RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
प्रशांत मूड कर गेस्ट रूम की ओर जाने लगा, मेने देखा कि उसका लंड खड़ा होकर पॅंट मे एक तंबू सा बन गया था. में सोच रही थी कि उसका लंड दिखने मे कितना बड़ा होगा? जिस हिसाब से सब कुछ हो रहा है, इससे ये सब मुझे जल्द ही पता लग जाएगा.
एक घंटे के बाद प्रशांत और बबिता तय्यार होकर आए. दोनो ही आज खूब सज धज कर आए थे. इन दोनो की जोड़ी वाकई मे बहोत ही सुन्दर लग रही थी. दोनो बाहर चले गये.
राज, रश्मि और रवि अपने दोस्तों के साथ बाहर चले गये. वो लोग रात को देरी से आने वाले थे, मैने खाना खाया और एक पतला सा गाउन बिना कुछ अंदर पहने सोफे पर बैठ पिक्चर देखने लगी. कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला. मेरी आँख तब खुली जब प्रशांत और बबिता घर आए.
मेने उठ कर दरवाज़ा खोला और बबिता को अपनी बाहों मे ले लिया. उसकी सांसो से शराब की महक आ रही थी. उसने भी मुझे बाहों मे लेते हुए मेरी पीठ सहलाई और फिर नीचे की ओर अपने हाथ लेजाकार मेरे कूल्हे सहलाने लगी. प्रशांत के सामने वो ऐसा कर रही थी ये देख में चौंक गयी थी.
"प्रीति क्या तुम मेरी ड्रेस उतार दोगि प्लीज़?" बबिता ने मुझसे कहा.
प्रशांत अभी भी कमरे मे ही था और वो मुझसे खुद के कपड़े उतारने को कह रही थी. प्रशांत हॉल मे पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया और हमे देखने लगा. मेने आगे बढ़ कर उसकी ड्रेस को उतार दिया. उसकी नंगी पीठ पर में अपने हाथ फिराने लगी, उसके बदन को स्पर्श करते ही मुझे महसूस हुआ की मेरी चूत गीली हो गयी है.
"प्रीति प्लीज़ रुकना नही, तुम्हारा हाथ काफ़ी गरम है और मुझे अपने शरीर पर तुम्हारा हाथ काफ़ी अच्छा लग रहा है." बबिता उत्तेजना भरे स्वर मे बोली.
में अपने हाथों से उसके बदन को सहलाने लगी. में ये भूल चुकी थी प्रशांत कमरे मे ही मौजूद था. मैं उसके भरे भरे मम्मो को अपने हाथों मे ले मसल्ने लगी. उसके निपल तन कर खड़े हो चुके थे. मेने अपने होठ उसके होंठ पर रख दिए. फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए मेने उसके कान की लाउ पर अपनी जीब फिराई फिर नीचे होते हुए उसकी चुचियों को चूसने लगी.
बबिता ने मेरा गाउन उठा उसे उतार दिया. फिर अपना हाथ मेरी चूत फिराते हुए उसने अपनी दो उंगली मेरी गीली चूत मे डाल दी. मेने अपने पावं को थोडा फैला उसकी उंगलियों को अपनी चूत मे जगह दी.
हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपते हुए खड़े थे, बबिता ने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मेरे होठों को चूसने लगी, मेने कनखियों से प्रशांत की ओर देखा. प्रशांत अपनी पॅंट और शर्ट उतार चुक्का था. कुर्सी पर बैठे अपनी अंडरवेर नीचे घुटनो तक खिसकाए वो अपने तने लंड को मसल रहा था. उसका लंड रवि जितना लंबा और मोटा तो नही थी फिर भी दिखने मे काफ़ी अच्छा लग रहा था.
बबिता ने मेरे चेहरे को एक बार फिर अपनी ओर घुमाया और मेरे होठों पर अपने होठ रखते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे घुसा दी. फिर अपने पावं की मदद से उसने मेरे पावं को थोडा फैलाया और एक बार फिर अपनी उंगलिया मेरी चूत मे डाल दी.
बबिता अब घुटनो के बल मेरे सामने बैठ गयी, पहले उसने मेरे पेट को चूमा फिर मेरी नाभि को और अब मेरी चूत के उपर अपनी ज़ुबान घूमाने लगी. मेने अपने हाथों से उसके सिर को अपनी चूत पर दबा दिया. बबिता ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत को थोड़ा फैलाया कि मेरी चूत से पानी टपक कर उसकी उंगलियों पर गिर पड़ा, वो उस पानी को अपनी जीब से चाटने लगी.
"ओह बाआबबीइता ओह बाआबिता." में बड़बड़ा रही थी.
"क्या रुक जाउ में?" बबिता ने हंसते हुए पूछा.
"नही, अच्छा लग रहा है, पर प्रशांत क्या सोचेगा." मेने कहा.
"प्रशांत को पता है." उसने कहा.
"पता है, क्या पता है?" मेने खुद से पूछा, मेने गर्दन घुमाई तो देखा वो अपने लंड को पकड़े जोरों से मूठ मार रहा था.
बबिता ने अपनी उंगली मेरी चूत से बाहर निकाली और चाट कर एकदम साफ कर दी. उसने एक बार फिर अपनी उंगली मेरी चूत मे डाली और फिर मेरे रस से भीगी अपनी उंगली को बाहर निकाला और मेरे मुँहे मे दे दी.
"लो अपने रस का स्वाद चाखो?" उसने कहा.
लगता था कि शराब का नशा उसे चढ़ा हुआ था. आज वो ज़्यादा उत्तेजित लग रही थी. मेने खूब जोरों से उसकी उंगलियों को चूसने लगी. बबिता ने अपने मुँह को मेरी चूत पर रखा और जोरों से चूसने लगी. उसका चेहरा मेरी गुलाबी चूत मे पूरी तरह से छुपा हुआ था और उसकी तीन उंगलिया मेरी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.
बबिता ने मेरे कूल्हे पकड़े और अपने मुँह पर और जोरों से दबा दिए. उसकी जीब मेरी चूत के चारों और घूमाते हुए चाट रही थी. मुझे लगा की मानो आज बबिता पागल हो गयी है, वो इतनी जोरों से मेरी चूत को चूस और चाट रही थी.
मेरी साँसे तेज हो गयी थी, जिसकी वजह से मेरी छातियाँ उपर नीचे हो रही थी. गहरी सांस लेते हुए मेने उसके सिर को और जोरों से अपनी चूत पर दबाया और पानी छोड़ दिया. बाहिता का पूरा चेहरा मेरे पानी से भीग गया था. में थक कर नीचे ज़मीन पर लुढ़क गयी.
मेने प्रशांत की ओर देखा, वो अब भी एक हाथ से अपने लंड को पकड़े मूठ मार रहा था और दूसरे हाथ से अपने अंडकोषों को सहला रहा था.
"क्यों ना हम बेडरूम मे चलते है? बच्चे कभी यहाँ आ सकते है." मेने एक कमज़ोर आवाज़ मे कहा.
वैसे तो राज, रश्मि और रवि को आनंद आता हमे इस हालात मे देखकर पर मे नही चाहती थी कि आज ये सब हो. जैसे हम कमरे में पहुँचे मेने बबिता को पलंग पर धकेल दिया और उसकी टाँगों को फैला दिया. अब में उसकी चूत वैसे ही चूसने जा रही थी जैसे उसने मेरी चूत थोड़ी देर पहले चूसी थी.
बबिता की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. मैं हल्के से अपनी ज़ुबान उसकी चूत के चारों और घूमाने लगी. में थोड़ी देर उसे तड़पाना और चिढ़ाना चाहती थी. उसने अपनी उंगली अपनी चूत मे डालने की कोशिश पर मेने उसके हाथ को झटक दिया.
बबिता ने एक बार फिर कोशिश की तो मेने उसके हाथों को उसके सिर के पीछे कर दिया और प्रशांत को मदद के लिए बुलाया. प्रशांत अब पूरी तरह नंगा हो चुक्का था, और जब उसने अपनी बीवी के हाथों को कस कर पकड़ा तो उसका तना हुआ लंड बबिता के चेहरे के ठीक सामने था.
में जोरों से अपनी ज़ुबान उसकी चूत पर फिरा रही थी. उसकी चूत और गरम और कड़ी होती जा रही थी. पर मेरे मन में तो आज उसकी चूत के साथ पूरी तरह खेलने का था, में बिस्तर से उठी और अपनी अलमारी से एक डिल्डो निकालने लगी.
"इसे कस के पकड़ के रखना?" मेने प्रशांत से कहा.
"प्रीति तुम क्या कर रही हो? कहाँ जा रही हो, प्लीज़ यहाँ वापस आओ मेरी चूत चूसो मुझे झड़ना है." बबिता सिसक कर बोली.
तभी बबिता ने मुझे अलमारी से वो नकली लंड निकालते देखा, "ये क्या हो रहा है, तुम इसके साथ क्या करने वाली हो?' वो थोड़ा डरते हुए पूछी.
"अब स्थिति तुम्हारे बस मे नही है बबिता, ये नकली लंड तुम्हे वासना उत्तेजना की उचाइन्यो तक ले जाएगा ये में जानती हू." मेने कहा.
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