RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
रश्मि जब ये सब कह रही थी तो सन्नी उसे घुरे जा रहा था. अचानक रश्मि की नज़र सन्नी पर पड़ी.
"धात तेरी, माफ़ करना सन्नी पर में क्या करूँ तुम्हारे पिताजी मेरी गांद को छोड़ते ही नही. बस एक बार हाथ मे आनी चाहिए." उसने लगभग माफी माँगते हुए कहा.
"रवि और बबिता कहाँ है?" रश्मि ने पूछा.
"उनकी चुदाई अभी अभी ख़त्म हुई है." राज ने कहा.
"वो दोनो अभी तक बिस्तर मे है, फिर तो मज़ा आएगा मेरी चूत मे जोरों की खुजली हो रही है." कहते हुए रश्मि कमरे मे घुस गयी.
"देखना चाहोगे?" मेने सन्नी से पूछा.
सन्नी ने सिर्फ़ अपनी गर्दन हां मे हिला दी. हम तीनो फिर कमरे मे झाँकने लगे. रश्मि बिस्तर पर चढ़ अपनी चूत बबिता के मुँह पर रख दी थी, और बबिता जोरों से उसकी चूत को चूसने लगी थी. हमने उन तीनो को उनके हाल पर छोड़ा और नीचे आकर नाश्ते का इंतेज़ाम करने लगे.
थोड़ी देर बाद प्रशांत नाश्ते की टेबल पर आया. नाशत करने के बाद वो अपनी ऑफीस काम पर चला गया. थोड़ी देर बाद रवि आया तो मेने पूछा की बबिता और रश्मि क्या कर रहे है.
"वो दोनो अभी भी चुदाई कर रहे है, में जब कमरे से निकला तो बबिता नकली लंड लगा रश्मि को चोद रही थी." रवि ने जवाब दिया.
जब रवि ने ये कहा तो वो सन्नी को देख रहा था उसे लगा की सन्नी कुछ कहेगा. पर अब सन्नी सब कुछ समझ गया था इसलिए वो चुपचाप अपना नाश्ता करता रहा. रवि हम सब के साथ नाश्ता करने लगा, तभी बबिता और रश्मि भी आ गयी.
"में तो भूक के मारे मरे जा रही हूँ." बबिता ने कहा.
"में भी." रश्मि भी बोल पड़ी.
"एक दूसरे की चूत चूस कर क्या तुम दोनो का पेट नही भरा," रवि उन्हे चिढ़ाते हुए बोला.
"रवि तुम अपने काम से काम रखो समझे." बबिता और रश्मि साथ मे बोल पड़ी.
हम सब इनकी बाते सुनकर जोरों से हंस पड़े. हम सब ने नाश्ता किया और फिर सब हॉल मे आकर बैठ गये.
"तो फिर तुम सबका आज का प्रोग्राम क्या है?" मेने पूछा.
हम सबके बीच ये तय हुआ कि सुबह हम सब आराम करेंगे. फिर दोपहर का खाना खाने के बाद थोड़ी देर गार्डेन मे धूप सेकेंगे.
करीब शाम के वक़्त रवि मुझे और बबिता को नीचे बुलाने आया. जब हम नीचे पहुँचे तो राज और सन्नी को रश्मि की चुदाई करते देख चौंक पड़े.
रवि हमे घसीट कर कमरे मे ले आया और अपने कपड़े उतार बबिता के कपड़े उतारने लगा. मेने भी उनकी देखा देख अपने कपड़े उतारे और अब कमरे हम छ लोग एक दम नंगे थे.
बबिता को देख मुझे लग रहा था कि वो थोड़ी चिंतित है, अपने बेटे के सामने उसे इस तरह नंगा होना अलग बात है, पर साथ मे सामूहिक चुदाई मे हिस्सा लेना अलग बात थी. पर राज और रश्मि शायद तय कर चुके थे कि किसे क्या करना है.
राज ने ये तय किया कि सन्नी और बबिता हम सब के बीच मे रहेंगे क्यों कि वो हमारे मेहमान थे. बबिता इस तरह लेटी थी कि रश्मि उसपर 69 की अवस्था मे थी. सन्नी बबिता की गंद मारेगा, और रवि रस्मी क़ी. मुझे इस तरह घोड़ी बना दिया गया था कि में चारों को देख सकूँ और मेरा बेटा मेरी गंद मारेगा.
सन्नी को अपनी मा के साथ इस तरह चुदाई मे हिस्सा लेने मे तकलीफ़ हो रही थी, इसलिए राज ने अपना लंड मेरी गंद से निकाला और सन्नी की गंद मे घुसा दिया. जब सन्नी काफ़ी उत्तेजित हो गया तब उसने अपना लंड अपनी मा की गंद मे घुसा दिया.
राज ने फिर अपना लंड मेरी गंद मे घुसा दिया और मेरी गंद मारने लगा.
सन्नी इतना उत्तेजित हो गया था कि अब उसे ये परवाह नही थी कि वो अपना लंड किसकी गंद या चूत मे घुसा रहा है, उसे तो मतलब था सिर्फ़ चोदने से.
बबिता भी रश्मि की चूत चूस्ते हुए उत्तेजना मे इतनी खोई हुई थी कि वो ये भूल गयी की उसकी गंद मे उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है. उसे तो बस इतना पता था कि रश्मि उसकी चूत को चूस कर उसे मज़ा दे रही थी.
थोड़ी देर मे रवि ने अपना वीर्य रश्मि की गंद मे छोड़ दिया और सन्नी ने बबिता की और दोनो औरतें अपने चूत का रस एक दूसरे के मुँह मे छोड़ रही थी. राज मेरी गंद मे झाड़ा तभी मेने अपना रस अपने हाथों पे छोड़ दिया.
"हे भगवान मुझे विश्वास नही हो रहा कि मेने अपनी मा की गंद मारी है और उसकी गंद मे अपना वीर्य छोड़ा है." सन्नी उत्तेजना मे बोला.
"हां सन्नी अब तुम्हारा इस परिवार मे स्वागत है जहाँ तुमने परिवार की सब औरतों की चुदाई की जैसे मेने और रवि ने." राज ने सन्नी से कहा.
"आज मे पूरी तरह से छिनाल और रंडी बन गयी हूँ." बबिता रोते हुए बोली.
"अपने आपको इतना मत कोसो. ये सिर्फ़ जिस्मानी सुख के लिए किया गया और हम सब भी तो करते है." राज ने उसे समझाते हुए कहा.
"चलो अब सुख दुख, अच्छा बुरा इन सब बातों को छोड़ो और भविष्य मे हम कितना मज़ा कर सकते है ये सोचो." रश्मि ने कहा.
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