RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
"आगे क्या हुआ?" रश्मि ने अपनी चूत को खुजलाते हुए पूछा.
"मेने देखा कि उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव थे और उसका शरीर अकड़ने लगा था. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो इतनी ज़ोर से सिसकी, "ओह रिट्ट्टा असली लंड से छुउूउड़वाने मे इतन्णना माज़ा आता है मुझे नही मालूम था. ओह अयाया मेयरययेया तो छोओओओट गया."
"क्या तुम्हारा दुबारा पानी नही छूटा?" मेने पूछा.
"मुझे कई बार लगा कि मेरा पानी छूटने वाला है, पर हो सकता है कि आज मेरे लंड ने इतनी बार पानी छोड़ा है कि नही छूटा." रवि ने जवाब दिया.
"फिर क्या हुआ?" रश्मि एक बार फिर बोल पड़ी.
"मेरा लंड अभी भी खड़ा था, रीता ने एक बार फिर मुझ पर चढ़ कर चुदाई की. मेरा पानी अभी भी नही छूटा था. रीता मेरे लंड को अपने मुँह मे ले जोरों से चूसने लगी. जब मेरा छूटने का समय आया तो मेने रीता से कहा भी कि मेरे छूटने वाला है पर वो चूस्ति गयी और मेरे लंड ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया." रवि गहरी सांस लेते हुए बोला. "फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए और अपने अपने कमरे मे आ सो गये."
"ये तो कमाल हो गया. तो तुमने दोनो समलैंगिक लड़कियों को पूरा चुड़दकड़ बना ही दिया. में शर्त लगा सकती हूँ कि भविश्य मे वो नकली लंड की तरफ देखेंगी भी नही." रश्मि हंसते हुए बोली.
मेने तीनो से कहा, "खाने का समय हो रहा हो क्यों ना कपड़े बदल कर थोड़ी देर मे खाने के लिए रेस्टोरेंट मे चला जाए."
हम चारों कमरे मे आ अपने कपड़े बदले और नीचे रेस्टोरेंट मे आ गये. वहाँ हमारी मुलाकात प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी से हुई. हम सब साथ साथ खाना खाने लगे.
खाना खाना के बाद हम सब यानी आठ लोग साथ साथ घूमने निकल गये. हम सभी को काफ़ी मज़ा आया और आपस हम खुल भी गये थे.
घूमते घूमते जब हम थक गये थे तो एक गार्डेन रेस्टोरेंट मे चाइ नाश्ते के लिए बैठ गये. हम सब जब अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गये थे तो मेने देखा कि प्रिया और कंचन की निगाहें रवि के खड़े लंड पर ही गढ़ी हुई थी.
रश्मि ने उन दोनो को रवि के लंड को घुरते देख लिया था. उसने अपना हाथ बढ़ा कर पॅंट की ज़िप खोलते हुए रवि के लंड को बाहर निकाल लिया और दोनो लड़कियों से बोली, "सही मे मस्त लंड है ना."
प्रिया और कंचन रश्मि की हरकत देख शर्मा गयी, प्रिया बोली, "मुझे नही मालूम था कि तुम हमे घूरते देख रही हो. सॉरी मुझे इस तरह नही घूर्ना चाहिए था."
रश्मि ने कंचन की तरफ देखा जिसने कोई जवाब नही दिया था, "कंचन क्या तुम इसे अपने हाथों मे पकड़ना चाहोगी?"
तभी रवि ने रश्मि के हाथ को झटक दिया और डाँटते हुए बोला, "रश्मि तुम भी हद करती हो. पहले इनकी झिझक तो ख़त्म होने दो. इन्हे हमारे साथ अड्जस्ट तो होने दो?"
प्रिया और राजेश ने फिर हमे बताया कि वो लोग एक स्विंगिंग क्लब के मेंबर है. वो लोग अक्सर नई जोड़ों के साथ रिज़ॉर्ट या किसी हिल स्टेशन पर जाते रहते है. ये यात्रा उनकी थोड़ी अलग है कारण कि कंचन और बॉब्बी पहली बार स्विंगिंग कर रहे है.
रश्मि अपने आपको रोक ना पाई और पूछा, "तो अब तक तुम चारों के बीच कैसा चल रहा है?"
प्रिया ने जवाब दिया, "अभी तक तो सब ठीक चल रहा है. में और बॉब्बी पार्ट्नर बने हुए है और कंचन राजेश के साथ. अब ये लोग आगे भी नई प्रयोग करने के लिए तय्यार है."
"अब तक तुम लोगों ने आपस मे क्या क्या किया? मेरा मतलब है कि सीधी सादी चुदाई की है या, लड़की लड़की, थोड़ी चूसा, गांद मारना या समहुक चुदाई." रश्मि ने आगे पूछते हुए कहा.
तभी राज बीच मे बोल पड़ा, "रश्मि अपने मतलब से मतलब रखो. तुम्हे ये पूछने का कोई हक़ नही है."
"नही इसे पूछने दो कोई बात नही." प्रिया ने कहा, "अभी तक तो सीधी चुदाई चल रही है सिर्फ़ थोड़ी बहोत चूसैई के साथ. रश्मि तुम्हे क्या पसंद है?"
प्रिया का प्रश्न सुनकर हम सभी चौंक पड़े और समझ गये की आगे क्या होने वाला है. रश्मि मुस्कुरई और कहने लगी, "प्रिया चुदाई मे ऐसी कोई चीज़ नही है जो पसंद ना हो. में चूस्ति भी खूब हूँ और चूसवाने में भी मज़ा आता है. मुझे दो तीन, हर छेद मे एक साथ लंड लेने मे मज़ा आता है, मुझे दूसरी औरत के साथ भी उतना ही आनंद आता है. और बता दू तुम्हे की जब रवि अपना मूसल लंड मेरी गंद मे पेलता है तो मुझे जन्नत का मज़ा आ जाता है."
हम सब प्रिया के चेहरे की ओर देखने लगे शायद रश्मि की बात सुनकर उसके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया आए, पर उसने खुद को संभाले रखा और सिर्फ़ मुस्कुरा दी.
"रश्मि तुम और राज हमारे क्लब के अच्छे मेंबर बन सकते हो. हमारे यहाँ कई जोड़े है जो तुम्हारी तरह चुदाई का पूरा मज़ा उठना जानते है, वो सब कुछ वो करेंगे जो तुम करने के लिए कहोगे." प्रिया आत्मविश्वास भरी आवाज़ मे बोली.
तभी बॉब्बी बोल पड़ा, "अगर तुम चारों आज हमारे साथ हमारे कमरे मे स्विंगिंग करो तो कैसा रहेगा."
"में तय्यार हूँ आने के लिए." रश्मि खुश होती हुई बोली.
"ये तो आश्चर्य की बात है." रवि रश्मि को चिढ़ाने के अंदाज़ मे बोला.
मेने राजेश और बूबी की ओर देखते हुए कहा, "मुझे लगता है हम सभी को मज़ा आएगा."
मेने देखा की राजेश और बॉब्बी की निगाहें रश्मि के शरीर को छेड़ रही थी. वो दोनो शायद मन ही मन रश्मि के शरीर के साथ करने की सोच रहे थे जो उन्हे उनकी बीवियाँ करने को नही देती.
"कंचन तुमने अपनी राई नही बताई, क्या तुम अदला बदली के लिए तय्यार हो?" रवि कंचन के शरीर को उपर से नीचे घूरते हुए बोला.
"में तय्यार तो हूँ पर गंद मे लंड नही लूँगी." कंचन अपनी बात पर ज़ोर देते हुए बोली.
तभी प्रिया ने कहा, "जब हम अदला बदली करेंगे तो कोई भी इंसान अपने साथी की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करेगा. क्या सबको मंज़ूर है."
सभी ने प्रिया की बात को मान लिया. इसका बाद ये तय हुआ कि सभी लोग उनके कमरे मे खाना खाने के बाद मिलेंगे. पूरी शाम हम बातें करते रहे साथ ही ड्रिंक्स का भी आनंद लेते रहे. हर इंसान के दिलो दिमाग़ मे रात की पार्टी का ही ख़याल चल रहा था.
पार्टी अदला बदली की
रात का खाना हम सभी ने मिलकर खाया. खाने के साथ सभी दो दो ड्रिंक्स भी ले ली थी. फिर सभी अपने अपने कमरे मे कपड़े बदलने चले गये.
मैं, राज, रश्मि और रवि कपड़े बदलकर हमारे नए दोस्तों के सूयीट मे पहुँचे. उन चारों ने हमारा स्वागत किया. हमने देखा कि वो चारों नंगे थे. हमने भी अपने कपड़े उतारे और एक कोने मे रख दिए.
प्रिया ने सभी लिए ड्रिंक्स बनाई और सबको पकड़ा दी, "आप सब शुरुआत कैसे करना चाहेंगे. मेरी चूत तो रवि का लंड लेने के लिए उत्तावली हो रही है."
हम सभी ने अपने साथी चुन लिए और ये तय किया की पहले सीधी साधी चुदाई करेंगे और समय के साथ ही आगे की सोचेंगे. मैं राजेश के साथ थी, रश्मि बॉब्बी के साथ और कंचन राज के साथ.
कमरे मे दो ही बिस्तर थे, इसलिए दो जोड़े बिस्तर पर चढ़ गये और दो ज़मीन पर. में राजेश के साथ एक बिस्तर पर थी और वो मेरे उपर लेट कर 69 अवस्था मे आ गया.
"चुदाई से पहले थोड़ा खेलने मे मज़ा आता है." कहकर उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.
मेने भी उसका साथ देते हुए उसका 8' इंची लंड को अपने मुँह मे ले लिया. हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे. जब चुदाई का समय हुआ तो वो मेरे शरीर पर घूम सा गया और अपना लंड मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगा.
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