RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
अगली बारी राजेश की थी. वो मेरे कुल्हों पर थप्पड़ मारते हुए मेरी गंद मार रहा था. उसने जोरों से मेरे कूल्हे पकड़े और अपने लंड को अंदर तक घुसा अपना पानी छोड़ दिया. मेरी गंद उसके वीर्य से भर गयी थी. मेने उसके लंड को जकड़े रखा और एक एक बूँद निचोड़ ली.
"रश्मि जल्दी से लॉडा लाओ और मेरी गंद मारो." में बोली.
प्रिया और कंचन अजीब नज़रों से रश्मि को देख रही थी. रश्मि उठी और अलमारी से डिल्डो निकाल अपनी कमर पर बाँधने लगी.
रश्मि मेरे पीछे आई और वो नकली लंड मेरी गंद घुसा धक्के मारने लगी. प्रिया और कंचन घूरते हुए रश्मि को मेरी गंद मारते देख रही थी. शायद उन्होने कभी नकली लंड का मज़ा नही लिया था.
"प्रीति तय्यार हो जाओ मेरा छूटने वाला है." बॉब्बी ने नीचे से धक्के मारते हुए कहा.
बॉब्बी का शरीर आकड़ा और उसने मेरी कमर पकड़ते हुए अपने कूल्हे उठाए और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया. उसने अपने धक्को रफ़्तार तेज करते हुए अपने लंड का सारा पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया. उसके लंड से इतना पानी छूटा की वो मेरी चूत से बह कर उसकी गोलैईयों तक चला गया.
"हेययय भाआगवान्नन् मेरी चूऊत कितनी भारी हुई लग राआही हाीइ. ऑश अयाया बॉब्बबू लाओ में तुम्हारा लुंदड़ड़ चूवस कर साआफ कर दूं." में सिसक रही थी.
बॉब्बी मेरे नीचे से निकल घुटनो के बल मेरे मुँह के सामने हो गया. राज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और में बॉब्बी का लंड मुँह मे ले चूसने लगी. जब उसका लंड झड़कर मुरझा गया तो मेने उसे बाहर निकाल दिया.
"रश्मि प्लीज़ किसी से कहो मेरी चूत चोदे?" मेने चिल्लाते हुए बोली.
रश्मि ने वो नकली लंड मेरी गंद से निकाला और ड्रॉयर की ओर बढ़ी गयी. तीन मर्द झाड़ चुके थे और सिर्फ़ राज मेरा बेटा बचा था जो फिर से अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया था.
रश्मि ने एक दूसरा नकली लंड निकाला और प्रिया और कंचन से पूछा, "तुममे से कौन प्रीति की चूत इस नकली से लंड से चोदना चाहेगा?"
प्रिया रश्मि की बात सुनकर उछल पड़ी और दौड़ कर वो नकली लंड उससे ले अपनी कमर पर बाँधने लगी. फिर वो मेरे नीचे लेट गयी और मेने उस नकली लंड को मेरी चूत से लगाया और उसे अंदर घुसा लिया. अब में उछल उछल कर चोद रही थी.
रश्मि, प्रिया और राज तीनो मिलकर मुझे चोद रहे थे. तीन तीन लंड थे पर दो नकली थे.
राज अपने आपको ज़्यादा देर नही रोक पाया और मेरे मुँह मे अपना वीर्य छोड़ दिया. मैने जोरोसे चूस्ते हुए उसके लंड को पूरी तरह निचोड़ लिया. राज अपना लंड बाहर निकाल बाकी तीनो मर्दों के पास खड़ा हो मेरी चुदाई देखने लगा.
"कंचन यहाँ आओ और अपनी चूत मुझे दो?" में बोली.
कंचन शरमाते हुई मेरे पास आई और अपनी चूत मुझे चूसने के लिए दे दी. दो औरतें मुझे चोद रही थी और एक की मैं चूत चूस रही थी. ऐसा अनुभव मेने अपनी जिंदगी में कभी नही लिया. आज की रात मेरे लिए एक यादगार रात बन गयी थी.
मेरी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा ये मुझे भी याद नही. में आगे पीछे, उपर नीचे सब तरह से लंड का मज़ा ले रही थी. में थक कर चूर हो चुकी थी, आख़िर में थक कर कंचन के बदन पर गिर पड़ी. मुझमे अब और ताक़त नही बची थी, इस तरह की चुदाई मेने पहली बार की थी.
जब हम सब सुस्ता रहे थे तब रश्मि ने प्रिया को डबल डिल्डो दिखाया, उसे बताया कि किस तरह होटेल मे ठहरी दो लेज़्बीयन लड़कियों ने उनको इस डिल्डो से चोदा था.
"तुम्हे पता है यहाँ आने से पहले हमने कभी सपने में भी नही सोचा था की हम किसी औरत के साथ चुदाई का मज़ा लेंगे, वो भी एक नही तीन तीन के साथ." प्रिया ने रश्मि से कहा.
"हां में भी बहोत खुश हूँ की हम औरतों के साथ सेक्स करने मे खुल गये. कितना उत्तेजञात्मक होता है जब एक सुन्दर लड़की मेरी चूत रही हो और बाद मे मैं उसकी चूत चूसू. मेने अपनी जिंदगी मे कभी डिल्डो इस्तेमाल नही किया था, पर आज इस्तेमाल करके मुझे मज़ा आगेया." कंचन ने कहा.
"हां सही मे काफ़ी उत्तेजञात्मक नज़ारा था जब तुम तीनो औरतें आपस में चुदाई कर रहे थे. और में राज का शुक्रिया अदा करूँगा कि उसने हमे ये सब सिखाया. और सबसे बड़ी बात तो मुझे उसकी गंद मारने मे माज़ा आया." राजेश ने हंसते हुए कहा.
"आप सब जो करना चाहते वो आपने किया, पर मुझे तो प्रिया और कंचन की गंद मारने को नही मिली ना, पर फिर भी आप लोगों के साथ समय अच्छा गुज़ारा." रवि ने कहा.
"पता नही क्यों, पर जब मेरी गंद की चमड़ी खींचती है तो मुझे अच्छा नही लगता, मुझे तो अपनी गंद मे कोई उंगली डाले तो भी बुरा लगता है." प्रिया ने कहा.
"जब कमरे मे प्रीति मेरी चूत चूस रही थी तो मुझे उसकी उंगली अपनी गांद मे बहोत अछी लग रही थी, पर रवि का जितना मोटा और लंबा लंड अपनी गंद मे, ना बाबा ना, में तो मर ही जाउन्गि." कंचन थोड़ा शरारती स्वर मे बोली.
"देखो में तुम्हारी बात से सहमत हूँ, पर किसी भी चीज़ को उसका आदि होने मे थोड़ा वक़्त लगता है. अगर तुम थोड़ी हिम्मत और थोड़ा समय दो तुम रवि का लंड भी बड़ी आसानी से अपनी गंद मे लेने लगोगी." रश्मि ने कंचन से कहा.
तभी रवि बीच मे बोला, "तुम लोगों को मालूम ही है की मुझे गंद मारना अछा लगता है, फिर भी कोई कुतिया बन मुझसे चुदवाति है तो मुझे पीछे से उसकी चूत मारने मे ज़्यादा माज़ा आता है, कम से कम मैं उसकी गंद से खेल तो सकता हूँ."
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राजेश और बॉब्बी फिर किसी की गंद मारना चाहते थे. उन्हे मालूम था कि यही आखरी मौका है गंद मारने का कारण प्रिया और कंचन तो उन्हे गंद मारने देंगी नही भविष्या मे.
बॉब्बी ने मुझसे पूछा, "प्रीति क्या तुम अपनी गंद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?"
और वहीं राजेश की नज़र रश्मि की गंद पर थी. रश्मि वो डबल डिल्डो निकाल लाई और हम दोनो एक दूसरे के सामने इस तरह हो गये कि वो डिल्डो हम दोनो की चूत मे आसानी से घुस जाए.
हम दोनो एक दूसरे को उस नकली लंड से चोद रहे थे, और बॉब्बी रश्मि की और राजेश मेरी गंद मार रहा था.
वहीं दूसरे बिस्तर पर रवि ने प्रिया को घुटनो के बल कर पीछे से उसकी चूत चोद रहा था. राज कंचन के साथ वही कर रहा था और चारों लोग हमे देख रहे थे.
रवि प्रिया की चूत चोद्ते चोद्ते उसकी गंद को सहला रहा था. वो कभी उसे भींच देता कभी झुक कर उसे चूम लेता.
राज ने किसी तरह अपनी उंगली कंचन की गंद मे घुसा दी थी और उसे अंदर बाहर कर रहा था, साथ ही उसका लंड कंचन की चूत की धुनाई कर रहा था.
थोड़ी ही देर में सबका पानी छूट गया, किसी मे बात करने की भी ताक़त नही बची थी. हम सब निढाल होकर जहाँ थे वही पसर गये और अपनी सांसो पर काबू पा रहे थे.
थोड़ा सुसताने के बाद हम चारों ने प्रिया और उसके साथियों से विदा ली और अपने कमरे में आ गये. में रवि के साथ बिस्तर में घुस गयी और राज अपनी नई दुल्हन रश्मि के साथ.
सुबह जब हमारी आँख खुली तो हम सब नहा कर नीचे रेस्टोरेंट मे नाश्ते के लिए आगाये. हमे प्रिया और उसके साथी कहीं दिखाई नही दिए. बाद मे हमे पता चला कि वो आज वापस जा रहे हैं.
हमारा भी आज का दिन आखरी दिन था और हम कल सुबह वापस लौटने वाले थे.
पूरे दिन हम घूमते रहे और शॉपिंग करते रहे. हमारा कोई इरादा नही था कि हम किसी नए जोड़े से दोस्ती बनाए.
शाम को थक हार कर हम अपने कमरे मे आए और सो गये. दूसरे दिन सुबह हमने होटेल का बिल भरा और एरपोर्ट की और चल दिए. चुदाई के इस दौर मे सब इतने थके हुए थे कि पूरे सफ़र में हम सब सोते रहे.
हां मेरे बेटे के साथ ये हनिमून मुझे हमेशा याद रहेगा. चुदाई की जिन उँचाइयों को मेने इन दिनो मे छुआ था वो में कभी कल्पना भी नही कर सकती.
टू बी कंटिन्यूड…………….
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