RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब राधे सेठानी के नीचेसे निकल के खड़ा हो गया और मैं सेठानी के नीचे सो गया और उसको अपने उपर बिठाते हुए उसकी गांद मे अपना लंड घुसा दिया और झटके मारने लगा, उधर राधे ने सेठानी के मूह मे अपना काला मोटा चौड़ा लंड घुसेड दिया, और ज़ोर्से अंदर बाहर करने लगा, सेठानी की सासे फूली जा रही थी, परंतु उसको मिलनेवाले असीम आनंद को वो गँवाना नही चाहती थी, इसलिए लंड के अत्याचारो को सही जा रही थी, अब राधे सेठानी के उपर चढ़ गया और उसकी चूत मे लंड घुसाके ज़ोर्से धक्के मारने लगा, और थोड़ी ही देर मे सेठानी के अंदर झाड़ गया, उसकी वीर्य की गर्मी सेठानी के चेहरे पे और आवाज़ से साफ झटके रही थी. अब मैं भी चरंसीमा तक पहुच गया, और मैने भी अपने वीर्य के सात आठ हवाई जहाज़ सेठानी की गांद के अंदर दाग दिए.
सेठानी की गांद और चूत वीर्य से लथपथ थी. वीर्य की बूंदे उनकी गांद से और चूत से टपक रही थी. बहू ने सेठानी की चूत से टपकने वाले वीर्य को चाटते हुए उसमे उंगली डाल दी, और उंगली से वीर्य को बाहर निकाल के उंगली को चाट रही थी, सेठानी की कोमल चूत औट गांद बहुत ही लाल पड़ गयी थी. गांद का होल तो मेरे लंड के अत्याचार से फट गया था, और ऐसे लग रहा था जैसे मेरे लंड को फिरसे पुकार रहा था.
थोदीही देर मे राधे वाहा से मुझे धन्यवाद देते हुए निकला और अब डिब्बे मे मे, सेठानी और बहू ऐसे तीन लोग ही जाग रहे थे, जोकि चुदाई के कारण बहुत ही थक गये थे.
मैने सेठानी के गाल का चुम्मा लेते हुए पूछा "सेठानी जी, कल हम कितने बजे पहुचेंगे आपके गाव?"
सेठानी हसके बोली "करीब 9:30 बजे तक तो पहुच जाएँगे "
उतने मे बहू ने मेरी टाँग पे अपनी मांसल टांग घिसते हुए और मेरे पेट से चिपकते हुए कहा "अब हमारी चुदाई का क्या होगा…..गाव मे हम तो ये ना कर सकेंगे …किसिको पता लग गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे "
सेठानी बोली "हां…अभी आदत पड़ गयी है तुमसे चुदवाने की …तुमसे बिना चुदवाये तो मैं रह ना पाउन्गा "
बहू बोली "ठीक है ….गाव मे जाके चुदाई का इंतज़ाम करने की ज़िम्मेदारी मेरी….मैं देखती हू कौन मा का लाल पकड़ पाता है हमे"
बहू की उंगली अभी भी सेठानी की गांद मे ही गढ़ी हुई थी, और बहू उसे छोटे बच्चो की तरह लाल पड़ी गांद मे डाल के अंदर बाहर कर रही थी. कुछ घंटो मे ही बहू और सेठानी मे क्या दोस्ती बन गयी थी …वाह….मानो…जैसे दोनो रंडीखाने मे सादियो से रहती हो.
मेरा लंड इन दोनो की हर्कतो से फिरसे खड़ा हो गया और बहू ने उसे अपने मूह मे ले लिया, और अंदर बाहर करने लगी, उसके मुहसे निकल रही लार नीचे चटाई पे गिर रही थी, हम लोग नीचे चटाई पे बैठे होने के कारण नीचेसे बहुत ही ठंड लग रही थी, पर उपर से उतनी ही गर्मी हो रही थी, बहू ने अब मेरा लंड सेठानी के मूह मे ऐसे दे दिया जैसे कोई सिगार दी हो, क्या व्यवसायिक रंडिया लग रही थी दोनो के दोनो…मानो जैसे बरसो से इनका चुदवाने का धंधा रहा हो.
बीच मे लंड बहू ने फिरसे अपने मूह मे ले लिया और
सेठानी बोली "हां….पर गाव मे जाके कोई और मिल गयी तो हम दोनो को भूल मत जाना ….नहितो हम दोनो तुम्हे …"
मैं बोला "तुम दोनो क्या……………."
सेठानी और बहू कुछ नही बोली बस थोडिसी मुस्कुराइ.
क्रमशः..............
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