RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
हम तीनो थके निढाल बिस्तर पर लेटे हुए थे कि रश्मि बोल पड़ी, "प्रीति आज तक किसी ने मेरी चूत को इस तरह नही चूसा जैसे तुमने. सबसे बड़ी बात ये है कि चूत चूसने का तुम्हारा पहला अनुभव था."
"और लंड चूसने मे भी, मेरे लंड ने पहली बार इतना जल्दी पानी छोड़ा होगा." रवि ने कहा.
"मुझे खुद समझ मे नही आ रहा है. पिछले दो दीनो मे जितनी चुदाई मेने की है उतनी में पिछले दो सालों मे नही की." मेने कहा.
"अब तुम क्या सोचती हो?" रवि ने पूछा.
"मुझे खुद को अपने आप पर विश्वास नही हो रहा है कि मेने अपनी होने वाली बहू के साथ शारारिक रिश्ता कायम किया है और मेरे बेटे के गहरे दोस्त से चुदवाया है. समझ मे नही आता कि अगर मेरे बेटे राज को पता चला तो उससे क्या उससे क्या कहूँगी." मेने कहा.
"ये सब आप मुझ पर छोड़ दें, राज को में संभाल लूँगी. फिलहाल तो में फिर से गरमा गयी हूँ." रश्मि ने कहा.
रश्मि बिस्तर पर पसर गयी और अपनी टाँगे फैला दी, "प्रीति अपनी जीब काजादू मेरी चूत पर एक बार फिर से चला दो. आओ और मेरी चूत को फिर से चूसो ना."
मेने अपनी होने होली वाली बहू को प्यार भरी नज़रों से देखा और उसकी टाँगो के बीच आते हुए अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक घुसा दी. रश्मि को अपनी चूत चूसवाना शायद अच्छा लगता था. वो सिसक पड़ी.
"ओह हााआआं चूऊऊऊओसो और ज़ोर से अहह ऐसे ही."
रवि मेरे पीछे आ गया और मेरी कुल्हों को पकड़ पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड घुसा दिया. मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. रवि ने मेरी चूत का पानी अपनी उंगली मे लगा मेरी गांद के छेद मे डाल उसे गीला करने लगा. पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर में वैसे ही पड़ी रही.
"ऐसे ही रहना हिलना मत." कहकर रवि बाथरूम मे चला गया.
जब वो वापस आया तो उसने फिर अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी गांद के छेद पे अपनी उंगलियाँ फिराने लगा. फिर वो कोई क्रीम मेरी गांद पर मलने लगा. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के अंदर डाल दी और मलने लगा साथ ही अपनी उंगली को मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. मेरी गांद पूरी तरह से चिकनी हो गयी थी और उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी.
रश्मि जो अब तक रवि की हारकोतों को देख रही थी अचानक बोल पड़ी. "हाआन्न रवि डाल दो अपना लंड इसकी गांद मे. में देखना चाहती हूँ कि तुम प्रीति की गांद कैसे मारते हो?'
"प्रीति क्या तुम भी अपनी गांद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?" रवि ने अपने लंड को मेरी गांद के छेद पर रखते हुए कहा.
"नही रवि ऐसा मत करना. मेने पहले कभी गांद नही मरवाई है." मेने अपना सिर यहाँ वहाँ पटकते हुए कहा, "तुम्हारा लंड काफ़ी मोटा और लंबा और है, ये मेरी गांद को फाड़ डालेगा."
"हिम्मत से काम लो. अगर में इसका लंड अपनी गांद मे ले सकती हूँ तो तुम भी ले सकती हो फरक सिर्फ़ आदत का है." रश्मि मेरे निपल मसल्ते हुए बोली.
रवि ने ढेर सारी क्रीम लगाकर अपने लंड को भी चिकना कर लिया था. फिर उसने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगा अपना लंड मेरी गांद मे घुसा दिया.
मेरे आँख से आँसू निकल पड़े और में दर्द में चीख पड़ी, "उईईई मररर्र्र्ररर गाइिईईईई निकॉयेयीयायायाल लूऊओ प्ल्ीआस्ीईए दर्द्द्द्द्दद्ड हूऊ रहा."
मेरी चीखों पर ध्यान ना देते हुए रवि ने अपना हाथ आगे कर अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल दी. उसके इस स्पर्श ने शायद मेरी गांद मे उठते दर्द को कम कर दिया. में अपने कूल्हे पीछे धकेल उसका साथ देने लगी.
रवि अब पूरे जोश से मेरी गांद की धुलाई कर रहा था. उसकी उंगलियाँ मेरी चूत को चोद रही थी और उसका लंड मेरी गांद को.
वही रश्मि ने अपनी चूत मेरे मुँह के आगे एक बार फिर कर दी और में उसकी चूत को चूसे जा रही थी.
रश्मि की निगाहें रवि के लंड पर थी जो मेरी गांद के अंदर बाहर हो रहा था, "राआवी घुस्स्स्स्स्ससा दो अपना लंड फाड़ डूऊऊऊऊ आज इसकी गांद को." रश्मि बड़बड़ा रही थी.
मेरे शरीर मे गर्मी इतनी बढ़ती जा रही थी. मेरी चूत मे उबाल आ रहा था. मैं अपने पूरे जोश से रवि के धक्कों का साथ दे रही थी. मेरी चूत इतनी पहले कभी नही फूली थी जितनी की आज.
"हे भ्ाागवान." मेने अपने आपसे कहा. "मेरा फिर छूटने वाला है," मुझे विश्वास नही हो रहा था.
रवि पूरी ताक़त से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर के चारों और लपेट ली थी और बड़बड़ा रही थी, "ओह राआवी हाआआं और काआआस के चूऊऊदो हूऊऊ आआआआः मेर्रर्र्र्ररर चूऊऊऊथा."
रवि मेरी गांद मे अपने लंड के साथ अपनी उंगली से मेरी चूत को चोद रहा था. मेने अपना मुँह रश्मि की चूत पर रख दिया और एक पागल औरत की तरह उसकी चूत को चूसने लगी.
रवि ने एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना वीर्य मेरी गंद मे छोड़ दिया. मेरी गांद ने आज पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था. में ज़ोर ज़ोर से रश्मि की चूत चूस रही थी, उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी और में हर बूँद का स्वाद ले उसे पी रही थी.
हम तीनो थके निढाल, पसीने से तर बतर बिस्तर पर पसर गये. इतनी भयंकर सामूहिक चुदाई मेने अपनी जिंदगी मे नही की थी. मुझे शरम भी आ रही थी साथ ही एक अंजनी खुशी भी कि मैं अपने शारारिक सुख का भी अब ख्याल रख सकती थी तभी रश्मि ने कहा,
"प्रीति तुम हमारे साथ हमारे हनिमून पर क्यों नही चलती?"
"रश्मि तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है? तुम चाहती हो कि में अपनी हँसी उड़वाउ. लोग क्या कहेंगे कि बेटे के हनिमून पर एक मा उनके साथ क्या कर रही है?" मेने कहा.
मैं मज़ाक नही कर रही. रवि हम लोगो का साथ आ रहा है. हमने चार लोगो के हिसाब से कमरा बुक करवाया है. तुम हमारे साथ एक दम फिट बैठोगी." रश्मि ने कहा.
"रश्मि सही कह रही है प्रीति. हमने चार लोगो की बुकिंग कराई है. मैं वैसे भी किसी को अपने साथ ले जाने वाला था, तो तुम क्यों नही चलती." रवि ने मेरी चुचियों को मसल्ते हुए कहा.
"तुम ये कहना चाहते हो कि राज चाहता है कि रवि और एक दूसरी औरत उसके साथ उसके हनिमून पर चले और साथ साथ एक ही रूम मे रुके." मेने पूछा.
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