RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब मेरे दिमाग़ मे एक कल्पना आई, मैं सेठानी को चोदना चाहता था परंतु अकेले नही, राधे के साथ साथ! मैने अभी सेठानी को वैसे ही पड़े रहने दिया और बहू के कान मे कुछ बोला, बहुने संदूक खोलके एक तेल की शीशी निकाली और उसमे से तेल निकाल के मेरे लंड पे लगा दिया, और सेठानी की गांद पे भी,
सेठानी बोली "ये क्या कर रहे हो तुम लोग "
मैं बोला "कुछ नही रानी…अब दो दो घोड़े तेरी सवारी करेंगे ….बहहुत ही मज़ा आएगा तुझे"
सेठानी बोली "नही नही…अरे ये कैसे हो सकता है ….मेरी जान निकल जाएगी "
मैं बोला "कुछ नही होगा आपको…..बस पड़े रहो ….और मुहसे ज़्यादा आवाज़ मत निकालो…नही तो कल जब हम गाओं मे पहुचेंगे तब पाँच पाँच लोगो से चुदवाउन्गा तुझे …समझी मेरी प्यारी रंडी."
नीचे राधे उपर सेठानी, सेठानी का मूह राधे की तरफ किए हुए, और सेठानी के उपर मैं, नीचेसे राधे ने अपना लंड सेठानी की चूत के अंदर डाला, मुझे कुछ दिख नही रहा था, उतने मे बहू ने मेरे लंड को पकड़ और सेठानी की गांद के होल पे जो तेल से लथपथ था उसपे रख दिया. सेठानी मूड के पीछे देखने लगी, बहुने एक बार मेरा लंड मूह मे लिया और उसके पे तेल लगाके गांद के होल पे रख दिया, तेल से सेठानी की गांद बहुत चमक रही थी.
अब मैने सेठानी की गांद पे एक दो चपाटिया लगाई, और लंड को एक हाथ मे पकड़ के सेठानी की गांद के होल पे लगाने लगा, नीचेसे राधे सेठानी की चूत की चुदाई कर रहा था, और सेठानी को बहुत ही आनंद रहा था, राधे के बड़े काले लंड से, मैने अब अपने लंड का सूपड़ा सेठानी के कुछ समझने से पहेले ही गांद के अंदर घुसा दिया और हल्केसे अंदर बाहर करने लगा, सेठानी के गांद पे थोड़े थोड़े बाल होने के कारण उसकी गांद और भी मदभरी और रसभरी दिख रही थी. सेठानी के मूह से "आआहह आअहह आहह " आवाज़ आना शुरू हो गयी. मुझे अभी गर्मी बर्दाश्त नही हो रही थी. मैने ज़रा धक्को की गति बढ़ाई और आधे लंड को गांद के अंदर घुसेड दिया वैसे ही सेठानी कराह उठी.
लंड के धक्को से होनेवाला दर्द उसके सर तक पहुच गया था और एक 10 इंच के पहाड़ को और दूसरे 9 इंच के साप को झेलना उउसके बस की बात नही लग रही थी, उसने अपने हाथ पाव फड़फड़ाना शुरू कर दिया. धक्को की गति बढ़ाते हुए मैने सेठानी के गले को अपने हाथो से पकड़ लिया और पीछेसे धक्के मारते मारते उसके गालो को चूमने लगा, कानो को काटते हुए चुम्मा लेने लगा, इतने मे सेठानी झड़ने लगी, और वो ज़ोर्से चिल्लाने लगी, उसके चिल्लाने के बजाह से सेठ जी अपने बेड से थोड़े हिल गये पर बुड्ढ़ा उठा नही, मैं अब सेठानी की गांद और पीठ से पूरा चिपक गया और सेठानी के शरीर के साथ एक होकर ज़ोर्से लंड को अंदर बाहर करने लगा, तेल की चिकनाई के कारण लंड अंदर तक जा रहा था और बाहर भी निकल रहा था, परंतु नीचेसे राधे का बड़ा लंड होने के कारण लंड को थोडिसी घिसन महसूस हो रही थी.
अब राधे ने अपनी गति कम कर दी और मैने सेठानी की गांद को अपने हाथो मे पकड़ के ज़ोर्से आगे पीछे करने लगा गांद का घेराव बहुत ही बड़ा था और सेठानी के पहाड़ो के बीच मे मेरा लंड अतिशेय मदमस्त लग रहा था, मैने गांद से हाथ निकाल कर अब सेठानी के सर के बाल पकड़ लिए, और ज़ोर्से खिचना शुरू करते हुए सेठानी को बालो से आगे पीछे खिचना शुरू किया, सेठानी के मूह से निकलने वाली "आआहू आआहूउ हहुउऊउ आआहाआहुउऊुउउ आआआआआआआआअहहुउऊुुउउ….ऊवूयूयुयूवयू…..उउउहह..उहह" आवाज़े तेज़ हो गयी. और मैने और राधे ने अपनी गति और बढ़ा दी, राधे के मूह से भी "आअहह आअहह " आवाज़ निकल रही थी.
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