RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
"हां ये सही है. तुम जानती हो कि हम तीनो आपस मे चुदाई करते है. और तुम भी हम दोनो का साथ दे चुकी हो तो क्यों ना हम चारों साथ साथ चले." रवि ने कहा और रश्मि ने भी अपनी गर्दन हिला दी.
"अगर में तुम लोगो की बात मान भी लेती हूँ तो राज क्या सोचेगा? मैं कैसे उसके सामने एक ही कमरे में तुम दोनो के साथ चुदाई करूँगी?" मेने पूछा.
"मेने कहा ना कि राज में संभाल लूँगी." रश्मि ने कहा.
"मैं इस तरह फ़ैसला नही कर सकती. मुझे सोचने का वक़्त चाहिए. में सोच कर तुम लोगों को बता दूँगी." मेने जवाब दिया.
मेने देखा कि रवि का लंड एक बार फिर खड़ा हो रहा था. रश्मि ने मेरी निगाहों का पीछा किया और झुक कर रवि के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को चूसने लगी और उसका लंड एक बार फिर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया.
"क्या ये सब कभी रुकेगा कि नही?" मेने अपने आप से पूछा.
"प्रीति में एक बार फिर तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ." रवि ने अपने लंड को सहलाते हुए कहा.
रवि और रश्मि ने मिलकर मुझे घोड़ी बना दिया. "प्रीति में आज तुम्हारी गांद मे अपना लंड डाल अपना वीर्य तुम्हारी गांद मे डाल दूँगा." रवि मेरे कान मे फुसफुसाते हुए मेरे कान की लाउ को चुलबुलाने लगा.
मेरा शरीर कांप गया जब उसने अपने लंड को मेरे गंद के छेद पर रगड़ना शुरू किया. वो एक बार मेरी गंद मे अपना लंड घुसा चुक्का था फिर भी मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गयी, "ओह मार गेयीयीयियी."
रवि का लंड मेरी गंद मे जगह बनाता हुआ पूरा अंदर घुस गया. वो मेरे कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था. तभी रश्मि मेरी टाँगो के बीच आ गयी और मेरी चूत को चाटने लगी. उसकी तर्जुबेकर जीब मेरी चूत से खेलने लगी.
वो अपने लंड को मेरी गंद के अंदर बाहर करता रहा जब तक कि उसका 9' इंची लंड पूरा नही घुस गया. फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली और ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
मेने भी ऐसा आनंद अपनी जिंदगी मे नही पाया था. एक तो रश्मि की जीब मेरी चूत मे सनसनी मचाए हुए थी और दूसरी और रवि का लंड मेरी गंद की धज्जियाँ उड़ा रहा था. मैं भी उत्तेजना में अपने मम्मे मसल रही थी और ज़ोर से अपने कुल्हों को पीछे धकेल उसका साथ दे रही थी.
रवि ज़ोर से चोद रहा था और रश्मि पूरी ताक़त से चूस रही थी. जब रश्मि ने मेरी चूत के मुहानो को अपने दांतो से भींचा उसी वक़्त मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मुझे याद नही कि ये आज मे 6 बार झड़ी थी या 7वी बार.
रवि ने चोदना जारी रखा. मुझे उसका लंड अपनी गंद मे अकड़ता महसूस हुआ मैं समझ गयी कि उसका भी छूटने वाला है.
मुझसे अब सहा नही जा रहा था. में पागलों की तरह अपना सिर बिस्तर पर पटक रही थी, बिस्तर की चादर को नोच रही थी और गिड़गिदा रही थी कि वो दोनो रुक जाए.
रवि ने अपने तगड़े लंड को मेरी गंद से बाहर खींचा और सिर्फ़ अपने सूपदे को अंदर रहने दिया. उसने दोनो हाथों से मेरे मम्मे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का लगाया. उसका लंड मेरी गंद की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया. उसने ऐसा दो तीन बार किया और अपना वीर्य मेरी गांद मे छोड़ दिया.
मुझे नही पता कि उसके लंड ने कितना पानी छोड़ा पर मेरी चूत पानी से लबाब भर गयी थी. उसका वीर्य मेरी गांद से होते हुए मेरी चूत पर बह रहा था जहाँ रश्मि अपनी जीब से उस वीर्य को चाट रही थी.
रवि और रश्मि उठे नहाए और कपड़े पहन कर चले गये, और छोड़ गये मुझे अकेला अपनी सूजी हुई गंद और चूत के साथ जो रस से भरी हुई थी. उनके साथ हनिमून पर मे जाउ कि नही इसी ख़याल मे कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता नही.
टू बी कंटिन्यूड………….
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