RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
गतान्क से आगे......
हनिमून का पाँचवाँ दिन
दूसरे दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मुझे बहोत अछा लग रहा था. पिछली रात मेने काफ़ी एंजाय किया था और अपने आप पर कंट्रोल रखा था. तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं बिस्तर पर अकेली हूँ. मेने नज़रे घुमा दूसरे बिस्तर पर देखा कि रवि मेरे बेटे राज और उसकी पत्नी और मेरी बहू रश्मि के साथ था. रश्मि रवि के उपर लेट उसे चोद रही थी और पीछे से राज उसकी गंद मार रहा था.
मैं सोचने लगी कैसी बच्चे है, कभी सेक्स से थकते ही नही. में बिस्तर से उत्तरी और नहाने चली गयी, जबकि वो तीनो अभी भी बिस्तर मे ही थे. मैं शवर के नीचे गरम पानी का मज़ा ले रही थी कि रश्मि बाथरूम मे आ गयी और मेरे साथ ही नहाने लगी.
"मेरी चूत और गंद मे इतना वीर्य भरा हुआ है, मेरी समझ मे नही आता कि रवि के लंड मे इतना वीर्य आता कहाँ से है, शायद उसने कोई वीर्य बनाने की मशीन लगा रखी है." रश्मि हंसते हुए बोली.
"हां सही मे उसके शरीर की ताक़त कमाल की है." मेने कहा.
रश्मि ने अपनी चूत और गंद से वीर्य अछी तरह धोया. हम साथ ही शवर के नीचे नहा रहे थे रश्मि ने अपना ध्यान मेरी ओर किया और मेरे शरीर पर साबुन मलने लगी.
"क्यों ना हम एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाए." रश्मि ने कहा.
मैं उसके शरीर पर साबुन लगाने लगी और रश्मि साबुन लगाते हुए अपने हाथ मेरे पूरे शरीर पर फिराने लगी. में उत्तेजित हो रही थी पर मैने रश्मि को रोक दिया, "रश्मि अभी रहने दो अभी तो पूरा दिन पड़ा है."
रश्मि मेरी बात मान गयी और हम दोनो नहा कर बाहर आ गये. रवि और राज ने भी स्नान कर लिया और हम कपड़े पहन नीचे नाश्ता करने आ गये.
आज हमे काफ़ी देर हो गयी थी नीचे आते आते सो मेने कहा, "क्यों ना आज हेवी नाश्ता कर लिया जाए और खाने की छुट्टी कर दी जाए. थोड़ी देर मे प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी भी आ गये और हमारी टेबल पर बैठ गये.
खाने के बाद हम सब घूमने निकल गये. घूमते हुए भी चर्चा का विषय चुदाई ही था. प्रिया और कंचन ने बताया कि रश्मि के साथ सेक्स करते हुए कितना मज़ा आया. इसके पहले उन्होने कभी किसी औरत के साथ चुदाई नही की थी. फिर राजेश और बॉब्बी ने बताया कि किस तरह उन्होने रश्मि की गंद मारी. दोनो ने अपनी जिंदगी मे पहली बार किसी की गंद मारी थी.
"ओह तो तुम दोनो का गंद मारने का ये पहला मौका था. फिर तो इसके लिए तुम्हे रश्मि का शुक्रिया अदा करना चाहिए." रवि ने कहा.
दोनो ने रश्मि का शुक्रिया अदा किया तो रश्मि ने झुक कर उनका अभिवादन किया. फिर प्रिया ने बताया कि किस तरह सुबह वो और कंचन ने 69 की अवस्था मे लेट एक दूसरे की चूत चूसी.
"देखा मेने पहले ही कहा था कि तुम दोनो को मज़ा आएगा. आज से अदला बदली मे एक नई चीज़ जुड़ गयी तुम दोनो के साथ." रश्मि बोली, "तुममे से अगर कोई मेरी चूत चूसना चाहता है तो में हमेशा तय्यार हूँ, मुझे बता देना."
प्रिया और रश्मि दोनो शर्मा गयी, प्रिया बोली, "अभी नही बाद मे देखते है."
वो चारों की इस बात मे ज़्यादा दिलचस्पी थी कि हम साथ साथ कैसे हुए कि साथ मे सफ़र कर रहे है और एक दूसरे के साथ चुदाई कर रहे है. मेने रवि, राज और रश्मि की तरफ देखा कि कहाँ से शुरू किया जाए.
राज बीच मे टपकता बोला, "में आपलोगों को हमारी कॉलेज की दिनो से बताता हूँ."
राज ने उन्हे माला, रवि और अपने रिश्ते के बारे मे बताया. फिर किस तरह रश्मि से उसकी पहचान हुई और रवि उनके साथ हो लिया. उसने इतनी बारीकी से अपने रश्मि और रवि के रिश्ते के बारे मे बताया कि में भी हैरान रह गयी.
उसने बताया कि किस तरह रवि उसकी गंद मारता था और रश्मि उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूस्ति थी. फिर वो रवि की गंद मारता था और रश्मि अपनी कमर पर डिल्डो बाँध उसकी गंद मारती थी.
रश्मि बीच उछलते हुए बोली कि उस किस तरह दो या तीन लंड से साथ साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था. उसने बाते की उसने और राज ने शादी के पहले ही सोच लिया था कि किसी चौथे इंसान को हनिमून पर साथ ले चलेंगे.
उसने बताया कि फिर जब प्रीति हमारे साथ खुल गयी तो किसी और को साथ लाने का सवाल ही नही उठता था.
प्रिया, कंचन, राजेश और बॉब्बी के मुँह से एक शब्द ना निकला, वो रवि राज और रश्मि की कहानी सुनते रहे. चारों अचंभित मुद्रा मे उनकी बात सुन रहे थे, फिर बॉब्बी बोला, "मुझे मालूम था कि तुम लोग सामूहिक चुदाई करते हो पर तुम्हारी चुदाई का अंदाज़ इतना भयंकर होगा ये नही मालूम था."
बॉब्बी कुछ देर शांत रहा फिर राज से पूछा, "क्या तुम्हे सही मे लंड चूसने और गंद मरवाने मे मज़ा आता है?"
"हां ये सब मुझे अछा लगता है," राज ने जवाब दिया फिर उनसे पूछा, "क्या तुम दोनो ने कभी किसी मर्द के साथ चुदाई की है, मेरा मतलब किसी का लंड चूसा हो या गंद मारी हो. क्यों ना करके एक बार इसका भी अनुभव ले लेते हो."
राजेश और बॉब्बी एक दूसरे को अजीब सी नज़रों से देखते रहे फिर राजेश बोला, "मेने कभी इस विषय पर सोचा नही है ना ही मुझे कभी ऐसा मौका लगा."
"मेने भी कभी नही सोचा आज तक." बॉब्बी भी बोला.
"एक बार कोशिश करके देखना चाहिए." रवि ने कहा, "और में दावे के साथ कहता हूँ कि तुम दोनो को मज़ा आएगा."
"हां तुम लोगों को एक बार आजमाना चाहिए और तुम लोगो को देख कर तो ऐसा लगता है कि तुम अभी से तय्यार हो." रश्मि ने कहा.
रश्मि की बात सही थी. राजेश और बॉब्बी के लंड पॅंट के अंदर खड़े हो गये थे. इतनी सब सेक्सी बातों ने उन्हे उत्तेजित कर दिया था पर वो अब भी सॅमलिंग चुदाई के लिए तय्यार नही थे. दोनो ने शर्मा कर अपने हाथ पॅंट के उपर रख लिए जिससे उनका खड़ा लंड दिखाई ना दे.
प्रिया ने बातचीत के विषय को बदलते हुए मुझसे पूछा कि मैं किस तरह रवि रश्मि और अपने बेटे के साथ जुड़ गयी.
मेने उन तीनो को बताया कि किस तरह मेने चुप कर राज को रवि का लंड चूस्ते देखा फिर रवि ने राज की गंद मारी. दूसरी बार मेने रश्मि को इनके साथ सामूहिक चुदाई करते देखा. फिर मेने दोनो को रश्मि को साथ साथ चूत और गंद मे चोद्ते देखा.
"हे भगवान प्रीति, तुम किस तरह अपने आपको ये सब नज़ारा देख कर रोक पाई, मैं होती तो उसी वक़्त उनके साथ हो जाती." प्रिया ने कहा.
"हां मेने अपने आप पर काबू रखा कारण मैं अपने ही बेट एके सामने शर्मिंदा नही होना चाहती थी, मेने सोच लिया था कि चुप रह कर बाद में अपने कमरे मे मुठिया लूँगी." मेने जवाब दिया.
"हां पर वो इतना भी शांत नही खड़ी थी, मेने इसे हमे देखते पकड़ लिए था." रवि ने कहा.
फिर मेने अपनी कहानी जारी रखते हुए सबको बताया कि किस तरह एक दिन रवि ने मुझे बहका लिया. फिर मेने बताया कि किस तरह पहले तो रश्मि हमारे साथ शामिल हो गयी और एक दिन मेरी उत्तेजना और मदहोशी का फ़ायदा उठाते हुए मेरे बेटे राज को भी इसमे शामिल कर लिया.
मेने बाते की किस तरह की किस तरह उस दिन मेरे बेटे ने मेरी गंद मारी जब रश्मि मेरी चूत चूस रही थी, और रवि मेरे मुँह को चोद रहा था. फिर मेने उन्हे अपनी दोहरी चुदाई के बारे में बताया कि किस तरह रवि ने मेरी चूत मे लंड डाला था और राज ने मेरी गंद मे.
"जब एक बार में इन तीनो के साथ चुदाई कर चुकी थी, तो हम सब बराबर साथ साथ मे चुदाई करने लगे. फिर जब राज ने मुझे अपने हनिमून पर साथ चलने को कहा तो में मान गयी, आगे की कहानी आप सबको मालूम ही है." मैने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा.
"यार ये हक़ीक़त है या कोई कहानी, मुझसे तो अपना लंड संभाले नही जा रहा." राजेश अपने लंड को सहलाते हुए बोला.
"मेरी भी हालत कुछ ऐसी ही है." बॉब्बी भी बोला.
"अगर ऐसी बात है तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, चलो होटेल वापस चलते है." राज ने कहा.
"मान जाओ तुम दोनो," रवि ने कहा, "और ये दावा है तुम दोनो पछताओगे नही."
"हां तुम दोनो मान क्यों नही जाते," प्रिया ने उन्हे उकसाया.
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