RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
"मेरी चूत फाड़ के रख दी तुमने"
मैं बोला "अभी कहा…अभी तो शुरूवात है..आगे आगे देखो होता है क्या…"
सेठानी मेरे लंड को चट के सॉफ कर रही थी. और उसकी चुचिया लंड को आगे पीछे करते वक़्त हिल रही थी. मैने 1 चुचि को दबाना शुरू किया. और उसके गुलाबी काले निपल की हल्की सी चिमती ले ली.
सेठानी बोली "बड़े शैतान हो तुम…."
मैं बोला "हां वो तो मैं हू ही….परंतु शैतान तो आपने बनाया मुझे …हा कि नही…??"
सेठानी कुछ नही बोली. और बहू हस्ने लगी. सेठानी के मूह मे मेरा लंड फिरसे फूलने लगा. और थोड़ी ही देर मे वो अपनी पूर्व स्थिति मे आ गया. मैने अब अपना लंड सेठानी मूह के अंदर ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. जैसे मेरी गति बढ़ रही थी. सेठानी के मूह से "गुगुगु गुग्गू……उूउउ" आवाज़े आना बढ़ गयी. इतने मे सेठ जी बर्त पे हीले. हम सब की सासे जगह पे ही रुक गयी. परंतु फिरसे बुड्ढ़ा वैसेके वैसेही सो गया. अब मैने फिरसे मूह मे धक्के मारना शुरू किया और लंड को अंदर तक घुसाने लगा. और सेठानी की आँखे लाल हो गयी. चेहरा पूरा लाल- लाल हुए जा रहा था. थोड़ी देर बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला. अभी मेरा 10 इंच का हठोड़ा फिरसे गुर गुर करने लगा था. और उसके सूपदे से पानी निकल रहा था. बहू ने उसपे अपनी थूक डालके उसे मूह मे लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मैने सेठानी को बर्त पे लिटा दिया और उसकी चूत चूसने लगा. इधर बहू मेरा लंड अपने मूह अंदर डाले जा रही थी. अब मैने अपनी लंबी जीभ सेठानी के छोटेसे लाल रंग के चूत के छोटेसे होल मे डालना शुरू किया. मैं 1 दिन मे ही चूत के अंदर जीभ डालने मे बहुत ही माहिर हो गया था.
सेठानी उधर फिरसे गरम हो रही थी. मैने अभी उसके चूत पे थूक दिया. और वो थूक उसकी चूत के अंदर के होल मे घुसा दी. चूत अभी एकदम गीली और रसीली हो गयी थी परंतु 2 बार जबरदस्त ठुकाई के कारण चूत बहुत ही लाल लाल हो गयी थी. मैने अब सेठानी के चूत के दाने पे अपनी जीभ रख दी और उसे चूसने लगा सेठानी ज़ोर से तड़पने लगी और मेरा सिर पकड़ के अपने टाँगो के बीच मे दबाने लगी वैसे मैने और ज़ोर्से चूसना शुरू किया अब सेठानी बहुत ज़्यादा तड़पने लगी और कुछ देर बाद झाड़ गयी.
उसकी चूत से निकल रहा वो निर्मल जल मैने अपने मुँह मे कर लिया वाह क्या मजेदार स्वाद था उसका. एकदम मस्त अब मैं बहुत ही गरम और मदमस्त हो गया था अभी मुझे चोदने की बहुत ही इच्छा हो रही थी. परंतु उससे पहले मुझे लगा क्यू ना थोड़ा सा जलपान करले, मैने बहू को अपने बाजू मे बैठने का इशारा किया. और उसकी एक चुचि पकड़ के उसका निपल अपने मूह मे डालके दुग्ध पान करने लगा.
बहू बोली "ये क्या करते हो "
मैं बोला "प्यार"
बहू बोली "ये कैसा प्यार …..ये तुम्हारे लिए थोड़ी ही है"
मैं बोला "मेरी प्यारी रानी यही मेरा प्यार है …..और जो तुम्हारा है वो अब सब हमारा है…." और उसकी दूसरे चुचि पे हाथ रख के सहलाने लगा.
स्तानो से निकल रहे दूध का स्वाद तो एकदम ही बढ़िया था. मैं 1 निपल चूसे जा रहा था और दूसरी चुचि को सहला रहा था और नीचे सेठानी मेरे लंड कोअपने मूह मे लेके फिरसे अंदर बाहर कर रही थी. तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया. क्यू ना सेठानी की गांद मार दी जाए. मैं इस कल्पना से बहाल हो गया पर मुझे पता था सेठानी मुझे कभी अपनी गांद मारने नही देगी. तो इसलिए मैने अभी बहू को किस करते हुए उठाया. और उसके कानो को किस करना शुरू किया. और किस करते करते मैने अपनी इच्छा सेठानी की गांद मारने की बहू से बोल दी. बहू ने भी मुझे किस करने का बहाना करते हुए मेरे एक कान को अपने मूह मे लिया और चबाने लगी और चूसने लगी. और हल्केसे मेरे कान मे बोल दिया कि तुम सासू मा को उठाके बर्त पे नीचे मुंदी करके डाल दो आगे का मैं संभाल लूँगी. ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया.
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