RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--6
गतान्क से आगे......
अभी मुझे किसिके पैरो की आवाज़ सुनाई दी. मुझे यकीन था कि राधे ही होगा, मैं कॅबिन के दरवाजे के पास गया और खड़ा रहा, राधे ने दरवाजा खटखटाया, तो मैने दरवाजा खोला और राधे को अंदर ले लिया, अंदर जैसे की बहू और सेठानी आधी नंगी खड़ी थी, उनको देखके राधे थोडसा शर्मा गया, और मेरे पीछे आके खड़ा हो गया.
मैं बोला "राधे …..अरे डरो नही…..तुमने आज हमे खुश किया है ….आज हम तुम्हे खुश करवाते है"
राधे बोला "वो तो ठीक है बाबूजी पर ये तो खानदानी लगती है"
मैं बोला "हा तो खानदानी ही है…चुदवाने मे इनसे खानदानी औरते तुम्हे नही मिलेगी..??"
राधे कुछ समझ नही पा रहा था, इतने मे मैने सेठानी को इशारा कर दिया, सेठानी समाज़ गयी और राधे की तरफ आने लगी, मैने राधे को आगे खड़ा किया, सेठानी ने राधे का एक हाथ पकड़ा और अपने कमर पर घिसने लगी, राधे और डर गया, मैं बोला "अरे डरो नही …आनंद उठाओ"
अब राधे थोड़ा मुस्कुराया और सेठानी से घिसट बढ़ाने लगा, इधर बहू आके मुझसे चिपक गयी और मैं अपना लंड उसकी गंद के पहाड़ो के बीच घिसने लगा.
अब सेठानी ने राधे के पॅंट की ज़िप खोल दी, और दो सेकेंड के अंदर राधे का काला जाड़ा साप जैसा लंड बाहर निकाला, उसको देखके सेठानी बोली "वाह वाह …..इसे कहते है लवदा.." सच मे राधे का लंड, लंड नही बड़ा सा कला सा साप लग रहा था, लगभग 9 इंच तक होगा, मुझे अब एहसास हुआ कि आज की रात बहुत ही मजेदार होनेवाली है, सेठानी ने राधे का लंड मूह मे लेके उसपे थूक लगा के चाटने लगी और उसे पीने लगी, राधे का लंड पलभर मे बहुत ही कठिन और वज्र के सामान बन गया, बड़ा ही आकर्षक दिख रहा था वो.
अब राधे उपर मूह करके नीचे लेट गया और सेठानी को अपने उपर बिठा लिया, और उसने धीरे धीरे करके अपना लंड सेठानी की चूत मे घुसाना चाहा, अब उसने उसपे थूक जमाई और फिरसे घुसाने लगा, सेठानी की चूत मेरे से चुदी होने के कारण लंड दूसरी बार मे अंदर चला गया, मैं और बहू प्रणय कर रहे थे और इन दोनोकी रासलीले भी देख रहे थे, मैने बहू के रसीले आम अपने मूह मे जकड़े हुए थे, और उनमे से रस चूस रहा था, उधर अभी आधे से उपर लंड बड़े हल्केसे राधे ने सेठानी की चूत के अंदर डाल दिया और अब वो ज़ोर के धक्के मारना शुरू कर रहा था.
राधे से नियंत्रण नही हो पा रहा था उसने अभी लंबे और ज़ोर्से धक्के मारना शुरू किया, वैसे ही सेठानी उपर कूदने लगी और चिल्लाने लगी, उसकी चूत फटी जा रही थी, और उसका चूत का खड्डा दिनो दिन बड़ा बड़ा होते जा रहा था, अब सेठानी भी पूरे जोश मे थी, और राधे भी, राधे ने अब पूरी गति पकड़ ली, और कसे हुए घोड़े की तरह सेठानी पे सवार हो गया.
राधे नीचे और सेठानी उपर..वाह क्या नज़ारा था. सेठानी की चूत मे लंड जा रहा था और गांद का हिस्सा लाल लाल हो रहा था. सेठानी की गांद का खड्डा बहुत ही सुंदर और मस्त दिख रहा था, अब मैं राधे के पास गया और सेठानी की गांद के खड्डे मे थूक डाल दिया, और 1 उंगलिसे थूक को अंदर बाहर करने लगा, होल बहुत ही टाइट था, और नीचे राधे के झटको से मेरी उंगली सेठानी की गांद से निकल आ रही थी.
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