RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
गतान्क से आगे......
आख़िरकार घर पर
हम चारों घर पहुँच बच्चो की तरह सो गये. सफ़र से इतना थक गये थे कि किसी मे भी हिम्मत नही थी. दूसरे दिन सब एक के बाद एक उठे.
सबसे पहले रवि सोकर उठा. जब सबको सोता हुआ देखा तो चुपचाप किचन मे जाकर सबके के लिए कॉफी बनाने लगा. फिर मेरी आँख खुली और मैं रवि के पास किचन मे जाकर उसके साथ डिन्निंग टेबल पर बैठ गयी. आख़िर रश्मि और राज भी आ गये और हमारे साथ कॉफी पीने लगे.
हम सब अपनी छुट्टियों की बात कर रहे थे कि तभी फोन की घंटी बजी, "इस समय कौन मुझे फोन करेगा." मेने अपने आपसे कहा.
"शायद सीमा होगी." राशिमी ने उम्मीद से कहा.
"तुम्हारी बात सच हो." राज ने कहा.
"हाई बबिता कैसी हो तुम?" मैं अपनी बेहन की आवाज़ सुनकर चौंक पड़ी. राज ने अपने मुँह पे उंगली रख रवि और रश्मि को चुप रहने का इशारा किया.
"हां ज़रुरू क्यों नही, तुम और प्रशांत यहाँ रह सकते हो, अरे तुम चिंता मत करो हमे कोई तकलीफ़ नही होगी," मेने जवाब दिया. "ठीक है फिर गुरुवार को मैं तुम लोगों का इंतेज़ार करूँगी, ओक बाइ." कहकर मेने फोन रख दिया.
रवि, रश्मि और राज मेरी तरफ अस्चर्य भरी नज़रों से देख रहे थे. मेने उन्हे बताया कि प्रशांत को कुछ बिज़्नेस का काम है, साथ में बबिता भी आ रही है. वो लोग रविवार तक यहीं हमारे साथ रहेंगे.
"बबिता मासी हमारी शादी में बहोत ही सेक्सी लग रही थी है ना." राज ने कहा.
"हां राज में भी उनसे मिलना चाहती हूँ, उस समय तो उनसे मुलाकात नही हो पाई." रश्मि ने कहा.
"क्या वो भी खुले विषचरों की है और ओपन सेक्स मे विश्वास रखती है." रवि ने मुझसे पूछा.
"अपनी बकवास बंद करो रवि. बबिता अपने पति प्रशांत से शादी करके बहोत खुश है, और वो इधर उधर मुँह नही मारती." मेने थोडा गुस्सा करते हुए कहा.
"क्या पता रवि का लंड और उसका चोदने का अंदाज़ जानकार वो अपना इरादा बदल ले." रश्मि थोड़ा मुझे चिढ़ाते हुए बोली.
"तुम दोनो बहोत ही बेशरम हो?' मेने कहा.
"इसमे बेशरम वाली क्या बात है, अब तुम अपनी तरफ ही देखो कैसे हमारे रंग मे रंग गयी." रश्मि ने कहा.
"मेरी बात कुछ अलग है, में किसी से बँधी हुई नही हूँ, मेरा तलाक़ हो चुका है और मैं अपनी मर्ज़ी की मालिक खुद हूँ." मेने उन्हे समझाते हुए कहा.
"ठीक है प्रीति इतना गुस्सा क्यों हो रही हो. हम वादा करते है कि वो जब यहाँ होगे तो हम उनसे तमीज़ से पेश आएँगे." रवि ने कहा.
"इस बात का ख़याल रखना और हां वो जब यहाँ पर हो तो घर मे नंगा घूमना बंद कर देना." मेने कहा.
पूरा दिन हम मस्ती करते रहे. कभी कोई गेम खेलते कभी लिविंग रूम मे बैठ साथ मे सब कोई पिक्चर देखते. रात के खाने के बाद सब सोने चले गये. आज कितने दिनो के बाद में आकेली अपने बिस्तर मे सो रही थी. अकेला सोना बड़ा ही अजीब लग रहा था.
अगले चार दिन में अपनी बेहन के आने की तय्यारी में जुटी रही. हम चारों ही मस्ती मे थे, और मौके के हिसाब से सब चुदाई करते थे. मैं अपनी मौजूदा जिंदगी से बड़ी खुश थी. मुझे तीन प्यारे बच्चे मिल गये थे जो मेरा हर प्रकार से ख़याल रखते थे.
बबिता और प्रशांत
गुरुवार की दोपहर को बबिता और प्रशांत आ गये. हमने एक दूसरे को गले लगा हल्का सा चुंबन लिया. मेने महसूस किया की प्रशांत ने कुछ ज़्यादा ज़ोर से ही मुझे अपनी बाहों मे लिया था. और जब अलग हो रहे थे तो उसके हाथ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चुतताड को सहला गये थे. मेने उस बात को हादसा समझ अपने दिमाग़ से निकाल दिया.
रवि, रश्मि और राज ने पहले ही सोच लिया थे कि वो गुरुवार को घर पर नही रहेंगे जिससे बबिता और प्रशांत को घर मे अड्जस्ट होने का अच्छी तरह से मौका मिल सके.
प्रशांत को तुरंत अपने बिज़्नेस के काम से बाहर जाना था. बबिता स्नान कर सफ़र की थकान उतारना चाहती थी. प्रशांत अपने काम पर चला गया और बबिता नहाने.
बबिता नहाने के बाद एक नाइटी पहन बिस्तर पर लेटी थी. मेने भी सिर्फ़ एक गाउन पहना हुआ था.
"तुम राज और उसकी पत्नी के साथ उनके हनिमून पर गयी थी, कैसा रहा, मज़ा आया कि नही." बबिता ने पूछा.
"बबिता हनिमून के बारे में बताने से पहले मैं तुम्हे राज, रश्मि और राज के दोस्त रवि के बारे में बताना चाहूँगी." फिर मेने उसे बताया कि किस तरह मेरा रिश्ता रवि से हुआ और फिर किस तरह में राज और रश्मि के साथ भी खुल गयी.
मेने उसे बड़ी बारीकी से बताया कि किस तरह रवि ने मुझे बहकाया और फिर राज और रश्मि को भी अपने खेल मे शामिल कर लिया. बबिता मेरी बात सुनकर चौंक भी पड़ी और उत्तेजित भी हो गयी.
"हे भगवान प्रीति, मुझे तुमपर विश्वास नही हो रहा. तुम गांद भी मरवा सकती हो, दूसरी औरतों के साथ भी, और आख़िर में नकली लंड के साथ. तुम तो पूरी तरह चुड़क्कड़ हो गयी हो." बबिता हंसते हुए बोली.
"तुम्हारे साथ कैसा चल रहा है बबिता, सीधी साधी चुदाई या तुम लोग भी कुछ नया प्रयोग करते हो?" मेने उससे पूछा.
बबिता ने मेरी तरह सच बताते हुए कहा, "प्रशांत मेरी गंद मारता है, एक बार हम लोग दूसरे जोड़े के साथ भी अनुभव कर चुके है. उस औरत को भी दूसरी औरत के साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था."
"क्या तुम्हे दूसरी औरतों के साथ पसंद है?" मेने पूछा.
"पहले तो अछा नही लगता था पर अब लगता है, और जहाँ तक गंद मे लंड लेने का है तो बहोत दर्द होता है पर प्रशांत को पसंद है इसलिए करना पड़ता है. अब तो आदत सी हो गयी है. दूसरी औरत के साथ अच्छा लगा था पर दुबारा कभी मौका नही मिला." बबिता ने कहा.
"अब मुझे हनिमून के बारे में विस्तार से बताओ, मैं सब सुनना चाहती हूँ." बबिता बोली.
मैं बबिता को हनिमून के बारे मे पूरी तरह बताने लगी. मेने एक बात भी उससे नही छुपाई. यहाँ तक कि किस तरह पहले हमे विनोद और शीला मिले, फिर वो दो लेज़्बीयन लड़कियाँ अनीता और रीता, फिर वो दो जोड़े. जब तक मेरी कहानी ख़त्म हुई बबिता उत्तेजित हो चुकी थी और गहरी साँसे ले रही थी.
मेने धीरे से बबिता को अपने पास खींचा और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए, बबिता भी मेरा साथ देते हुए मेरे होठ चूसने लगी. मेने उसकी नाइटी उतार दी और उसने मेरा गाउन खोल दिया.
हम दोनो नंगे थे और एक दूसरे को बाहों मे भींच चूम रहे थे. मेने उसके होठों को चूस्ते हुए नीचे की ओर चूमना शुरू किया, पहले उसकी गर्दन को चूमा फिर उसकी चुचियों को चूसने लगी. उसकी चुचियाँ इतनी मुलायम और चिकनी थी की मेने उसके निपल अपने दांतो के बीच ले धीरे से काट लिया.
"ओह क्या करती हो प्रीएटी दर्द होता है ना." बबिता सिसक पड़ी.
फिर नीचे की ओर बढ़ते हुए मैं उसके पेट को चूमने लगी और उसकी नाभि मे अपनी जीब फिराने लगी. मैं और नीचे बढ़ी और अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्सों को चूम रही थी.
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