RE: Sex Chudai Kahani अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता
अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता --05
गांद पे पड़े थप्पड़ और बेदर्दी से मसलने जानेवाले मम्मो के दर्द से संगीता चिल्लती है.अफ़रोज़ जो बात बोल रहा था वो सही थी और वो इसके लिए ही आये थे यहा पर अफ़रोज़ इतनी जल्दी उससे नंगी करेगा यह नही पता था उससे. थप्पड़ की जगह अपनी गांद मसालते और अफ़रोज़ का हाथ माममे से हटाने की कोशिश करते संगीता बोली,"ह अफ़रोज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे लग रहा है.यह क्या हुआ है तुझे आज?उूुउउहीईए माआ आआआआआः उुउउहीईए माआ बहुत दर्द होता है अफ़रोज़.प्लीज़ आइसा मत करो, दर्द हो रहा है ना मुझे." संगीता की आँखो मॅ आसू आए.पर अफ़रोज़ अब संगीता की कोई बात सुनने के मूड मे नही था.बहुत दीनो से संगीता के जिस्म ने उससे तडपया था****ने संगीता को टर्न करके एक हाथ उसके करके शर्ट के नीचे से डालके माममे ब्रा के उप्परसे मसालते बोला,"मेरी रानी,मर्द के हाथ पहली बार जिस्म से खेलने लगता है तो तेरी जैसे लड़की को दर्द होता ही है.पर संगीता इस दर्द के बाद जो खुशी मिलेगी उसके बाद यह दर्द बार-बार चाहाए होगा तुझे.आज देख तेरी आइसे हालत करता हून की तू पहले रोएगी पर उसके बाद तेरी यह चूत मारे लॉड के लिए तरसेगी." संगीता की नंगी गांद पे हल्के से और थप्पड़ मरते फिर अफ़रोज़ दोनो हाथ से संगीता का शर्ट खोलने लगा.संगीता को कुछ समझ मई आने के पहले अफ़रोज़ ने उसका शर्ट खोलके उतरा.अब संगीता अफ़रोज़ के आगे सिर्फ़ स्कर्ट और ब्रा मई खड़ी थी. संगीता अफ़रोज़ के कार्मेन से डर और दर्द से घबराते बोली,"अफ़रोज़ नही प्लीज़, मारे कपड़े क्यों उतारे?मुझे नंगी क्यों कर रहे हो?देख यह ठीक नही है, कुछ गड़बड़ हुई तो मेरी कितनी बदनामी होगी.प्लीज़ आइसा मत कर, मुझे जाने दो अफ़रोज़." संगीता के माममे बेरहमी से मसालते और अब उसका गाल चूमते अफ़रोज़ बोला,"हन ज़रूर जाने दूँगा पर तेरी मस्त जवानी को पहले चोदुन्ग. संगीता बहुत तडपा हून मई तेरी यह जवानी देखके.कल रात को कितने नाटक किए थे तूने अब तभी मैने टाई किया की तुझे आज मई ज़रूर चोदुन्गा जिसे फिर कभी तू मारे सामने नाटक नही करेगी." अफ़रोज़ ब्रा के उप्पर से माममे मसल ते पीछे से संगीता की गांद पे लंड रग़ाद रहा था.संगीता को यह सब अक्चा लग रहा था पर उससे डर भी लग रहा था.अपना जिस्म अफ़रोज़ के हाथ ढीला छोडवो फिर अफ़रोज़ को प्लीड करते बोली,"आआआआआआः ऊवू उूउउफफफफफफफ्फ़ इतने ज़ोर्से मत दब्ाओ ना ह." अफ़रोज़ इस प्लीडिंग पे ध्यान दिए बिना अब संगीता की ब्रा खोलके उससे घूमके,सामने से उसके निपल को ज़रा बेरहमी से पिंच करते स्कर्ट खिचके उतरते बोला,"तो मेरी रानी,नाटक क्यों करती है?उस्दीन से तारे नाटक देखके सहन कर रहा हून,कल श्याम को भी कितना तडपया तूने मुझे याद है?बोल नाटक करेगी मुझसे?" अफ़रोज़ संगीता का एक निपल ज़ोर्से खिचता है जिसे वो दर्द से और भी रोते बोली, "आआआआआआआः मुझे म्म्म्ममफफफफ्फ़ करो.मुझे इतना दर्द मत दो,मई अब कोई नाटक नही करूँगी, पर प्लीज़ ऐसा मत करो अफ़रोज़ उउऊहीई माआ बहुत दर्द हो रहा है."अपनी लूँगी खोलते टंके खड़ा लॉडा संगीता के सामने मसालते अफ़रोज़ बोला, "साली मुझे इतना तडपया उसका कितना दर्द हुआ होगा मुझे?सुन संगीता, अगर माफी चाहाए तो मेरा लॉडा चूस.मेरा लंड चूसने के बाद शायद तुझे माफ़ करू.चल जलदे नीचे बैठके मेरा लंड चूस नही तो और दर्द दूँगा मई तुझे." संगीता अब डारी है.अफ़रोज़ का यह रूप उसके लिए नया था. अफ़रोज़ आज उससे कितना दर्द दे रहा था और कितनी गंदी गलिया दे रहा था.डरते हुए नीचे बैठ के उसने अफ़रोज़ का लंड हाथ मई लाते मूह मई डाला.वैसे उसके कल अफ़रोज़ का लंड चूसा था इसलिए बिना दिक्कत वो फिर लंड चूसने लगती है.अफ़रोज़ उसका सिर पकड़ते मूह छोड़ने लगा.कल की प्रॅक्टीस से वो अब ठीक से लंड चूस रही थी. वो आज अपना सब कुछ अफ़रोज़ के हवाले करने आए थी पर प्यार से पर अफ़रोज़ के रववये को देखके वो समझी थी की आज अफ़रोज़ उससे बेरहमी से चोद ने वाला था.संगीता का मूह चोद्ते अफ़रोज़ खुशी से बोला, "ह आइसे ही चूस मेरा लॉडा बहनचोड़.तेरी जैसे कमसिन चूत से लॉडा चुस्वके लाने बड़ा अक्चा लगता है.साली कल तो तूने चुस्के मेरा पानी निकाला पर आज तेरी कमसिन चूत चोद के उसमे पानी डालूँगा मई."आचे से लंड चुसवाने के बाद संगीता को खड़ी करते उसकी ब्रा उतार डालते, उसके नंगे माममे मसालते अफोज़ ने उससे अपनी स्कर्ट उतरने कहा.अब अफ़रोज़ ने सामने पोरी नंगी होने संगीता शर्मा रही थी पर अफ़रोज़ का गुस्सा याद करके उसने स्कर्ट उतरी.संगीता का नंगी कमसिन जिस्म देखके अफ़रोज़ खुश हुआ. संगीता के गोरे जिस्म पे वो कड़क मम्मो पे गुलाबी निपल थे****की कमसिन चूत को रेशम जैसे झाटों से ढाका था.संगीता को बीच मई खड़ी करके,गोल घूमते उसका पूरा नंगा जिस्म सहलाते अफ़रोज़ बोला,"अफ साली,क्या कड़क कमसिन जिस्म है तेरा संगीता.बहनचोड़ साली,तेरा यह जिस्म देखके तो मेरा लॉडा देख कैसे उछाल रहा है.बड़ा माज़ा आएगा तुझे चोदने मेरानी." अब अफ़रोज़ भी नंगा होके संगीता को सोफे पे लिथके उसके माममे चूसने लगता है.संगीता के बदन मई वासना पूरी तरह फैल गये.इतनी गंदी गल्लिया और दर्द लेक भी वो अफ़रोज़ के बालो से हाथ फेरते सिसकारिया भरते अपने माममे उससे चुस्वके लाने लगती है.बरी-बरी माममे चाटते अफ़रोज़ अब निपल से खेलते उनको उंगली मई घूमने लगा जिसे संगीता और बहाल हो गये.संगीता डरते-डरते इस खेल का मज़ा ले रही थी****से यह खेल अक्चा लग रहा था पर अफ़रोज़ के रावय्यए से वो बहाल थी.अपना जिस्म अब पूरी तरह अफ़रोज़ के आघोष मार करते वो बोली,"प्लीज़ अफ़रोज़ मुझे अब और दर्द मत दे,मैने तेरा क्या बिगाड़ा है जो मुझे इतना दर्द दे रहा है तू?इतने दिनसे तू जो चाहे वो कर रहा था और मई करने दे रही थी तो आज क्या हुआ तुमको?जो तुम चाहती हो वोही करने मई भी आए हून पर तुम जैसे जानवर ही बान गये हो.अब जैसा तू कहोगे मई करूँगी पर अब प्यार से करो जो करना है वो."अफ़रोज़ संगीता के बॉल खिचते उसका मूह अपने पास लेक बोला,"संगीता,कामिनी अब तो मई सिर्फ़ मेरे लंड की आग शांत करने के बाद ही तुझसे शराफ़त से पेश आयुंगा,आज मई तुझे जीभरके छोड़के ही यहा से जाने दूँगा.संगीता तूने मुझे इतने दीनो से बेकरार किया था,कितने नाटक किए थे इसलिए तेरे साथ ऐसे पेश आ रहा हून मई समझी?"संगीता डर के अफ़रोज़ के सामने हाथ जोड़के बहुत गिड़गिदई पर अफ़रोज़ के उसका कोई असर नही हुआ. कुछ सोचके संगीता अफ़रोज़ को धक्का देके भागी पर मेन डोर तक जाने के बाद उससे अहसास हुआ की वो एकद्ूम नंगी थी इसलिए वोही रुके फिर रोते अफ़रोज़ से बोली,"नही प्लीज़ अफ़रोज़,ऐसा प्लीज़ मत करो,दर्द होता है मुझे.प्लीज़ मुझसे ऐसा मत बिहेव करो,मई तेरा सब कहना मानूँगी पर प्लीज़ मुझे और दर्द मत देना."अफ़रोज़ लंड सहलाते संगीता के पास गया और उसकी कमर मई हाथ डालके बिस्तर पे लेक बिताते उसके मूह पे लंड रखते बोला,"साली अब गिड़गिडती है,इतने दिन जब मई बोल रहा था तब नाटक करती थी और तब मुझपे रहम नही आया तुझे.देख हरामी,मुझे तेरी यह चूत चोदानी है,तेरी यह कमसिन जवानी का भोसड़ा बनाना है,तूने जितना मुझे बकरार किया उतना ही बेकरार करके तुझे चॉड्ना है.चल अब बिना कोई ज़्यादा नाटक करते मेरा लंड चूस फिर तेरी चूत चोदुन्गा मैं इससे." cont........
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