RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
बेचारा राधे कुछ समझ नही पा रहा था. और मैं और मेरी गाव की गोरी मुस्कुरा रही, थी अभी गाँव की गोरी ने अपने पूरे कपड़े पहेन लिए और मुझे गाल [पे दो चार चुम्मे देके "फिर मिलेंगे बाबूजी इसी सफ़र मे" कह के निकलने लगी, राधे भी उसके पीछे निकल गया.
मैं वाहा से निकल के अपने केबिन मे आ गया. तो बहू, सेठानी और सेठ जी खाना खा रहे थे,
सेठ जी मुझे देख के बोले "अरे भाई कहा निकल लिए थे सबेरे सबेरे …ये क्या शहर है घूमने के लिए …किस डिब्बे मे घुस गये थे ..टिकेट कलेक्टर पकड़ लेता तो…."
मैं मन मे बोला "अबे बुड्ढे मुझे क्या टी. सी. पकड़ेगा साला, अब तक तीन को चोद चुका हू, उसे तू हमारे साथ होते हुए भी नही पकड़ पाया, तो टी.सी. क्या मुझे विदाउट टिकेट पकड़ेगा…" और मन ही मन मे मुस्कुराया.
सेठ जी को देख के बोला "कुछ नही सेठ जी एक चाइ वाला मिला था, उसीसे थोड़ी गाव की बातें हो रही थी….."
सेठ जी मुझे देख के बोले "तो ठीक है….आओ अभी तुम्हे भूक लगी होगी …खाना ख़ालो "
मैं सेठानी के बाजू मे जाके बैठ गया, वैसे ही सेठानी ने मेरे बाजू खिसक अपनी गांद मेरे गांद से चिपका दी और सारी का पल्लू नीचे गिरा दिया, बूढ़ा सेठ सेठानी को घूर्ने लगा, परंतु सेठानी उसे बिल्कुल ही भाव नही दे रही थी, सेठानी ने नीचे मेरी टाँग से टाँग मिला ली और अपने मांसल हाथ मेरे हाथ से खाते हुए मुझसे घिसने लगी. मैने पीछे से हाथ डॉल के सेठानी की कमर की बारीक सी चिमती ली. वैसे ही वो थोड़ी जगह से हिल गयी..और उठके नीचे बैठ गयी, अब मुझसे और थोड़ी चिपक के मेरे आँखो मे आँखे डाल के प्यार भरी गरम निगाह से देखने लगी. थोड़ी देर बाद हम लोगो का खाना हो गया और सेठ जी बाजू मे ही जाके एक खाली बर्त पे सो गये.
सेठ जी की आँख जैसे ही लगी, बहू और सेठानी मेरी बाजू मे आके मुझसे चिपकाना शुरू हो गयी, मैने झट से बहू का ब्लाउस खोला, अब मुझे बहू के स्तनो मे से दूध चूसने की बहुत इच्छा हो रही थी, मैने ब्लाउस खोलते ही बहू का एक निपल अपने मूह मे ले लिया और दूध चूसना शुरू कर दिया आआआ….हहाा….क्या मज़ा आ रहा था, बहुत ही बढ़िया थोड़ी देर बाद मैने बहू का दूसरा निपल चूसना शुरू किया, और बहू बहुत ही गरम होने लगी, नीचे सेठानी ने बर्त पे बैठे बैठे ही मेरी पॅंट की ज़िप खोल दी, और मेरे लंड को मूह मे लेने लगी.
इन दोनो औरतो की हरकते बढ़ती जा रही थी, मैं सोच रहा था कि ये दोनो मुझे जाके काम करने भी देगी या मुझे चोदने की मशीन बना देगी. सेठानी के लाल लाल होंठो के अंदर मेरे लंड का सूपड़ा बहुत ही आकर्षक लग रहा था, वो मेरे लंड को अपने मूह की लार से गीला कर देती और फिर सॉफ करती…वाह क्या मदमस्त होंठ थे सेठानी के, बहुत ही नरम और मुलायम मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. इतने मे मेरा नियंत्रण छूटा और मैने मेरा पूरा वीर्य सेठानी के मूह मे छोड़ दिया सेठानी ने आधा वीर्य बहू के मूह मे डाला और बाद मे दोनो ने सब वीर्य पी लिया.
अब मुझे नींद बहुत ही आ रही थी, और मैं अपनी जगह पे बैठे बैठे ही सो गया.
क्रमशः.........
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