RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
गतान्क से आगे......
में बबिता और प्रशांत दरवाज़े पर खड़े राज, रश्मि और रवि को देख रहे थे. तीनो पूरी तरह से नंगे थे. रश्मि ने तो कोई जवाब का इंतेज़ार भी नही किया और डिल्डो को उठा अपनी चूत मे घुसा लिया.
प्रशांत और बबिता रश्मि को घूर रहे थे. बबिता बिस्तर पर लेट गयी और रश्मि को अपने उपर खींच डिल्डो के दूसरे सिरे को उसकी चूत मे घुसा दिया.
"अब तुम्हारी तीहरि चुदाई की बारी है, तुम्हारे पति को थोड़े आराम की ज़रूरत है इसलिए उनकी जगह मेने ले ली है." रश्मि ने कहा.
एक बार वो डिल्डो अछी तरह रश्मि और बबिता की चूत मे घुस चुका था, राज ने पीछे से अपना लंड उसकी गंद मे डाल दिया और रवि ने अपना लंड उसके मुँह मे दे दिया.
बबिता अस्चर्य भरी नज़रों से रवि के मोटे लंड को देख रही थी. उसके लंबे लंड को अब वो जोरों से चूस रही थी और अपने मूठ मे ले मसल भी रही थी. बीच मे वो उसके लंड को अपने थूक से भिगोति और फिर उसे चूसने लगती.
बबिता की अब तीहरी चुदाई हो रही थी. रश्मि नीचे से उसकी चूत मे धक्के मार रही थी और पीछे से राज उसकी गांद मार रहा था. रश्मि नीचे से धक्के मारते हुए खुद कितनी बार झड़ी उसे याद नही.
बबिता की चूत इस सामूहिक चुदाई से इतना पानी छोड़ रही थी जैसे कोई बाँध टूट गया हो. राज ने जोरों से धक्का मारते हुए उसकी गंद मे अपना वीर्य छोड़ दिया. रवि सबसे आख़िर मे झाड़ा, पर शायद बबिता इसके लिए तय्यार नही थी.
रवि के लंड ने जोरों का फावरा बबिता के मुँह मे छोड़ा, इसके पहले की बबिता उस वीर्य को निगलती दूसरी पिचकारी ने फिर उसके मुँह को भर दिया. रवि का वीर्य उसके मुँह से बहता हुआ उसकी तोड़ी से होता हुआ उसकी चुचियों पर गिर रहा था.
रश्मि ने बबिता को अपने पास खींचा और उसेक होठों से और चेहरे से रवि के वीर्य को चाटने लगी. उसने पूरा वीर्य चाट कर बबिता का चेहरा सॉफ कर दिया.
प्रशांत और बबिता, रश्मि राज और रवि के व्यवहार से चौंक से गये थे. ठीक है सेक्स उन्हे भी अच्छा लगता था पर इतना खुल्लम खुल्ला और सामूहिक चुदाई के ये आनंद उन्हे और उत्तेजित कर गया था.
बबिता को मेने सब पहले से बताया था, पर सुनने मे और हक़ीकत मे ऐसी चुदाई करने मे ज़मीन आसमान का फ़र्क था. प्रशांत का लंड बबिता की चुदाई देखकर एक बार फिर खड़ा हो गया था. वो रश्मि की गांद मे लंड डाल उसे चोदना चाहता था.
रश्मि इसके लिए तय्यार होगयि सिर्फ़ इस शर्त पर कि उसे बबिता की चूत चूसनी है. प्रशांत को रश्मि की गांद मारने मे मज़ा आया और थोड़ी ही देर मे वो झाड़ गया. रश्मि जोरों से बबिता की चूत चूस रही थी और साथ ही साथ डिल्डो उसकी गंद मे घुसा अंदर बाहर कर रही थी.
जब प्रशांत झाड़ कर अलग हो गया तो रश्मि इस अंदाज़ मे घूमी कि उसकी चूत अब बबिता के मुँह पर थी. बबिता ने रश्मि से वो डिल्डो ले लिया और रश्मि की चूत मे घुसा दिया, साथ ही वो उसकी चूत को अपनी जीब से चाट रही थी.
"ओह बब्ब्बीटा चूओत मे नाहि मेरी गाअंड मे डालो इसे." रश्मि सिसकते हुए बोली.
बबिता ने वो डिल्डो उसकी गंद मे घुसा अंदर बाहर करने लगी, और उसकी चूत को चूसने लगी. दोनो एक दूसरे की चूत को चूस रहे थे, ये नज़ारा लड़कों के लंड को खड़ा करने के लिए काफ़ी था.
तीनो जाकर बबिता के पास खड़े हो गये और अपने अपने लंड मसल्ने लगे. रश्मि के हटते ही रवि नीचे लेट गया और बबिता को अपने उपर करते हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.
प्रशांत उसकी पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गांद मे घुसा धक्के मारने लगा. और मेरा बेटा अपनी मासी के मुँह को छोड़ने लगा. आज की रात सही मे बबिता के नाम थी. उसके शरीर का एक भी ऐसा छेद नही बहका था जो छुड़ा ना हो. बबिता की चूत पानी पर पानी छोड़े जा रही थी. वो कितनी बार झड़ी अब तो ये गिनती भी याद नही थी.
"हे बबिता में रवि के लंड को अपने लंड से टकराते महसूस कर रहा हूँ." प्रशांत खुशी से चिल्लाया.
बबिता के दोनो छेद दोनो लंड से फैल गये थे. उसका शरीर आकड़ा और एक बार फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. राज ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया. थोड़ी देर बाद रवि और प्रशांत ने साथ साथ उसकी चूत और गांद मे पानी छोड़ दिया. बबिता उत्तेजना मे काँप रही थी.
"हे भगवान अब और सहन नही होता, प्लीज़ में थक गयी हूँ थोड़ा आराम करना चाहती हूँ." बबिता ने कहा.
सब कोई बुरी तरह थक गये थे और हम सबने ये तय किया कि अब सो जाना चाहिए. पूरा रविवार पड़ा था मज़ा करने के लिए. रात के साथी बदल गये थे, प्रशांत रश्मि के साथ, रवि बबिता के साथ और राज मेरे साथ. मुझे पता था कि बबिता को सुबह जब रवि अपने खड़े लंड से जागेगा तो उसे क्या मिलने वाला था.
रविवार एक मस्ती का दिन
रविवार की सुबह मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी का लंड मेरे छूतदों मे चुभ रहा है. मैं ये भूल गयी थी कि रात मे कौन मेरे साथ सोया था पर वो जो कोई भी था काफ़ी उत्तेजित था. उसके हाथ मेरी छाती पर आए मेरे मम्मो को मसल्ने लगे. वो अपनी उंगलियाँ मेरी निपल पर इस तरह फिराने लगा कि मेरे शरीर मे भी गर्म आ गयी.
"गुड मॉर्निंग मा! सुबह सुबह अगर मैं तुम्हारी गांद मारू तो तुम्हे बुरा तो नही लगेगा?" राज ने मुझसे पूछा.
अब मुझे याद आया राज मेरा बेटा मेरे साथ सोया था, और उसकी बीवी रश्मि मेरे जीजाजी यानी प्रशांत के साथ सोई थी, और मेरी बेहन बबिता रवि के साथ.
राज ने अपना लंड मेरी गांद मे डाल दिया और साथ साथ ही मेरी चूत मे अपनी उनली डाल अंदर बाहर करने लगा. वो इतना उत्तेजित था कि ज़्यादा देर नही ठहर सका और उसके लंड ने मेरी गंद मे पानी छोड़ दिया. उसने अपना लंड बाहर निकाला और बाथरूम मे चला गया. थोड़ी देर बाद वो नहा कर और कपड़े पहन बाहर आया.
|