RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
राज, रश्मि और रवि ने घर पर ही रहना चाहा. मुझे नही मालूम था कि उन तीनो के दिमाग़ मे क्या था, में तो बस यही प्रार्थना कर रही थी कि जब हम वापस आएँ तो वो अपने कमरे मे हों.
प्रशांत रवि के बारे मे जानने के लिए बहोत उत्सुक था. मेने उसे बता दिया कि रवि राज का जिगरी दोस्त है और कुछ दिनो के लिए हमारे साथ रह रहा है. बबिता मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी.
मेने देखा कि प्रशांत मेरी तरफ कुछ ज़्यादा ही आकर्षित हो रहा था. मेने ध्यान दिया कि जब हम रेस्टोरेंट मे खाने की लिए घुसे तो प्रशांत ने मेरे कूल्हे हल्के से सहला दिए थे. पर उस रात ये हरकत उसने कई बार की पर हर बार अंजान बना रहा.
जब हम तीनो घर पहुँचे तो मेने चैन की सांस ली. राज रश्मि और रवि अपने कमरे मे थे, वरना मेने तो सोचा था कि वो तीनो यही हॉल मे चुदाई कर रहे होंगे.
हम तीनो ने एक दूसरे से विदा ली और में अपने कमरे मे आ गयी. प्रशांत और बबिता गेस्ट बेडरूम मे चले गये. थोड़ी ही देर मे मुझे उनके सिसकने और मादकता के शब्द सुनाई देने लगे. मेने चुप चाप सो गयी, किसी को मेरे और मेरी बेहन के रिश्तों के बारे मे पता नही चला था.
शुक्रवार की शाम मेरी बेहन के नाम
शुक्रवार की सुबह प्रशांत अपने काम से चला गया. मैं और बबिता दोनो दोपहर को खाने के टेबल पर बैठे थे कि रश्मि भी हमारे साथ आ बैठ गयी. शाम तक हम सब बातें करते रहे. बबिता रश्मि के साथ काफ़ी घुलमिल गयी थी.
शाम को मैं सब के लिए चाइ बनाने किचन मे चली गयी. वापस लौटती हूँ तो देखती हूँ कि रस्मी और बबिता नंगे हो सोफे पर 69 की मुद्रा मे हो एक दूसरे की चूत चूस रहे थे.
दोनो एक दूसरे की चूत चूस रहे थे और साथ एक दूसरे की गंद मे उंगली डाल अंदर बाहर कर रहे थे, जब वो दोनो झड़कर अलग हुए तो मेने कहा, "चलो चाइ तय्यार हो पी लो. मुझे तुम दोनो को एक मिनिट के लिए भी अकेले नही छोड़ना चाहिए था." मेने हंसते हुए कहा.
बबिता पहले बोली, "तुम सही कहती थी प्रीति, रश्मि से अछी चूत कोई नही चूस्ता, तभी मैं सोचूँ कि ये इतनी अछी टीचर कैसे बन गयी."
"बहुत आसान काम है बबिता, जब तुम्हारी जैसी गरम और मुलायम चूत सामने हो तो कोई भी चूस सकता, सही बोलू तो चाइ के स्वाद से तुम्हारी चूत का स्वाद मुँह से चला गया, मैं तो एक बार फिर तुम्हारी चूत चूसना चाहूँगी." रश्मि अपने होठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली.
"आज से ये चूत तुम्हारी है, तुम जब चाहो इसे चूस सकती हो काट सकती हो." बबिता ने अपनी चूत पे हाथ फेरते हुए कहा.
"ज़रा आराम से बबिता, तुम्हारे और प्रशांत के सामने अभी तो पूरी रात बाकी पड़ी है." मेने बबिता को याद दिलाते हुए कहा.
"बबिता तुम लोग एक काम क्यों नही करती, दो तीन दिन रुकने के बजाए पूरा हफ़्ता क्यों नही रुक जाते, साथ मे मौज मस्ती करेंगे बहोत मज़ा आएगा." रश्मि ने कहा.
"पता नही, प्रशांत को वहाँ ऑफीस मे काम है और फिर मेरा बेटा सन्नी भी तो सोमवार को घर आने वाला है." बबिता ने बताया.
"बबिता ये घर तुम्हारा है, तुम लोग जितने दिन चाहो यहाँ रह सकते हो. फिर तुम प्रशांत से बात करके तो देखो, शायद कोई रास्ता निकल आए, फिर तुम सन्नी को यही बुला लेना." मेने कहा.
"सुनकर तो अच्छा लग रहा है, में प्रशांत से बात करके देखूँगी." बबिता थोड़ा खुश होते हुए बोली.
"बबिता घड़ी देख लो, आज तुम्हे प्रशांत के साथ बाहर भी तो जाना है, चलो तय्यार हो जाओ?" मेने बबिता को एक बार फिर याद दिलाया.
"हां तुम सही कह रही हो, मुझे अभी नहाना भी है और फिर बाल भी तो बनाना है." कहकर बबिता बाथरूम की ओर जाने लगी.
"अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो क्या में तुम्हारे साथ शवर ले लूँ?" रश्मि ने बबिता से कहा.
"मुझे क्या ऐतराज़ होगा, बल्कि मुझे तो मज़ा आएगा." बबिता ने रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ बाथरूम मे ले गयी.
"घड़ी पर नज़र रखना, प्रशांत टाइम का पाबंद है, मस्ती मे कहीं तुम समय को ही भूल जाओ." मेने पीछे से चिल्ला कर कहा.
करीब आधे घंटे बाद रश्मि बाथरूम से एक पारदर्शी गाउन पहने आई और सोफे पर बैठ गयी. दस मिनिट के बाद प्रशांत भी आया और पूछा, "बबिता कहाँ है?"
"वो गेस्ट रूम मे तय्यार हो रही है." मेने जवाब दिया. मेने गौर किया कि प्रशांत की नज़रें रश्मि के बदन पर गढ़ी हुई थी. वो उसके पारदर्शी गाउन से झलकते नंगे जिस्म को अपनी आँखों से नाप तौल रहा था.
"मैं भी जाकर तय्यार हो जाता हूँ." प्रशांत ने कहा.
|