RE: Kamukta Kahani मैं और मेरी बहू
गतान्क से आगे......
मेने आने वाले दिनो में कई बार रश्मि, राज और रवि को एक साथ चुदाई करते देखा. मुझे भी किसी से चुदवाये कई साल हो गये थे और मेरा भी शरीर गरमा उठता था.
ऐसा लगता था कि तीनो को सेक्स के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता था. मैं नही जानती थी कि ये सब कुछ कितने दिनो तक चलेगा. अगले महीने राज और रश्मि की शादी होने वाली थी.
एक दिन जब वो तीनो चुदाई मे मशगूल थे मैं हर बार की तरह उन्हे छुप कर देख रही थी. मैं अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी कि अचानक मेने देखा कि रवि मुझे ही देख रहा था. शायद उसने मुझे छुपकर देखते पकड़ लिया था. क्या वो सब को ये बता देगा ये सोचते हुए में वापस अपने कमरे मे आ गयी.
कुछ दिन गुज़र गये पर रवि ने किसी से कुछ नही कहा. मैं समझी शायद उसने मुझे ना देखा हो पर उस दिन के बाद मेने छुपकर देखना बंद कर दिया.
शनिवार के दिन राज और रश्मि अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्निक मनाने चले गये. मेने सोचा कि चलो आज घर में कोई नही में भी थोड़ा आराम कर लूँगी.
मेने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी. एक रोमॅंटिक नॉवेल ले मैं सोफे पर लेट पढ़ने लगी. बेखायाली मे मुझे याद नही रहा कि मेने दरवाज़ा कैसे खुला छोड़ दिया. मुझे पता तब चला जब मेने रवि की आवाज़ सुनी, "किताब पढ़ी जा रही है."
मेने तुरंत अपना हाथ अपने नाइट गाउन की तरफ बढ़ाया पर रवि ने मेरे गाउन को मेरी पहुँच से दूर कर दिया था. मेने झट से एक हाथ से अपनी चुचियों को ढका और दूसरे हाथ से अपनी चूत को ढका.
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो राज के साथ पिक्निक पर जाने वाले थे?" मेने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा.
"पता नही क्यों मेरा मन नही किया उनके साथ जाने को. उस दिन के बाद मेने सोचा आप अकेली होंगी चल कर आपका साथ दे दूं. आपको ऐतराज़ तो नही?" रवि ने जवाब दिया.
"ज़रूर ऐतराज़ है. आज में अकेले रहना चाहती हूँ. अब तुम यहाँ से चले जाओ." मेने अपनी आवाज़ पर ज़ोर देते हुए कहा.
रवि ज़ोर से हँसने लगा और अपने कपड़े उतार दिए, "मैं थोड़ी देर आपके साथ बिताकर चला जाउन्गा."
मैं उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हो उठी. जब उसने कपड़े उतार शुरू किए तो में चौंक पड़ी. मेने गौर से उसके लंड की तरफ देखा, मुरझाए पन की हालत में भी वो कम से कम 6' इंच लंबा दिख रहा था. मेने अपनी नज़रें हटाई और पेट के बल लेट गयी जिससे उसकी नज़रों से अपने नंगे बदन को छुपा सकु.
"इसमे इतनी हैरानी की क्या बात है. तुम मुझे इससे पहले भी नंगा देख चुकी हो." उसने कहा.
उसे पता था कि में उन लोगो को छुप कर देख चुकी हूँ और में इनकार भी नही कर सकती थी. उसने एक बार फिर मुझे चौंका दिया जब वो मेरे नग्न चुत्तदो को सहलाने लगा.
साइड टेबल पर पड़ी तेल की शीशी को देख कर वो बोला, "प्रीति तुम्हारे चूतड़ वाकई बहोत शानदार है और तुम्हारा फिगर. लाओ में थोडा तेल लगा कर तुम्हारी मालिश कर देता हूँ."
मेने महसूस किया तो वो मेरे कंधों पर और पीठ पर तेल डाल रहा है. फिर वो थोड़ा झुकते हुए मेरे बदन पर तेल मलने लगा. उसके हाथों का जादू मेरे शरीर मे आग सी भर रहा था. उसका लंड अब खड़ा होकर मेरे चुतदो की दरार पर रगड़ खा रहा था. मेने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर वो मुझे कस कर पकड़े तेल मलने लगा.
मेरे कंधों और पीठ पर से होते हुए उसके हाथ मेरी पतली कमर पर मालिश कर रहे थे. फिर और नीचे होते हुए अब वो मेरी नग्न जांघों को मसल रहे थे. अब वो मेरी गांद पर अपने हाथ से धीरे धीरे तेल लगाने लगा. बीच मे वो उन्हे भींच भी देता था. एक अजीब सी सनसनी मेरे शरीर में दौड़ रही थी.
रवि काफ़ी देर तक यूँही मेरी मालिश करता रहा. गांद की मालिश करते हुए कभी वो मेरी जांघों के बीच मे भी हाथ डाल देता था.
फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ा और पीठ के बल लिटा दिया. इससे पहले कि में कोई विरोध करती उसने मेरे होठों को अपने होठों मे ले चूसना शुरू कर दिया. अब मुझसे अपने आपको रोक पाना मुश्किल लग रहा था आख़िर इतने दिनो से में भी तो यही चाहती थी. मेने अपने आपको रवि के हवाले करते हुए अपना मुँह थोड़ा खोला और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल घूमाने लगा.
रवि मेरे निचले होठों को चूस्ते हुए मेरी थोड़ी फिर मेरी गर्दन को चूम रहा था. जब उसने मेरे कान की लाउ को चूमा तो एक अजीब सा नशा छा गया.
अपनी जीब को होले होले मेरे नंगे बदन पर फिराते हुए नीचे की और खिसकने लगा. जब वो मेरी चुचियों के पास पहुँचा तो वो मेरी चुचियों को हल्के से मसल्ने लगा. मेरे तने हुए निपल पर अपनी जीब फिराने लगा. अजीब सी गुदगुदी मच रही थी मेरे शरीर मे. कितने सालों से में इस तरह के प्यार से वंचित थी.
रवि मेरी आँखों में झँकते हुए कहा, "तुम्हारी चुचियों बड़ी शानदार है."
में उसके छूने मात्र से झड़ने के कगार पर थी. रवि ने मुझे ऐसे हालत पे लाकर खड़ा कर दिया था कि मेरी चूत मात्र छूने से पानी छोड़ देती.
वो मेरी चुचियों को चूसे जा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहला रहा था. झड़ने की इच्छा मेरे में तीव्र होती जा रही थी. मेरी चूत में आग लगी हुई थी और उसका एक स्पर्श उसकी उठती आग को ठंडा कर सकती थी.
मेने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, "रवि प्लीज़ प्लीज़….."
"प्लीज़ क्या प्रीति बोलो ना? तुम क्या चाहती हो मुझसे? क्या तुम झड़ना चाहती हो?' जैसे उसने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.
"हां रवि मेरा पानी छुड़ा दो, में झड़ना चाहती हूँ." मेने जैसे मिन्नत माँगते हुए कहा.
वह मेरी दोनो चुचियों को साथ साथ पकड़ कर मेरे दोनो निपल को अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगा. अपना मुँह हटा कर वो फिर से वही हरकत बार बार दोहराने लगा जब तक में अपने कूल्हे ना उचकाने लगी.
जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत पर पहुँचा उसने अपनी उंगली मेरी गीली हुई चूत में घुसा दी. फिर वह अपनी दो और उंगली मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा.
रवि फिर मेरी टाँगो के बीच आ गया और मेरी चूत को अपने मुँह मे ले लिया. उत्तेजना के मारे मेरी चूत फूल गयी थी. वो मेरी चूत को चूस और चाट रहा था. रवि अपनी लंबी ज़ुबान से मेरे गंद के छेद से चाटते हुए मेरी चूत तक आता और फिर अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा देता.
उसकी इस हरकत ने मेरी टाँगो का तनाव बढ़ा दिया और एक पिचकारी की तरह मेरी चूत ने उसकी मुँह मे पानी छोड़ दिया. मेरा शरीर मारे उत्तेजना के कांप रहा था और मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.
रवि ने अच्छी तरह मेरी चूत को चाट कर साफ किया और फिर खड़े होते हुए मेरी ही पानी का स्वाद देते हुए मेरे होठों को चूम लिया.
"देखा तुम्हारी चूत के पानी का स्वाद कितना अच्छा है. और तुम्हारी चूत पानी भी पिचकारी की तरह चोदती है." उसने कहा.
"हां राज मेरी चूत उत्तेजना में फूल जाती है और पानी भी इसी तरह छोड़ती है. मेरे पति का अच्छा नही लगता था इसीलिए वो मेरी चूत को चूसना कम पसंद करता था." मेने कहा.
"में समझ सकता हूँ. अब में तुम्हे आराम से प्यार करना चाहता हूँ और तुम भी मज़े लो." कहकर रवि मेरी चेहरे पर हाथ फिराने लगा.
रवि उठ कर खड़ा हो गया और उसका लंड और तन कर खड़ा हो गया. में अपनी जिंदगी में सबसे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. रवि का लंड मेरे पति के लंड से दुगना था लंबाई मे. वो कमसे कम 9'इंच लंबाई मे और 5' इंच मोटाई मे था. मेरा जी उसके लंड को मुँह मे लेने को मचल रहा था और में डर भी रही थी क्योंकि मेने आज तक इतने लंबे लंड को नही चूसा था.
उसने मुझे धीरे से सोफे पर लिटा दिया. में आराम से लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी. उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अंदर घुसा दिया.
मेने कस कर रवि को अपनी बाहों में जाकड़ लिया था. उसके लंड की लंबाई से मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो मेरी चूत को सही मे फाड़ ना दे.
रवि धीरे से अपने लंड को बाहर खींचता और फिर अंदर घुसा देता. मेने अपनी टाँगे उठा कर अपनी छाती से लगा ली जिससे उसको लंड घुसाने में आसानी हो. जब उसका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया था तो वो रुक गया जिससे मेरी चूत उसके लंड को अड्जस्ट कर सके. मुझे पहली बार लग रहा था कि मेरी चूत भर सी गयी है.
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