसी वक़्त मैने मन ही मन मे सोच लिया था कि गाव जाके एक दिन इसकी ऐसी गांद मारूँगा ना कि चलने क्या उठने के काबिल भी नही रहेगी, और जिस दिन से ये ख़याल मेरे जहाँ मे उत्पन्न हुवा था उसी दिन मे मैं बहू की गांद मरनेवाले दिन का बेसबरी से इंतेज़्ज़ार किए जा रहा था.
अब बहू और सेठानी ने मेरे लंड को चूस चूस के पूरा गरम कर दिया, इतना कि थोड़ी ही देर मे मैं बहू के मूह मे झाड़ गया, और मेरा वीर्य पीते हुए बहुने थोड़ासा वीर्य अपने प्रिय सासू के मूह मे डाल दिया, उन्होने ने भी किसी प्रषाद की तरह ग्रहण करते हुए पी लिया उन दोनो के होंठो पे मेरे वीर्य की धाराए मानो अमृत मालूम हो रही थी.
अभी सेठानी उठ खड़ी हुई और साड़ी पहनने लगी और
बोली "अभी सो जाओ …कल सबेरे जल्द ही स्टेशन आ जाएगा तो हमे बहुत सारा समान बाहर निकालना होगा"
बहुने मेरे लंड को सहलाते हुए पूछा "हमारे वो आ रहे है हमे लेने?? "
सेठानी बोली "पता नही वो आएगा की नही….परंतु मनोहर और उसकी बीबी छाया आनेवाले है सामान लेने स्टेशन पे "
छाया नाम सुनते ही मेरा लंड खुश हो गया, और मैने मन ही मन मे प्लान भी बना लिया कि गाव मे जाके सबसे पहले छाया को चोदुन्गा. थोड़ी ही देर मे हम तीनो लोग अपने अपने बर्त पे लूड़क गये. और कब नींद लगी पता ही नही चला.
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जब सबेरे बूढ़ा सेठ जी मुझे बिर्तपे हिलने लगा तब जाके मेरी नींद खुली और मैने अपनी घड़ी मे टाइम देखा तो 8:30 बज रहे थे, अब थोड़ी ही देर मे हम लोग सेठ जी के प्रिय गाव, जहा पे उनकी बहुत इज़्ज़त वाहा पहुचने वाले थे.
9:40 के करीब ट्रेन स्टेशन पे पहुचि. और हम लोग सामान लेके भीड़ से निकलते हुए ट्रेन से उतरने लगे, उतने मे मनोहर "सेठ जी सेठ जी …….." चिल्लाता हुआ आया, और उसने सेठ जी के हाथ से समान लेते हुए अपने काँधे पे डाल लिया, उसके साथ उसकी बीवी छाया भी आई हुई थी, वो भी भागते भागते आगे आई, छाया ने सेठानी के हाथ की संदूक ले ली और अपने सर पर रख ली. मैं अपनी नयी शिकार को देख के हैरान रह गया और मन मे बोला, "वाह….वाह ……..दिल खुश हो गया."
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