RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--4
गतान्क से आगे......
मैं फट से इन मदमस्त रंडियो के चंगुल से निकल के बाथरूम की तरफ चल दिया. और जैसे मैने प्लान किया था. राधे ने लड़की को बाथरूम के अंदर पहुचा दिया था. मैने राधे के हाथ मे कुछ पैसे थमा दिए और राधे चल पड़ा, मैने बाथरूम के अंदर प्रवेश किया. एक मदहोश करनेवाला चेहरा, सावला गोरा वदन, लगभग 5 फीट 7 इंच की उचाई, हरी भारी गोलाकार चुचिया, बड़ी भारी गोल घेराव वाली गांद और सबसे मस्त उसके भरे भरे गाल देख के मैं अपनी इस सीता को देखते ही रह गया. मुख से वो मासूम और अंजान मालूम पड़ रही थी. और जब मैने उसको ज़ोर्से कान पे किस करना शुरू कर दिया वैसे ही
वो बोली "बाबबूजी ज़रा धीरे करना …मैं नयी नयी हू इस धंधे मे "
मैने पूछा "अच्छा…..कितनो से चुदवा चुकी हो"
वो बोली "नही अब तक चुदाई नही हुई है मेरी …."
मैं बोला "वाह 100 रुपये मे नया कोरा माल …वाआह ….वाह"
मैं मन ही मन मे बहुत खुस हो गया क्यू की मैने दोस्तो से सुना था, जब नये माल को चोदते है तो सबसे अधिक मज़ा आता है और पहली बार लड़की की चूत फटने के कारण उसकी चूत से लाल लाल रंग खून भी निकलता है. मैं इस विचार से बहाल हो गया.
वो बोली "आप क्या सोच रहे हो"
मैं बोला "मैं तुझे बहुत आराम से चोदुन्गा …तुझे बिल्कुल भी दर्द महसूस नही होने दूँगा अगर तू मुझे चोदने देगी तो मैं तुझे और 100 रुपये दे दूँगा…."
ये बात सुनके वो थोडिसी खुश हो गयी.
और बोली"तो ठीक है ….पर आप हमे वचन दीजिए गा कि आप हमे दर्द नही होने देंगे." मैने हा मे हा भर दी.
अब मेरा लंड बहुत ही गरम हो गया था, और मेरी पॅंट से बाहर निकलने के लिए तरस रहा था .मैने उसे अपने सामने पकड़ा और अपने लंड को उसके दो टाँगो के बीच डाल दिया. और आगे पीछे करने लगा, वो अब गरम होने लगी थी, और मेरी छाती उसके छाती से घिसने के कारण गरम गरम और ज़ोर ज़ोर्से सासे लेने लगी थी. मैने अभी उसके ब्लाउस का हुक धीरे धीरे करके खोल दिया और ब्लाउस के खुलते ही उसके हॅश्ट पुष्ट चुचिया ब्लाउस से बाहर निकल के आई और मेरी छाती से भीड़ गयी, अब मैने एक चुचि के निपल को अपने मूह मे लिया, और चुसते हुए अपने लंड को उसकी टाँगो के बीच और ज़ोर्से हिलाने लगा, और वो मुझसे पूरी तरह चिपक गयी.
उसकी चुचिया बहुत ही नरम और नाज़ुक आम की तरह थी. और मेरे कस्के चूसने से निपल्स सख़्त होने लगे थे. उसके गुलाबी कलर के निपल्स के दाने चूसने से गीले होने की वजह से बहुत ही रसभरे लग रहे थे. अब मैने उसकी स्कर्ट मे नीचे से हाथ डाल के उसे उसकी मासल जांगो तक उपर उठाया, और पीछेसे उसकी निकर्स मे हाथ डाल के उसकी नाज़ुक गांद को स्पर्श करने लगा, और वो अपना निचला होंठ दांतो तले दबाने लगी. मेरे लंड का अब हथोदा बन चुका था. मैने अपनी सीता को नीचे घुटनो पे बिठा दिया और मूह मे लॅंड घुसा दिया वाह क्या ठंडक पहुच रही थी मेरे लंड को.
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