RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
रवि ने मेरी आँखों मे झाँका और पूछा, "प्रीति तुम ठीक तो हो ना?"
मेरे मुँह से आवाज़ नही निकली, मेने सिर्फ़ गर्दन हिला कर उसे हां कहा और अपने बदन को थोड़ा हिला कर अड्जस्ट कर लिया. मुझसे अब रहा नही जा रहा था.
"पल्ल्ल्ल्ल्लेआआअसए अब मुज्ज़ज्ज्ज्ज्झे चूऊओदो." मेने धीरे से उससे कहा.
रवि ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिए. पहले तो वो मुझे धीरे धीरे चोद्ता रहा, जब मेरी चूत गीली हो गयी और उसका लंड आसानी से मेरी चूत मे आ जा रहा था अचानक उसने मेरी टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख ली और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
उसका हर धक्का पहले धक्के ज़्यादा ताकतवर था. उसकी साँसे तेज हो गयी थी और वो एक हुंकार के साथ अपना लंड मेरी चूत की जड़ों तक डाल देता. अब में भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. में भी अपनी मंज़िल के नज़दीक पहुँच रही थी.
"चूऊऊदो राआआआवी आईसस्स्स्स्स्ससे ही हााआअँ ओह मेयरययाया छुउतने वायायेएयेयायायाल हाईईइ." में उखड़ी सांसो के साथ बड़बड़ा रही थी.
"हाआआं प्रीईएटी चूऊऊद डूऊऊ अपनााआ पॅनियीयैयियी मेरे लिईई." कहकर वो ज़ोर ज़ोर से चोदने लग गया.
रवि मुझे जितनी ताक़त से चोद सकता था चोद रहा था और मेरी चूत पानी पर पानी छोड़ रही थी. मेरा शरीर उत्तेजना मे कांप रहा था, मेने अपने नाख़ून उसके कंधों पे गढ़ा दिए. मेरी साँसे संभली भी नही थी की रवि का शरीर अकड़ने लगा.
"ओह प्रीईईटी मेरााआआआ भी चूऊऊथा ओह ये लो." रवि ने एक आखरी धक्का लगाया और अपना वीर्य मेरी चूत मे चोद दिया.
पिचकारी पिचकारी मेरी चूत मे गिर रही थी. जैसे ही हम संभले मेने अपनी टाँगे सीधी कर ली. रवि तक कर मेरे शरीर पर लुढ़क गया, हम दोनो का शरीर पसीने से तर बतर था.
"चलो नहा लेते है." रवि ने मुझे चूमते हुए कहा.
अब मुझे अपने किए हुए पर शरम नही आ रही थी. में नंगी ही उठी और रवि का हाथ पकड़ बाथरूम की ओर बढ़ गयी. हम दोनो गरम पानी के शवर की नीचे खड़े हो अपने बदन को सेकने लगे. हम दोनो एक दूसरे की बदन को सहला रहे थे और एक दूसरे की बदन पर साबुन मल रहे थे. मेने रवि के लंड और उसकी गोलियों पर साबुन लगाना शुरू किया तो उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया.
में उसके मस्ताने लंड को हाथों मे पकड़े सहला रही थी. मुझमे भी फिर से चुदवाने की इच्छा जाग उठी. मैं उसके लंड को अपनी चूत पर रख रगड़ने लगी.
रवि भी अपने आपको रोक नही पाया उसने मुझे बाथरूम की दीवार के सहाहे खड़ा किया और मेरे चुतदो को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया.
उसके हर धक्के के साथ मेरी पीठ दीवार मे धँस जाती. में अपने बदन का बोझ अपनी पीठ पर डाल अपनी चूत को और आगे की ओर कर देती और उसके धक्के का साथ देती. थोड़ी ही देर में हम दोनो का पानी छूट गया.
हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए शवर के नीचे थोड़ी देर खड़े रहे. फिर में उसे अलग हुई तो उसका लंड मुरझा कर मेरी चूत से फिसल कर बाहर आ गया. मेरे मन में तो आया कि में उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले दोनो के मिश्रित पानी का स्वाद चखू पर ये मेने भविष्य के लिए छोड़ दिया.
पूरा दिन हम मज़े करते रहे. कभी हम टीवी देखते तो कभी एक दूसरे को छेड़ते. पूरे दिन हम कई बार चुदाई कर चुके थे. मेने रात के लिए भी रवि को रोक लिया. रात को एक बार फिर हमने जमकर चुदाई की और एक दूसरे की बाहों मे सो गये.
दूसरे दिन मे सो कर उठी तो मन में एक अजीब सी खुशी और शरीर मे एक नशा सा भरा था. मेने रवि की तरफ देखा जो गहरी नींद मे सोया हुआ था. उसका लंबा मोटा लंड इस समय मुरझाया सा था. उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से मे अपने आपको नही रोक पाई.
में उसके बगल मे नंगी बैठी थी. मेरी चूत और निपल दोनो आग मे जल रहा था. मेने अपना हाथ बढ़ाया और रवि के लंड को पकड़ अपने मुँह मे ले लिया. मैं ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी इतने में रवि जाग गया और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, "हााआअँ प्रीईटी चूऊसो ईसीईईई चतत्तटो मेरी लंड को."
उसकी टाँगे अकड़ रही थी और में समझ गयी कि थोड़ी देर की बात है और वो झाड़ जाएगा. कई सालों बाद में किसी मर्द के वीर्य का स्वाद चखने वाली थी. में उसके लंड को चूसने मे इतना मशगूल थी कि कोई कमरे मे दाखिल हुआ है इसका मुझे ध्यान ही नही रहा.
में बिस्तर पर बैठी और झुकी हुई रवि का लंड चूस रही थी कि मेने किसी के हाथों का स्पर्श अपनी जांघों पर महसूस किया. रवि के लंड को बिना मुँह से निकाले मेने अपनी नज़रे उप्पर उठाई तो देखा कि मेरी बहू रश्मि एकदम नंगी मेरी जांघों के बीच झुकी हुई थी.
रश्मि मेरी जाँघो को चूमने लगी और उसके हाथ मेरे कूल्हे और कमर को सहला रहे थे. मैने अपना ध्यान फिर रवि का लंड चूसने मे लगा दिया और इतने में ही रश्मि मेरी चूत को मुँह में भर चूसने लगी.
उसकी जीब ने तो जैसे मेरी चूत की आग को और भड़का दी. में अपने कूल्हे पीछे की ओर कर उसकी जीब का मज़ा लेने लगी. इतने अपनी जीब के साथ रश्मि अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. मेरा शरीर उत्तेजना मे भर गया.
मेने ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूस रही और साथ साथ ही रश्मि के मुँह पर अपनी चूत दबा रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने रश्मि के मुँह पर पानी छोड़ दिया.
अचानक रवि ने मेरे सिर पर हाथ रख उसे अपने लंड पे दबा दिया. उसके लंड को गले तक लेने मे मुझे परेशानी हो रही थी कि उसके लंड ज़ोर की पिचकर छोड़ दी. इतना पानी छूट रहा था की पूरा वीर्य निगलना मेरे बस की बात नही थी. उसका वीर्य मेरे होठों से होता हुआ मेरी चुचियों पर गिर पड़ा.
रश्मि ने आगे बढ़ मेरे चुचियों परे गिरे वीर्य को चाट लिया और मेरी चुचियों को चूसने लगी.
"क्या इनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी नही है?" रश्मि ने मेरे निपल्स को भींचते हुए रवि से पूछा.
रवि के लंड से छूटा वीर्य अभी भी मेरे होठों पे लगा हुआ था. में बिस्तर पर आराम से लेट गयी थी, तभी रवि ने मेरे होठों को चूम कर मुझे चौंका दिया. उसने मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी. मैं इतनी उत्तेजित हो गयी कि मुझे लंड लेने की इच्छा होने लगी.
रवि ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैला एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना लंड मेरी चूत मे अंदर तक पेल दिया. उसके एक ही धक्के ने मेरी चूत का पानी छुड़ा दिया.
रश्मि मेरे उप्पर आ गयी और मेरे चेहरे के पास बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, मैं डर गयी, "प्लीज़ रश्मि ऐसा मत करो, मेने आज तक ये सब नही किया है." मेने विरोध करते हुए कहा.
"बेवकूफ़ मत बनो. वक्त आ गया है कि तुम ये सब सीख लो. वैसे ही करते जाओ जैसे मेने तुम्हारी चूत चूस्ते वक़्त किया था." रश्मि ने कहा.
"रश्मि अगर तुमने जिस तरह से मेरे लंड को चूसा था उससे आधे तरीके से भी तुम चूत चतोगी तो रश्मि को मज़ा आ जाएगा." रवि ने मेरी चूत मे धक्के लगाते हुए कहा.
मेने अपना सिर थोडा सा उप्पर उठाया और अपनी जीब बाहर निकाल ली. मुझे पता नही था कि चूत कैसे चाती जाती है इसलिए मैं अपनी जीब रश्मि की चूत के चारों और फिराने लगी.
रश्मि की चूत इतनी मुलायम और नाज़ुक थी की में अपने आप को रोक नही पाई और ज़ोर से अपनी जीब चारों तरफ घूमने लगी, रश्मि के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. रश्मि को भी मज़ा आ रहा था.
मुझे खुद पर विश्वास नही हो रहा था, मुझे उसकी चूत का स्वाद इतना अच्छा लगा कि मेने अपनी जीब को एक त्रिकोण का आकर देकर उसकी चूत मे घुसा दी. अब मैं उसकी चूत मे अपनी जीब अंदर बाहर कर रही थी.
रश्मि को भी मज़ा आ रहा था. उसने अपनी जंघे और फैला दी जिससे मेरी जीब को और आसानी हो उसकी चूत के अंदर बाहर होने मे.
जैसे जैसे मे रश्मि की चूत को चूस रही थी मेरी खुद की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. रवि एक जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था. उसका लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उत्तेजना मे मेने अपनी दोनो टाँगे रवि की कमर पे लपेट ली और वो जड़ तक धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगा.
रवि ने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया और उसी समय मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. मेरी चूत हम दोनो के पानी से भर गयी थी. मेने नज़रें उठा अपना ध्यान रश्मि की ओर कर दिया.
अब मे अपनी जीब जोरों से उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी. मेने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने दांतो मे ले काट लेती तो वो मारे उत्तेजना के चीख पड़ती, "ओह काआतो मेरिइई चूओत को ओह हाआअँ घुसााआआअ दो आआपनी जीएब मेर्रर्र्ररर चूऊत मे आआआः आचाा लग रहा है."
रश्मि ने उत्तेजना मे अपनी चूत मेरी मुँह पर और दबा दी और अपनी चूत को और मेरे मुँह मे घुसा देती. मैने उसके कुल्हों को पकड़ और ज़ोर से उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. रश्मि ने अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाते हुए अपना पानी छोड़ दिया. आख़िर वो थक कर मेरे बगल मे लेट गयी.
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