RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
तभी रवि ने बताया कि वो नीचे से धक्के लगाते हुए उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. शीला को चुदाई के दौरान अपनी चुचियाँ रगड़वाने और मसलवाने मे बहोत ही मज़ा आता है, वो उछल उछल कर धक्के लगाती है."
फिर राज कहने लगा, "प्रीति तुम नही जानती जब रवि का लंड नीचे से उसकी चूत मे घुसता तो मुझे ऐसा लगता कि शीला की गांद के अंदर हल्की सी चमड़ी की दूसरी ओर से उसका लंड मेरे लंड से टकरा रहा है, इतना मज़ा आ रहा था कि तुरंत ही मेरा पानी उसकी गांद मे छूट गया."
रवि ने कहा, "शीला इतने जोश मे थी और इस कदर मेरे लंड पर उछल कर धक्के लगा रही थी कि मे एक बार तो डर गया कि कहीं उसके चोट ना आ जाए. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो उसका शरीर इतनी ज़ोर से कांपा और वो मेरे बदन पर लुढ़क गयी."
"विनोद खुद ये नज़ारा देख अपने आपको रोक नही पाया और उसने उसके मुँह मे अपना वीर्य उगल दिया." राज ने बताया.
"शीला लुढ़क कर मेरे बगल मे आ गयी थी. मेरा पानी अभी छूटा नही था और मैं एक बार फिर उसकी गांद मारना चाहता था. में उसकी गांद मे अपना लंड घुसा दिया. शायद उसकी हिम्मत टूट चुकी थी, वो बेजान सी पड़ी थी." रवि ने कहा.
"पर तुमने उसके चेहरे का ख़ौफ़ नही देखा जब तुम्हारा मोटा लंड उसकी गांद के चिथड़े उड़ा रहा था." राज ने बीच मे कहा.
दोनो की कहानी सुनकर मेने कहा, "बेचारी शीला! उसकी तो तुम दोनो ने जान ही निकाल दी होगी? आज सुबह तो वो चल भी नही पा रही होगी?"
"अब रहने भी दो प्रीति. क्या हम दोनो इस दौर से नही गुज़रे है. तुम कुछ ज़्यादा ही उसके बारे मे सोच रही हो?" रश्मि ने कहा. "वो ठीक होगी और ठीक हमारी तरह चल फिर रही होगी, तुम चिंता मत करो."
रवि और राज की कहानी ने हमारे बदन को गरमा दिया था, "चलो कमरे मे चलते है?" रश्मि खड़ी होते हुए बोली.
हम चारों कमरे में पहुँचे और एक बार फिर चुदाई का दौर शुरू हो गया. जब हम थक कर चूर हो गये तो सब मिलकर घूमने जाने का प्रोग्राम बनाने लगे. पता नही शाम और रात के लिए इन तीनो के दिल मे क्या था.
टू बी कंटिन्यूड…………..
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