RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--3 गतान्क से आगे......
मैने अब बहू की चूत को नज़दीक से देखना शुरू किया और उसपे ज़ोर से थुका. डेलिवरी के कारण चूत के बाल थोड़े थोड़े ही उगे थे पूरे घने नही थे इसलिए चूत के बालो मे उसकी गुलाबी रंग की चिड़िया सुंदर लग रही थी. मैने अब बहू को एक बर्त पे बिठा दिया और सेठानी को बहू की चुचिया चूसने के लिए कह दिया. वो चुचिया चूसने लगी. और इधर बहू की तड़प और बढ़ गयी. रात के 12 बज चुके थे परंतु यहा समय की फ़िक्र थी किसे. मैने नीचे बैठकर बहू की टाँगो के बीच अपना मूह घुसेड दिया. और बहू के गुलाबी रंग के दाने को हल्के से चबा दिया. वो तिलमिला उठी. मैने अपनी जीभ को सीधे करते हुए सीधे चूत के होल मे डाल दिया और मेरी जीभ होल के अंदर जाते ही बहू तड़पने लगी और मैने ज़ोर्से जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
बहू ज़ोर्से चिल्लाई "मा के लव्दे ….मेरी भूक तेरी जीभ से नही लंड से जाएगी …तेरी जीभ को निकाल और लंड को अंदर डाल" मैं बोला "हा रानी….क्यू नही ज़रूर …. परंतु बाद मे बाहर निकालने के लिए नही कहना नहितो तेरी गांद फाड़ के रख दूँगा इसी लंड से ….." अब मुझसे रहा नही जा रहा था. मैने अपने लंड पे थुका और सेठानी के मूह मे देते हुए कहा "माजी आपकी बहू की चुदाई होनेवाली है…… इस हथियार को ज़रा अच्छे तैय्यार कीजिए …." और वो थोड़ी मुस्कुराइ.
अब मैने सेठानी के मूह से लंड निकाला और बहू की गुलाबी चूत पर रख दिया मेरा गदाड़ रंग का लंड और उसकी गुलाबी की रंग की चूत. वाह क्या मिलाप था!!!!!! सेठानी ने लंड के सूपदे को थूक लगाई और बहू के चूत के छोटेसे नन्हे से होल के उपर सूपड़ा रख दिया. और मैने हर बार की तरह पूरे बल के साथ एक ज़ोर का झटका मारा. और बहू चीख उठी."आअए..ईयीई.उउईईईई माआ…..आआऐईईईईई उउउउईइ" उसकी मूह से चीत्कार निकली और अब सेठानी की बारी थी उसने वोही कपड़ा उठाया और बहू के मूह मे घुसेड दिया और हस्ने लगी. अब मैने अपनी गति को बढ़ाया. इधर बहू के मूह से आवाज़ आ रही थी. मुझे लगा था कि डेलिवरी के कारण बहू की चूत बहुत ही ढीली पड़ गयी होगी, परंतु 4 महिने के अंतर मे उसकी चूत फिर पहले के जैसे टाइट बन गयी. मेरा हर धक्का मुझे असीम आनंद दे रहा था. और मैं बहू की चूत का हर 1 पल अपने जहेन मे रखने की कोशिश कर रहा था. वाह क्या दिन निकल पड़े थे मेरे.
2-2 चूत, एक लाल और एक गुलाबी और वो भी इतनी हसीन की पूछो मत, लंड डालो उनमे तो बस 1 ही चीज़ याद आती है….स्वर्ग कैसा होता होगा…….मैने अब रफ़्तार बढ़ाई और ज़ोर के झटको के कारण बहू सहेम सी गयी और उसका हिलना अचानक बंद हो गया. तो सेठानी ने उसके मूह पे बोतल से निकाल कर पानी मारा, वैसे वो फिरसे चिल्लाने लगी और मेरे लंड को निकालने की मिन्नते करनी लगी. मैं बोला "बस हो गया दो मिनिट बहू रानी " कहते हुए ऐसा झटका लगाया की बहू के होश ठिकाने पे आ गये. टाइट चूत की बजह से मेरा अभी वीर्यपत होनेवाला ही था कि इतने मे बहू भी झड़ी .और मैने अपने वीर्य की फुव्वारे उसकी चूत के अंदर छोड़ दिए ….असीम आनंद का क्षण थॉ वो मेरे लिए …..अब मैं बर्त पे बैठ गया और अपनी सांसो को नियंत्रणा मे लाने की कोशिश करने लगा …उधर सेठानी ने बहू की चूत से निकलने वाले वीर्य को चाटना शुरू कर दिया.
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