RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
गतान्क से आगे......
दूसरे दिन मेरी आँख खुली तो मेरा बदन मेरे दर्द के दुख रहा था. ऐसा लग रहा था कि शरीर मे जान ही नही है. मेने बाथ टब मे हल्का गरम पानी डाला और स्नान किया. आछी तरह अपनी सूजी हुई चूत और गंद की गरम पानी से सिकाई की.
मैं अपनी चूत और गंद पर हाथ फिरा रही थी तो मुझे विश्वास नही हो रहा था कि एक दिन में इतनी बार चुदवा सकती हू. रवि को मोटा मस्ताना लंड मेरी आँखों के आगे आ जाता. रवि वाकई मे एक शानदार मर्द था और उसे औरत को चुदाई का सुख देना आता था.
मेने अपने गीले बदन को अछी तरह टवल से पोंछने के बाद अपने बदन को शीशे मे निहारा. मेरा हर अंग जैसे खिल उठा था. दिल मे एक अलग ही उमंग सी जाग उठी थी.
मैं राज और रश्मि के हनिमून के बारे में सोच रही थी. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि वो मुझे साथ चलने के लिए कह सकते थे. मेने फ़ैसला वक़्त पर छोड़ दिया था. अभी शादी को एक महीना पड़ा था.
कुछ दिन इसी तरह बीत गये. एक दिन की बात है मैं रवि और रश्मि के साथ अपने बिस्तर पर थी. राज किसी काम से बाहर गया हुआ था.
रवि अपने खड़े लंड को हाथ मे पकड़े हुए बिस्तर पर लेटा हुआ था. में अपने आपको रोक नही पाई और रवि के उप्पर आ गयी. मेने अपनी दोनो टाँगे रवि की कमर के अगल बगल रखी और अपनी चूत उसके खड़े लंड पर रख दी.
रश्मि ने अपने हाथों से मेरी चूत के मुँह को थोड़ा फैलाया और लंड को ठीक चूत के मुँह पर लगा दिया. मैं नीचे होते हुए रवि के लंड को अपनी चूत मे लेने लगी. मेरे कूल्हे अब रवि के अंडों से टकरा रहे थे.
मेने झुकते हुए अपने होत रवि के होठों पर रखे और उन्हे मुँह मे ले चूसने लगी. रवि ने भी मेरी भरी भरी चुचियों को अपने हाथों मे पकड़ा और अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी.
उसका लंड मेरी चूत मे हिल्लोरे मार रहा था. मुझसे अब सहन करना मुश्किल होने लगा. मेने अपने आपको सीधा किया और उसके लंड पर उठने बैठने लगी. रवि मेरे कुल्हों को पकड़ नीचे से धक्के लगाने लगा.
रश्मि ने मेरे होठों पर अपने होठ रख कर चूसना शुरू कर दिया साथ ही वो मेरे चुचियों को ज़ोर से मसल रही थी. कभी वो मेरे निपल को भींच देती. रवि अपने लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर किए जा रहा था.
रश्मि ने अपने हाथ मेरी गांद पर रख मेरे गांद के छेद से खेलने लगी. रश्मि अब मेरे गंद के छेद पर अपनी जीभ फिरा रही थी. मुझे ऐसी सनसनी पहले कभी महसूस नही हुई. इससे पहले भी रश्मि मेरी चूत या गांद के छेद को चाट चुकी थी पर ऐसे नही जब एक लंड मेरी चूत मे पहले से ही था.
तभी मेने महसूस किया कि रश्मि ने किसी तरह की क्रीम या तेल मेरी गांद के छेद पर डाल दिया है और उस जगह की मालिश कर रही है. जब मेरी गांद के चारों तरफ का हिस्सा चिकना हो गया तो उनसे अपनी एक उंगली मेरी गांद मे डाल गोल गोल घुमाने लगी. इस दोहरे स्पर्श ने मेरी चूत और गंद मे एक आग सी लगा दी थी. में उत्तेजना मे ज़ोर ज़ोर से अपने आप को रवि के लंड पर दबा देती.
रश्मि ने अपनी उंगली मेरी गांद से निकाल ली और मेरे गंद को और फैलाते हुए अपने जीब से उसे चाटने लगी. तभी मेने महसूस किया कि उसकी मुलायम जीब से ज़्यादा सख़्त चीज़ मेरी गांद से टकरा रही है, मैं डर गयी पता नही क्या चीज़ है.
में विरोध करना चाहती थी कि तभी रश्मि मेरे बगल मे आ गयी और मेरे मम्मो को मसल्ने लगी और फिर उसने मेरा सिर पकड़ अपनी चूत की ओर कर दिया. तभी मेने रवि को कहते सुना,
"प्रीति अब राज तुम्हारी गांद मारेगा. राज तुम्हारा बेटा पहचानती हो ना उसे? और फिर तुम चाहती हो ना कि कोई तुम्हारी गांद मारे? रवि ने कहा.
मेने राज के लंड को अपनी गांद मे घुसता महसूस किया. राज का लंड रवि जितना लंबा और मोटा तो नही था फिर भी उसे अंदर घुसने मे तकलीफ़ हो रही थी.
में इस से बचना चाहती थी पर रश्मि ने अपनी चूत मेरे मुँह पर दबा कर मेरी हर कोशिश को नाकाम कर दिया.
"थोडा सब्र से काम लो प्रीति," रश्मि ने मुझे समझाते हुए कहा, "थोड़ा दर्द होगा शुरू मे फिर ऐसा मज़ा आएगा कि तुम अपने आप को कोसोगी तुमने आज तक एक साथ दो लंड अपनी चूत और गांद मे क्यों नही लिए."
उसकी शब्दों ने मुझे थोड़ी राहत दी. पहले तो मुझे अपनी गांद मे दर्द हो रहा था पर वक़्त के साथ दर्द मज़े मे बदल गया. राज अपना लंड मेरी गांद मे पेले जा रहा था और रवि अपना लंड मेरी चूत मे.
मैं भी दोहरी चुदाई का मज़ा लेने लगी. कभी में अपने आप को रवि के लंड पर दबा देती तो कभी अपने कूल्हे पीछे कर राज के लंड पर.
तीनो मेरे जिस्म से खेल रहे थे. उनके हाथ मेरे बदन पर रैंग रहे थे और मेरी उत्तेजना को एक नई चर्म सीमा पर पहुँचा रहा थे. मेरे लिए चुदाई का या नया अनुभव था. अपने जिस्म मे इतनी उत्तेजना मेने कभी महसूस नही की थी.
"प्रीति मुझे पता है कि दोहरी चुदाई का मज़ा क्या होता है. मेने रात को ही इन दो लंड का मज़ा साथ साथ लिया है." रश्मि बोली.
अचानक मेने महसूस किया कि मेरी गंद मे घुसा लॉडा फूलने लगा है और उसकी चोदने की रफ़्तार तेज हो गयी है. कुछ ही देर मे रवि का लंड मेरी गंद मे अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था, और साथ ही मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
रवि का लंड भी तनने लगा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने कूल्हे उछाल मेरी चूत मे अपना लंड पेल रहा था. मेने रवि के लंड को अपनी चूत मे जकड़ा और ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे बैठने लगी. उसका लंड आकड़ा और उसने भी मेरी चूत मे अपना वीर्य उंड़ेल दिया.
रश्मि भी पीछे नही रही उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मैं उसकी चूत चूस्ते हुए अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया और में उसकी चूत से छूटे पानी को पीने लगी. जब में उसकी चूत से छूटे पानी एक एक बूँद पी गयी तो में निढाल होकर उनके बगल मे बिस्तर पर पसर गयी.
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