RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अभी राधेको आने मे देर थी, दस बजने को कुछ मिनिट बाकी थे, मैं राधे की राह देख रहा था, क्यू मुझे इन दोनो रंडियो को उससे चुदवाना था, और उसके साथ साथ मिलकर मुझे भी इन दोनो को चोदना था. मैं बहू के पीछे गया और अपना लंड उसकी गांद की पहाड़ियओके बीच घुसा के आगे पीछे करने लगा, वैसे ही उसने गरम और तेज सासे लेना शुरू कर दिया , मैने मेरे हाथ उसकी चुचियो पे रख दिए, और उसके ब्लाउस के अंदर हाथ डालकर उसकी चुचीयोको सहलाने लगा, एक उंगली मैने उसके मूह मे डाल दी और वो उसे अपनी जीभ से चाटने लगी, मैने अब मूह से उंगली निकाल के उसके बाल सहलाना शुरू किया. और थोड़ी ही देर मे फिरसे उसकी चुचिया दबाने लगा.
चुचियोमे दूध भरा होने के कारण और वो ब्लाउस मे टाइट दबी होने के कारण उसमे से थोड़ा थोड़ा दूध निकल रहा था और उसके ब्रा और ब्लाउस को गीला कर रहा था. सेठानी सामने से आई और उसने ब्लाउस के उपर मूह लगा के बहू का एक निपल अपने मूह मे लिया और चूसने लगी, मैं देख पा रहा था कि सेठानी बहू के ब्लाउस पहने होते हुए भी दूध चूसने मे कामयाब हो रही थी, बहू का ब्लाउस अभी चुसाइ के कारण आधे से ज़्यादा गीला हो गया था और उसमे से उसकी चुचिया और निपल बहुत ही मादक और कम्सीन दिख रहे थे.
अब मैने बहू के ब्लाउस का हुक बिना खोले हुए ही एक स्थान को बाहर निकाल दिया, वो स्थान आधा ब्लाउस मे दबे होने के कारण बहुत ही टाइट और भरा महसूस हो रहा था, अब मैने उस चुचि का एक निपल अपनी दो उंगलियो मे दबाया और उसे चिमतिया लेने लगा, वैसे ही बहू के मूह से "आअहह..आअहह..हह" आवाज़ निकलने लगी, मैने अभी निपल को एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ की उंगलियो से उसपे टीचकिया मारने लगा. टीचकिया मारने से और निपल को दबाने से निकलने वाले दूध से मेरी उंगलिया गीली हो गयी. मैने आगे से सेठानी को बाजू करते हुए बहू के निपल को अपने मूह मे लिया, और उसपे हल्केसे अपनी जीभ फिराने लगा, मेरी हर्कतो से बहू बहुत ही गरम हो रही थी, और उसकी आवाज़ बढ़ रही थी, उसके शरीर पर ए.सी. डिब्बे मे होने के बाद भी पसीना चढ़ रहा था, और सेठानी मन ही मन मे तड़प रही थी और सोच रही थी की मेरी बारी कब आएगी पर उसे क्या पता था मैने उसके लिए आज ख़ास इंतज़ाम किया है.
जैसे ही मैं निपल को अपने मूह मे लेके चूसने लगा वैसे ही बहू के मूह से "आऐईइ..उउउन्हनह" की आवाज़ आने लगी. मैने अभी उसे थोड़ा थोड़ा दांतो से काटना शुरू कर दिया. फिर मैने ज़ोर्से और लंबे टाइम तक निपल को दांतो मे पकड़ा रहा और काटते रहा और इधर बहू की आवाज़ उँची हो रही थी, मैने अब अपनी जीभ बहू के कान मे घुसा दी. और उसे चूसने और काटने लगा. अब मुझे बहू की चूत से खेलने की बहुत ही इच्छा हो रही थी, मुझे बहू की गुलाबी चूत के अंदर कब जीभ डालु ऐसे हो गया था, क्यू कि उसकी चूत के पानी का स्वाद आज भी मेरे मूह मे ताज़ा था.
मैने कमर के तरफ हाथ बढ़ा के बहू की निकर उतार दी. और पैरो मे से निकाल कर बाजू मे रख दी. बहू अपने हाथ से चूत को सहलाने लगी. मैने उसे अब एक बर्त पे बिठाया और उसकी टाँगो को फक दिया, जितना फक सकता था, टाँगो के बीच मे बड़ी जगह बनाने के कारण बहू की चूत एकदम स्पस्ट और बहुत ही नजाकातदार दिख रही थी, चूत के बाजू के बॉल जैसे किसी किले का रक्षण करनेवाले सैनिको के तरह दिख रहे थे, और वो बाल सैनिक बनके बहू के गांद तक पहुच गये थे, अब सेठानी ने बहू की टाँगो के बीच घुस कर बहू की चूत के दोनोहोंठो पर उंगलिया रख के चूत को फैला दिया …वाह क्या लग रही थी बहू की चूत …एकदम मदमस्त लाल गुलाबी कलर मानो उसमे से गिरे जा रहा हो, बहू की चूत का दाना एकदम स्पस्ट दिख रहा था, और बहू की तेज सासो के चलने के कारण चूत का दाना आगे पीछे हो रहा था, मैं अब सेठानी को बाजू करते हुए बहू की टाँगो के बीच बैठ गया, और चूत के ओठो को फैला के चूत के दाने को उंगलियो से दबाने और घिसने लगा, वैसे ही बहू की आआवज़े फिरसे बढ़ गयी. मैने अभी उंगलियोकि घिसने की गति बढ़ाई और ज़ोर्से उंगलिया उसके दाने पे घिसने लगा, अभी बहू के मूह से "उउउउह्ह…उ …माआअ..उउउउउउ" की ज़ोर ज़ोर की आवाज़े निकलने लगी. और वो जल्द ही झाड़ गयी. कहानी अभी बाकी है दोस्तो
क्रमशः............
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