RE: XXX Stories बीवी ने मेरा काम बनवा ही दिया
बीवी ने मेरा काम बनवा ही दिया--3
गतान्क से आगे............
सुषमा ने काजल को छेड़ते हुए कहा ” क्यों बन्नो भैया से चूत चटाई मे मज़ा आया या नही ? ” काजल : भाभी आपका एहसान मे जिंदगी भर नही भूलूंगी, मैं सोच भी नही सकती थी कि इस मे इतना मज़ा आता होगा.सुषमा : फिर कभी दिल करे तो मुझ से बोल देना,बाहर के लड़कों के चक्कर मे ना पड़ना.काजल : एक बात तो है भाभी, जब भैया की जीभ अंदर बाहर हो रही थी तो इतना मज़ा आ रहा था मैं बयान नही कर सकती. सुषमा : अरी ये मज़ा तो कुच्छ भी नही है, जब चूत के अंदर लंड लेकर देखेगी तो इस मज़े को भूल जाओगी, तुम स्वर्ग मे गोते लगाने लगोगी.लंड की ठोकर जब चूत की गहराई मे लगती है तो औरत सब कुच्छ भूल कर आनंद लोक मे विचरण करने लगती है.
काजल : सच भाभी, क्या लंड डलवाने मे इतना मज़ा आता है ? काश एक बार मे भी किसी का लेकर देख सकती. सुषमा : और किसी के बारे मे सोचना भी मत, यदि दिल करे तो मैं तेरा काम तेरे भैया से ही बनवा दूँगी. मेरे पास ऐसा आइडिया है कि तुम लंड अंदर लेने का मज़ा भी लेलोगी और तुम्हारे भैया को पता भी नही चलेगा.
काजल : सच भाभी, प्लीज़ बताओ ना वो आइडिया.
सुषमा : बता दूँगी, इतनी भी जल्दी क्या है.
कई दिनो के बाद राखी का दिन था और उस दिन काजल ने मुझे रखी बाँधी और सुषमा का भाई तरुण मेरी पत्नी से राखी बंधवाने आया. जब मेरी पत्नी ने अपने भाई को रखी बाँधी तो उसने अपनी बेहन को गले लगा कर मूह पर चूमा लिया. मैं बहुत शक्की किस्म का आदमी हूँ और मैने चोर निगाह से देखा कि मेरे साले ने मेरी पत्नी की चुचि को दबाया, दोनो गालों को मूह मे भर कर चूसा और फिर उसस्की गांद पर भी हाथ फेर दिया. मैं क्या देख रहा था. मेरा साला कहीं खुद की सग़ी बेहन का पुराना आशिक़ तो नहीं है? या मेरी पत्नी कहीं अपने भाई पर आशिक़ तो नहीं हो रही? तरुण की पॅंट्स का सामने वाला हिस्सा भी उभर गया और मुझे सॉफ दिख रहा था कि मेरे साले का लंड अपनी बेहन के स्पर्श के बाद पूरा खड़ा हो चुका था.
राखी के बाद मेरी पत्नी और साला दूसरे कमरे में चले गये और काजल मेरे पास बैठ गयी.” भैया आप को क्या हो गया? आप का तो रंग उत्तर गया. क्या मेरे भैया अपनी पत्नी से कुच्छ पल भी अलग नहीं रह सकते. भैया ! भाबी अपने भाई से मिलने दूसरे रूम मे गयी है. मैं आपके साथ बैठ जाती हूँ, मेरे प्यारे भैया उदास क्यो होते हो?” कहते ही मेरी बेहन ने अपनी बाहें मेरी गर्दन पर डाल दी और मेरी गोद में बैठ गयी. मेरे लंड को करेंट सा लगा और मेरा लंड तन गया और काजल के गुदाज़ चूतड़ के बीच की दरार में दाखिल होने लगा. काजल मेरे गालों पर अपना गाल रगड़ने लगी और मुझे ना जाने क्या हुआ कि मुझे उधार याद आगाई और मैने अपनी बेहन के रसीले होंठों पर अपने होंठ टिका कर किस कर लिया. मेरी बेहन पहले तो मेरे साथ चिपेट गयी और उसके होंठ खुल गये.मैं उसकी मीठी जीभ का रास्पान करने लगा, लेकिन जब मैने उसकी चुचि ज़ोर से मसल डाली तो वो उठ कर भाग गयी. मुझे लगा कि वो मेरे थर्किपन को समझ गयी और मुझ से नाराज़ हो गयी .
मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई और डर भी लगा कि कहीं अपनी भाबी से कुच्छ ना कह दे. मेरी पत्नी तो मुझे पहले से ही बहन का यार कहती रहती है. अगर आज की ये बात सुषमा को पता चल गयी तो ना जाने क्या सोचे गी?थोड़ी देर मे काजल फिर आई और मेरे कान मे फुस्फुसाइ “भैया चलो एक चीज़ दिखाती हूँ ” और मेरा हाथ पकड़ कर सुषमा के रूम की खिड़की के पास ले गयी.काजल ने आँख लगा कर अंदर देखा और मुझे भी देखने का इशारा किया.मेने काजल के पिछे सॅट कर अंदर का नज़ारा देखा तो लंड एकदम तन गया और काजल के चूतदों के बीच मे गढ़ गया. मेने काजल के गाल से गाल सटा कर देखा के मेरी बीवी और साला पूरे नंगे होकर एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे. तरुण के हाथ उसकी बेहन के नितंबो को भींच रहे थे तो सुषमा अपने भाई का 10 इंची लंड प्यार से सहला रही थी.
फिर मेरी पत्नी घुटनो के बल नीचे बैठ गयी और उसने अपने भाई का विशाल लंड चाटना शुरू कर दिया और लंड को चूसने लगी.काजल के मूह मे पानी आ गया.उसने सुन्दर मुखड़ा मेरी ओर मोड़ा तो हमारी जीबे भी एक दूसरे का रास्पान करने लगी.फिर हमने देखा कि मेरा साला मेरी बीवी को बेड पर ले गया और 69 की पोज़िशन मे हो गये.लंड और चूत का रास्पान एक साथ शुरू हो गया.थोड़ी ही देर मे सुषमा के होंठो के किनारो से वीर्य छलक्ने लगा तो मैं समझ गया के दोनो झाड़ गये हें पर सुषमा लंड को दबा दबा कर आख़िरी बूँद तक चुस्ती रही तो तरुण का लंड फिर खड़ा हो गया.सुषमा खुश हो कर चूतादो के नीचे तकिया लगा कर लेट गयी और जंघे चौड़ी करके बोली ” लाओ भैया अब राखी का असली गिफ्ट दो”.
तरुण ने जैसे ही विशाल लंड का सूपड़ा अपनी बेहन की चूत पर रखा तो सुषमा के साथ-2 काजल के मूह से भी सिसकारी निकल गयी और पलट कर मुझ से लिपट गयी और मेरी कलाई पर बाँधी गयी राखी को सहलाते हुए कान मे धीरे से बोली “भैया मेरा गिफ्ट ?”मेने देखा के तरुण के दाएँ हाथ पर पवित्र राखी चमक रही थी और उसने विकराल लंड उसकी सग़ी बेहन की चूत मे जड़ तक घुसेड दिया था. मेने काजल को चूतदों पर कोली भर कर उठा लिया और दूसरे रूम मे बेड पर ले गया.वैसे तो मुझे तजुर्बे से मालूम था के तरुण अभी-2 झाड़ा था और बेहन भाई का मिलन भी कई दिनो के बाद हो रहा था इसलिए वो सारी कसर पूरी करके ही बाहर निकलेंगे.एतिहात के तौर पर मेने अंदर से कुण्डी लगा ली.
काजल शरम के मारे बेड पर उल्टी हो करके लेट गयी.मेने उसकी मस्त गदराई जाँघो पर से स्कर्ट को कमर तक उपर किया तो आँखे चुन्धिआ गयी.काजल ने चड्धि नही पहनी हुई थी और वही चौड़ा गौरा पिच्छवाड़ा बिना चड्धि के मुझे बुला रहा था.मैं झट से नंगा हो कर अपनी कमसिन बेहन के उपर चढ़ गया.मेरा लंड सीधा उसके गदराए चूतड़ को अलग करता हुआ गांद पे जा टिका.नीचे हाथ डाल कर मेने उसके दोनो अनारों को दबोच लिया और प्यार से उसकी गर्दन ,कान की लू और गालों को चाटने और चूसने लगा.उतेज्ना मे काजल के मूह से सिसकियाँ निकल रही थी.जैसे ही मेने लंड का दबाव गांद पर बढ़ाया तो काजल दर्द मे बोली के भैया अभी उपर-2 से कर लो,कहीं भाभी ना आ जाए.
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