RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
राजेश का लंड जब मेरी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाते हुए मेरी बच्चे दानी पर ठोकर मारता तो में ज़ोर से सिसक पड़ती. वो एक जंगली जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था और मेरी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी.
में उसके हर धक्के के साथ अपने समय के करीब आ रही थी और जोरों से चिल्लाने लगी, "राआाजएसस्स्स्सश चूऊऊदो मुझे हााआअँ और जूऊरों से राआजेश ओह और जूओर से राआजेश मेरा छूटने वाला है." मैं उसे अपने से और जोरों से चिपकाते हुए बड़बड़ा रही थी.
"हाां प्रीईटी चूओद दूओ अपनाा पानी. नहल्ल्ल दो मेरे लुन्न्ञन्द को आअपँे प्ाअनी से. मेरीईए लुंद्ड़द्ड के लिईईए झाड़ जाओ." कहकर वो और जोरों से धक्के पे धक्के मार रहा था.
राजेश जितनी ताक़त से मुझे चोद सकता था चोदे जा रहा था और मेरी चूत पानी पे पानी छोड़े जा रही थी. उत्तेजना मे मेरा शरीर काँप रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट रखी थी और अपने हाथों के नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा रही थी.
जब मेरी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो राजेश ने मुझे पलटा कर घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी छूट मे लंड पेल दिया. इस अवस्था मे बाकी के तीन जोड़ों को भी देख सकती थी. एक जोड़ा मेरे बगल की बिस्तर पर था और दो बाकी ज़मीन पे. मैं अपनी उत्तेजना मे इतनी खोई हुई थी कि में इन सब को एक बार के लिए भूल सी गयी थी.
मेने दूसरे बिस्तर पर देखा प्रिया अपनी टाँगे फैलाए थी और रवि उसकी टाँगो के बीच हो उसे चोद रहा था.
प्रिया इतनी जोरों से सिसक रही थी, "ओह रवीीईईईई तुम्हारा लुंदड़ तो मेरी चूऊओट को गहराइयोंन्णणन् तक जाअ रहा है. ओह कितना मज़्ज़ा एयेए रहाा है हाआँ चूओड़ो मुझे और ज़ोर से. मेराअ छूटने वाला हाीइ तुम रुकना नाहहीी बस चूऊदे जाऊओ ओह." और शायद एक बार फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
रवि अपने आप पर कंट्रोल करते हुए प्रिया को चोदे जा रहा था. मैं जानती थी कि रवि को प्रिया की गंद मारनी है, पर मुझे शक़ था कि शायद ही प्रिया उसे अपना लंड गंद मे घुसाने देगी.
मेने नीचे ज़मीन पर देखा, राज कंचन की चूत मे पीछे से लंड डाले हुए है और साथ ही अपने एक हाथ की उंगली भी चूत मे डाल रखी है. दूसरे हाथ से वो उसकी छोटी चुचियों का मसल रहा था. कंचन ने अपनी आँख बंद कर रखी थी और चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी.
दूसरी और बॉब्बी रश्मि को उपर चढ़ा उसे चोद रहा था. रश्मि के शरीर को देख के लगता था कि उसका भी पानी छूटने वाला था. मैं जानती थी रश्मि इतनी चुड़क्कड़ है कि अगर और कोई वक़्त होता तो वो अकेले ही इन चार मर्दों को झेल लेटी पर आज उसे इन मर्दों को तीन औरतों के बीच बाँटना पड़ रहा है. बॉब्बी ने ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पानी उसकी चूत मे छोड़ दिया. रश्मि उसे देख मुस्कुराने लगी.
अचानक रश्मि ने बॉब्बी से पूछा, "बॉब्बी क्या तुम अपना लंड मेरी गंद मे घुसाना चाहोगे?"
बॉब्बी हैरत भरी नज़रों से रश्मि को देख रहा था. रश्मि ने उसे उकसाते हुए कहा, "क्या सोच रहे हो? तुम खुद मेरी गांद मारना चाहते हो है ना. ज़रा सोचो जब तुम्हारा लंड मेरी गंद मे पिचकारी छोड़ेगा तो तुम्हे कितना मज़ा आएगा और जब में अपनी गंद को सिकोड तुम्हारे लंड की एक एक बूँद चूस लूँगी तब कैसा लगेगा."
पर बॉब्बी के चेहरे से लग रहा था कि फिलहाल उसमे ताक़त नही थी रश्मि की गंद मारने की. वो उसके बगल मे लेट सुस्ता रहा था. उसकी हालत देख रश्मि मुस्कुरई और उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.
पर शायद इतना ही बॉब्बी के लिए बहोत था, "नही रश्मि अभी रहने दो रूको थोड़ी देर."
रश्मि उससे अलग हट अपने पति राज और कंचन के पास आ गयी. उसने राज की उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और अपने आप को इस अवस्था मे कर लिया कि वो उसकी चूत चूस सके.
"कंचन अगर में तुम्हारी चूत चूसू तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही?" रश्मि ने हंसते हुए कहा.
रश्मि अब कंचन की चूत चूस रही थी. वहीं राज उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. थोड़ी ही देर मे राज ने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया. वो तब तक धक्के मारता रहा जब तक की उसका लंड मुरझा कर मुलायम ना हो गया.
राज ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर निकाला और अपनी पत्नी के खुले मुँह मे दे दिया. थोड़ी देर अपने पति का लंड चूसने के बाद रश्मि ने फिर कंचन की चूत चूसनी शुरू कर दी. कंचन एक बार फिर गरमा गयी और उसने रश्मि का सिर पकड़ अपनी चूत पे दबा दिया. थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने एक बार फिर रश्मि के मुँह मे पानी छोड़ दिया.
तभी रवि की चिल्लाने की आवाज़ आई, "ओह प्रिया मेराा चूओटने वाला है. हाआँ और मेरे लंड को अपनी चूओत मे ले लो. में तुम्हारी चूत आज अपने रस से भर दूँगा."
"नही अपना पानी मेरी चूओत मे मत छोड़ना, मेरा उपर मेरे शरीर पर छोड़ना, में तुम्हारे वीर्य की पिचकारी अपने शरीर पर महसूस करना चाहती हूँ." प्रिया उसे रोकते हुए चिल्लाई.
रवि ने अपना मोटा और लंबा लंड प्रिया की चूत से बाहर निकाल लिया और उसपर झुकते हुए अपने लंड का निशाना उसके चेहरे की ओर कर दिया. फिर लंड को ज़ोर से मुठियाने लगा, तभी एक ज़ोर की पिचकारी उसके लंड से निकाल प्रिया के चेहरे पर गिरी.
प्रिया उस वीर्य को अपनी हथेली से अपने चेहरे पर रगड़ ही रही थी कि दूसरी पिचकारी उसकी चुचियों पर और तीसरी उसके पेट पर गिरी. रवि ने अपने वीर्य से उसे पूरी तरह नहला दिया था. रवि ने पूरा पानी निचोड़ने के बाद एक बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा उसे चोदने लगा.
"ऑश देखो मेरा शरीर पूरा वीर्य से नहा गया है. क्या मज़े का वीर्य स्नान किया है मेने." प्रिया ज़ोर से चिल्लाई और पूरे शरीर पर रवि का वीर्य मसल्ने लगी.
इस नज़ारे ने राजेस को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. उसने मेरे कूल्हे पकड़ दो चार कस के धक्के मारे और अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया. में जोरो से अपनी चूत को रगड़ अपना पानी भी छोड़ दिया. हम दोनो निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े. पूरे कमरे मे चुदाई का महॉल छाया हुआ था.
हम सब सुस्ताने लगे और अपनी अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाने की चेस्टा कर रहे थे. थोड़ी देर बाद हम सब फिर अपने अपने जोड़े बनाने लगे.
"इस बार में कंचन को चोदुन्गा." रवि ने कहा.
हम सब रवि और कंचन की ओर देखने लगे.
"ना बाबा ना, मेरी चूत तो इसके लंड से फॅट ही जाएगी, में नही चुदवाति इससे." कंचन थोडा हंसते हुए बोली.
"अरे डरती क्यों हो कंचन, क्या प्रिया की चूत फॅट गयी है. देखो में धीरे धीरे करूँगा प्रॉमिस." रवि कंचन की चुचियाँ छेड़ते हुए बोला.
आख़िर कंचन मान गयी. में इस बार बॉब्बी के साथ थी, रश्मि राजेश के साथ और प्रिया राज के साथ.
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