RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
“ अरे नहीं बेटी सब कुच्छ कहाँ दिखा. हां तुम्हारी पॅंटी ज़रूर नज़र आ रही थी. सिर्फ़ पॅंटी नज़र आती तब भी हम ध्यान नहीं देते लेकिन पॅंटी में कसी हुई तुम्हारी चूत का उभार तो हम देखते ही रह गये. हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि 16 साल की उमर में ही हमारी बेटी की चूत इतनी फूली हुई होगी. सच हम तो उसी दिन से अपनी बिटिया रानी के दीवाने हो गये थे.” शराब का नशा और वासना की आग में अब पापा बिना किसी झिझक के अपनी बेटी की चूत के बारे में बातें कर रहे थे. मेरे पास उनसे सब कुच्छ उगलवाने का बहुत अच्छा मोका था.
“झूट ! बिल्कुल झूट. आप तो हमेशा मम्मी के ही आगे पीछे घूमते रहते थे. हमारी तरफ तो आपने कभी देखा ही नहीं. हम कब जवान हुए और कब हमारी शादी हो गयी, आपको तो पता ही नहीं चला होगा.” मैं पापा के बारे बारे बॉल्स सहलाते हुए बोली.
“ नहीं बेटी, ऐसा ना कहो. तुम्हारी बड़ी होती चूचिओ पे तो हमारी नज़र बहुत पहले से ही थी लेकिन जिस दिन पॅंटी में कसी हुई तुम्हारी फूली हुई चूत देखी तब से तो हम तुम्हारी चूत के भी दीवाने हो गये. हमेशा तुम्हारी स्कर्ट के नीचे झाँकने का मोका ढूढ़ते थे. लेकिन ये सब तुम्हारी मम्मी की नज़र बचा के करना आसान नहीं था. बाथरूम में जा के तुम्हारी उतारी हुई पॅंटी को एक बार जब सूँघा तो ज़िंदगी में पहली बार एक कुँवारी चूत की खुश्बू का नशा कैसा होता है, पता चला. सच हमारी बिटिया रानी की चूत की खुश्बू हमे पागल बना देती थी. और तुम्हारी झांतों के लंबे लंबे बाल भी कभी कभी तुम्हारी पॅंटी में लगे मिलते थे. हम तो वो दिन कभी भुला नहीं सकते. ज़रा देखें हमारी बिटिया की चूत पे अब भी उतने ही बाल हैं की नहीं.” ये कहते हुए पापा ने मेरी पॅंटी नीचे सरका दी और मेरी घनी झांतों में हाथ फेरने लगे.
“ इसस्स्सस्स…आआआआअ…..बहुत लंबे हैं ना बाल पापा ?”
“ हां बेटी बहुत ही घने हैं. जब औरत नंगी हो जाती है तो औरत की चूत के बाल ही उसकी लाज होते हैं, उसका गहना होते हैं और उसका शृंगार होते हैं.”
“ लेकिन पापा, मम्मी की में और हमारी में ऐसा क्या फरक था ? सभी औरतों की एक ही सी तो होती है.”
“तुम नहीं समझोगी बेटी. एक कुँवारी चूत और कई बार चुदी हुई चूत की खुश्बू में बहुत फरक होता है. सच तुम्हारी कुँवारी चूत की खुश्बू ने तो हमे पागल कर दिया था. जिस दिन स्कर्ट के नीचे से तुम्हारी पॅंटी में कसी हुई चूत की झलक मिल जाती हम धन्य हो जाते.” पापा मेरी चूत को ज़ोर से मसल्ते हुए बोले.
“ इसस्स..आऐ….अगर आपको हमारी इतनी अच्छी लगती थी तो कभी लेने की इच्छा नहीं हुई ?”
“ बहुत मन करता था. लेकिन अपनी 16 साल की फूल सी बेटी की कुँवारी चूत लेते हुए डर भी लगता था. और फिर तुम्हारी मम्मी भी हमेशा घर में होती थी.”
“ झूट ! जिसका लेने का दिल करता है वो किसी भी तरह ले लेता है. आप हमारी लेना ही नहीं चाहते होंगे. मम्मी की तो आप रोज़ लेते थे और कभी कभी तो सारी सारी रात लेते थे.”
“ ये सब तुम्हें कैसे पता बेटी ?”
“ मम्मी की मुँह से आवाज़ें जो आती थी.”
“ किसी आवाज़ें ?”
“ वैसी आवाज़ें जो एक औरत के मुँह से उस वक़्त निकलती हैं जब कोई दमदार मरद उसकी ले रहा होता है.” मैं पापा के मोटे लॉड को दबाते हुए बोली. “और उस वक़्त तो आपको अपनी बेटी की याद भी नहीं आती होगी.”
“बेटी तुम्हारी कसम, जब से तुम्हारी पॅंटी में कसी हुई चूत के दर्शन हुए तब से हम चोदते तुम्हारी मम्मी को ज़रूर थे लेकिन ये सोच सोच के कि हम अपनी 16 साल की प्यारी बिटिया की कुँवारी चूत चोद रहे हैं. एक बार तो मम्मी को चोदते हुए हमारे मुँह से तुम्हारा नाम भी निकल गया . बड़ी मुश्किल से हमने बात पलटी थी नहीं तो तुम्हारी मम्मी को शक हो जाता.” पापा के चूत पे हाथ फेरने से मेरी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी और चूत का रस बाहर निकल कर मेरी झांतों को भी गीला कर रहा था. पापा की उंगलियाँ भी शायद चूत के रस में गीली हो गयी थी क्योंकि अचानक पापा ने एक उंगली मेरी गीली चूत में सरका दी.
“ऊऊिइ….इससस्स…पापा ! … अगर आपने सचमुच हमारी 16 साल की उमर में ले ली होती तो आज हमारी वो किसी और के लायक नहीं रह जाती.”
“ऐसा क्यों कहती हो कंचन ?”
“आपका ये कितना मोटा है. हमारी कुँवारी चूत का क्या हाल कर देता. कभी सोचा भी है ? हमारे पति को सुहाग रात को ही पता चल जाता.” अब तो मैने भी ‘चूत’ जैसे शब्द का इस्तेमाल कर लिया. मैं जानती थी कि लोहा अब काफ़ी गरम था.
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