RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
हम दोनो उठ कर तय्यार हुए और किचन मे जाकर सब के लिए कॉफी बनाने लगे. में और रश्मि डाइनिंग टेबल पर अपनी कॉफी पी रहे थे की बबिता भी आ गयी. वो पूरी तरह से थॅकी हुई लग रही थी. वो अधमरी हालत मे कुर्सी पर बैठ गयी और अपने लिए कॉफी डालने लगी.
"रवि कहाँ है?" रश्मि ने पूछा.
"वो बाथरूम मे नहा रहा है. रश्मि रवि मे बड़ी ताक़त है, दिन रात चुदाई करके वो कभी थकता नही है?" बबिता गहरी साँस लेते हुए बोली.
"क्या सुबह भी उसने तुम्हारी चुदाई की थी?" रश्मि ने उसे चीढ़या.
"बड़ा बेरहम है रवि, सुबह पूरे एक घंटे तक वो मुझे चोद्ता रहा. फिर पिशाब करने के बाद उसने मेरी गांद मारी और उसे अपने वीर्य से भर दिया. जब वो मेरी गांद मार रहा था तो मुझे लगा कि में किसी घोड़े से चुदवा रही है." बबिता ने बताया.
"तुम्हारी गांद कैसी है, कहीं फॅट तो नही गयी?" मेने अपनी बेहन से पूछा.
"नही फटी तो नही है, पर थोड़ी सूज गयी है और दर्द भी काफ़ी हो रहा है." बबिता ने कहा.
"रवि के लंड को अपनी गंद मे झेलने मे तुम्हे थोड़ा वक्त लगेगा. उसका लंड सही मे काफ़ी मोटा और लंबा है." मेने अपनी बेहन से कहा.
"हाँ अब तुम भी हमारे परिवार का हिस्सा बन गयी हो. इस घर की हर औरत ने रवि के लंड अपनी गंद मे लिया है." रश्मि हंसते हुए बोली.
थोड़ी देर मे राज और रवि भी आ गये. नाश्ता करते हुए हम सभी ने तय किया कि हम सब सन्नी के साथ ठीक से पेश आएँगे. हम अपने साथी के साथ ही सोएंगे जिससे उस बच्चे को कोई शक़ ना हो. रवि उसके साथ उसके कमरे मे सोएगा. घर अब कोई नंगा नही घूमेगा और ना ही खुले आम कोई चुदाई करेगा. बबिता को प्रशांत की लगाम पकड़ कर रखनी होगी जिससे वो रश्मि की गंद के पीछे ना भागे.
बाकी के सारे दिन हम हँसी माज़ाक करते रहे. पर रश्मि राज और रवि कहाँ मानने वाले थे. दोपहर को भी उन तीनो ने जम कर चुदाई की.
दोपहर को हम पाँचो छत पर बैठे थे. रश्मि बबिता की तेल से मालिश कर रही थी. थोड़ी देर बाद बबिता रश्मि के शरीर की मालिश करने लगी. वो रश्मि के पीठ पर, पैरों पर और चूतड़ पर तेल मसल रही थी. तभी बबिता ने अपनी एक उंगली उसकी गंद मे घुसा दी.
"क्या गंद के अंदर ही मालिश करोगी?" रश्मि ने पूछा.
"नही चूत की भी करूँगी, ज़रा घुमो तो?" बबिता ने कहा.
रश्मि घूम कर पीठ के बल लेट गयी. बबिता ने अपने हाथों मे थोड़ा तेल लिया और उसकी चुचियों की मालिश करने लगी. वो उसके निपल को हल्के से भींच देती. फिर बबिता ने अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और उसकी चूत की चारों तरफ तेल की मालिश करने लगी.
रश्मि की साँसे तेज होने लग गयी थी. बबिता ने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर डाल दी थी. अब वो धीरे धीरे अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
बबिता ने रश्मि की चूत मे उंगली अंदर बाहर करते हुए अपनी एक उंगली उसकी गांद मे घुसा दी. फिर उसने अपना सिर नीचे झुका अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया. अब वो उसकी गांद मे उंगली करते हुए उसकी चूत को चूस रही थी.
"ओह आआआआआं हााआआं चूऊऊओसो मेरिइइ चूऊत को ऑश." रश्मि उत्तेजना मे चिल्ला रही थी.
बबिता राशिमी की गंद मे उंगली किए जा रही थी और उसकी चूत को जोरों से चूस रही थी की रश्मि का शरीर ज़ोर से आकड़ा. रश्मि ने अपने हाथों से बबिता के सिर को अपनी चूत पर दावा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. बबिता ने अपना मुँह पूरा खोल उसकी चूत को मुँह मे भर लिया और उसका रस पीने लगी.
"ओह बबिता मज़ा आ गया, तुमने इन दीनो में काफ़ी सीख लिया है कि किसी औरत की चूत कैसे चूसी जाती है, लाओ अब में तुम्हारी चूत चूस दूं." रश्मि ने कहा.
बबिता भी उत्तेजना मे पागल हो रही थी, उसे भी अपनी चूत का पानी छुड़वाना था. बबिता बिस्तर पर पट लेट गयी और राशनी उसकी टाँगो के बीच आ गयी. रश्मि ने उसकी चूत को अपने मुँह भर चूसने लगी.
"रश्मि अपनी उंगली मेरी गंद मे डाल अंदर बाहर करो ना?" बबिता गिड़गिडाई.
रश्मि ने अपनी उंगली पर थोड़ा तेल लगाया और उसकी गंद मे पहले एक उंगली फिर दो उंगली डाल अंदर बाहर करने लगी. इस दोहरे मज़े से बबिता सिसक पड़ी. "ओह हाां राआहमी आईससीई ही करूऊ बहुत आछःःआ लग रहा हाईईइ."
इतने मे राज और रवि अपने खड़े लंड को लेकर दोनो औरतों के पास आ गये, "क्या तुम दोनो कुछ हमारी मदद कर सकती हो?" रवि ने अपने लंड को हिलाते हुए कहा.
रश्मि ने राज को पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया फिर बबिता को उसके उपर चढ़ा उसके लंड को उसकी गांद मे डाल दिया. रवि इस तरह से बबिता के सामने खड़ा हो गया कि उसका लंड ठीक उसके मुँह के सामने था. बबिता अपना मुँह खोल उसके लंड को अंदर ले चूसने लगी.
"प्रीति यहाँ आओ और अपनी बेहन की चुचियाँ चूसो?" रश्मि ने मुझे हुक्म देते हुए कहा.
में बबिता के बगल मे बैठ गयी और उसकी चुचियों को मसल्ने और चूसने लगी.
रश्मि फिर से बबिता की चूत चूसने लगी और राज नीचे से धक्के लगा उसकी गांद मार रहा था. बबिता जोरों से सिसक रही थी. बबिता की चूत ने कई बार पानी छोड़ा और राज ने अपना वीर्य उसकी गंद मे छोड़ दिया और रवि ने उसके मुँह मे. रस्मी का मुँह बबिता के वीर्य से भर गया था. हम पाँचो थक कर निढाल पड़ गये थे.
"आज की शाम का तो मज़ा आ गया." बबिता ने कहा.
"मेरे शरीर की मालिश करते हुए ये सब तुमने शुरू किया था." रश्मि हंसते हुए कहा.
"अगर मालिश करने का आंजाम ये है तो में हमेशा तुम्हारी मालिश करना चाहूँगी." बबिता ने जवाब दिया.
बाकी की शाम हम सब हँसी मज़ाक करते हुए गुज़ारा. रात का खाना खाने के बाद हम सब हॉल मे बैठ कर प्रशांत और उसके बेटे सन्नी का इंतेज़ार करने लगे. वो दोनो काफ़ी लेट आए. सबसे परिचय के बाद हम सब बैठे बात कर रहे थे. प्रशांत काफ़ी गरम होकर आया था और रश्मि की गंद मे अपना लंड देना चाहता था, पर बबिता ने उसे बड़ी मुश्किल से समझाया. प्रशांत को अपनी बीवी की गंद से ही संतोष करना पड़ा उस रात.
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