RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
ज़िप खोलते ही मेरा पहाड़ जैसा लंड बाहर या और सेठानी उसे देखते रह गयी बोली " मुझे माफ़ कर दो मुझे तुम्हारी औकात का पता नही था, मैं जाती हू मुझे जाने दो " मैने सेठानी की सारी पकड़ली चूत के नज़दीक के झाँत बाल सहलाए और हल्केसे खिचे, और वो ज़ोर से कराह उठी. उसकी चूत के बाल मेरे हाथ मे थे और वो मदमस्त दिख रही थी. उसके लाल लाल होंठो को मैं दांतो से चबाने लगा और उसका मुख रस अपने मुँह मे लेने लगा. मैने सेठानी को बोला "तुम यहा आई अपनी मर्ज़ी से हो जाओगी मेरी मार्जिसे रंडी" और वो थोड़ी डर सी गयी.
मैने उसकी सारी खोलने लगा. जैसे ही सारी खोल रहा था उसका वो असीम सौन्दर्य अपनी खुली आँखो मे समाने लगा, अब मेरे लंड के सूपदे से पानी निकलने लगा, मैने सारी खोली और खड़े खड़े ही उसके पीठ से चिपक गया, उसकेगालो को सहलाते हुए, लंड को उसकी गांद के दो पहाड़ो की झिर्री के बीच निकर्स से घिसने लगा…उसकी गांद का घेराव बहुत ही मस्त था….अब मुझे बहुत ही आनंद आ रा था, और अभी मैं पीठ को पूरी तरह से चिपक गया, और उसके शरीर को अपने अंदर महसूस करने लगा …मेरा अंग अंग रोमांचित हो रहा था…और उसी वक़्त मैने सोच लिया की एक दिन मैं इसकी गांद इस तरह फड़ुँगा कि ये किसीसे चुदवाने से पहले 10 बार सोचेगी. अब मैने सेठानी की निकर भी निकाल दी.
सेठानी सिर्फ़ ब्लू ब्लाउस मे मेरे सामने खड़ी थी. उस अपारदर्शक ब्लाउस से उसकी चुचया सॉफ दिख रही. एक चुचि को मूह मे लेके मैं उसे ब्लाउस के बाहर से ही चाटने लगा….ब्लाउस गीला हो रहा और सेठानी का निपल सख़्त होते जा रहे थे उसके तंग ब्लाउस से उसके कांख के नीचे के काले बाल दिख रहे थे थोड़े थोड़े मैने उन्हे थोड़ा सा खिचा…"एयेए…आ…ईयीई"…और वो आगे पीछे डोलने लगी थी मैने 1 चुचि को हल्केसे काट लिया सेठानी बोली "होले होले" मैं हस्ने लगा….और मैने फिरसे काट दिया …और वो कराह उठी…..उसकी आँखे लाल हो रही थी और गाल मानो जैसे टमाटर की तरह फूल रहे थे. मैने उसे वही नीचे बिठा दिया और मूह पे एक चपत लगा दी. वो दर्द से करहकर उठी बोली "तुम आदमी हो या जानवर, मारते हो …गधे जैसा तुम्हारा लंड है, इतना बड़ा 10 इंच का लंड मैने आज तक नही देखा है, मुझमे इतनी हिम्मत नही है कि मैं इससे जूझ पाउ, मुझे जाने दो."
मैने एक ना सुनी और मेरा लंड उसके मूह मे घुसेड दिया. और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. उसके मूह से गु गुगु गुगु गु की आवाज़ आने लगी. और उसकी आँखो मे पानी आ गया. जब मैने लंड बाहर निकाला तो वो ज़ोर्से हाफ़ रही थी. मैने मूह पे 1 और थप्पड़ मारा और कहा "इस उमर मे ऐसी हरकते करती हो तुम्हे सज़ा मिलनी ही चाहिए" मैने उसे वही खड़ा किया और उसकी चूत को सहलाने लगा, उसकी सासे तेज़ होने लगी और मैने ज़ोर से 1 उंगली अंदर घुसेड दी. वो चिल्लाने लगी वैसे ही मैने उसके मूह पे हाथ रख दिया. उसके हाथ पैर हिलने लगे.
अब मैने उसे कुत्ति की तरह आसान बनाके के खड़ा कर दिया . और बोला "ये ले मेरी रानी ……..मन मे बोला तू तो अब गयी" मैने अपना लंड उसकी चूत के उपर लगाया ..वो गोरी गोरी चूत काले घने बालो के बीच से मेरे लंड के सूपदे को पुकार रही थी. सेठानी की चूत की लाल लकीर काले बालो के बीच मे बहुत ही नाज़ुक और कोमल लग रही थी. मैने उसपे थोड़ा थुका, और चटा और और 1 उंगली डाल दी. सेठानी तड़पने लगी. मैने और थुका और चूत के लिप्स को अलग करते हुए अंदर देखने लगा. मैं जीवन मे पहली बार कोई चूत देख रहा था. वो इतनी हसीन थी कि लग रहा था कि देखते रहू..मैं सेठानी के चूतड़ मे उंगलिया डाल डाल के उसके लिप्स को बाजू कर कर के अंदर देख रहा था और थूक रहा था ऐसे लग रा था मानो मैं स्वर्ग मे हू. मैने अब चूत के अंदर के छोटेसे होल मे तीन उंगलिया डाली और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा. सेठानी तड़पने लगी और बोलने लगी "हल्लू हल्लू बहुत दुख रहा है वाहा ….हल्ल्लू हल्लू ".
मैने अभी देर ठीक नही समझी और मेरा लॉडा सेठानी के चूतड़ पे रखा और ज़ोर का झटका देके अंदर घुसेड दिया 1 ट्राइ मे 4 इंच अंदर चला गया और सेठानी बिखलने लगी "बाहर निकालो बाहर निकालो मैं मर जाउन्गि….बहुत दर्द हो रहा है" मैं बोला "अरे अभी तो आधा भी अंदर नही गया और बाहर निकालो चुपचाप खड़ी रहो मेरी रानी नही तो बाहर जाके सेठ जी को बोलता हू तेरी बीवी चुड़क्कड़ रांड़ है और सब से चुदवाती है तेरी रानी " इसके बाद वो कुछ ना बोली. सेठानी की चूत बहुत ही टाइट थी. इसके कारण मेरा लंड एकदम जाम हो गया हो ऐसे लग रहा था.
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