RE: Nangi Sex Kahani रिश्ते अनजाने
शिखा की कद्र उसके पति राजन को न थी , वह हमेशा उसको सबके सामने जली-कटी सुना कर बेइज्जत करता.
असल में उस जैसा इंसान , किसी भी लिहाज से शिखा के लायक नहीं था . उसकी शिखा के लिए बेरूख़ी का ही
नतीजा था कि उसे अमन की बाँहों के सहारे की ज़रूरत पड़ी , और अमन ने हाथ में आया हुआ मौका लपका.
अब यह शिखा की चरित्रहीनता थी या राजन की रिश्तों को लेकर असंवेदनशीलता , कुछ कह नहीं सकते हाँ , राजन एक पति के तौर पर पूरी तरह 'फेल' हुआ
"मेरी बात सुनो शिखा देखो रोना मत" मैने उसको अपनी बाहों में लेते कहा
"हटो तुम सब मर्द एक जैसे होते हो" उसने मेरे सीने में मुँह छुपा कर रोना शुरू किया
"खुद की प्यास बुझते ही डोर हो जाते हो और औरत को प्यासा छ्चोड़ देते हो" वह फफक कर रो पड़ी
"इधर देखो शिखा ... मेरी ओर देखो" मैने अपनी हथेलियों में उसका चेहरा भर लिया
उसके आँसू की धारा बह चली थी , उसके बाल भी अस्त व्यस्त हो गये थे
अपने हूथों से उसको हूथों को च्छुआ कर कहा
"क्या तुम्हे मुझ पर यकीन नही? अपने अमन पर भरोसा नहीं?"
"त..तुम पर मुझे अपने आप से ज़्यादा भरोसा करती हूँ अमन.. ले..ले..लेकिन" वह अपने आअँसू पोंछते बोली
"लेकिन? लेकिन क्या? शिखा?" मैने उठते कहा
"हम जो कर रहे हैं वा ग़लत है अमन" उसने सिसकते हुए कहा
"मैं राजन को धोखा नही दे सकती" उसने आँसू पोंछते हुए कहा
"मैं एक बार तुम्हे छोड़ सकती हूँ लेकिन राजन को नही" उसने अपना फ़ैसला सुनाया
उसका पति प्रेम देख कर मेरे टन बदन में आग लग गयी
"हर बार का तुम्हारा यही रोना है शिखा , जब भी हम साथ होते हैं और प्यार करते हैं तुम राजन का नाम ले कर रोना धोना शुरू कर देती हो" मैने झुंझला कर कहा
"वा मेरे पति है अमन" वह रुक कर बोली "और अगर एक पत्नी अपने पति की याद में रोटी है तो क्या बुरा है"
"ओह कम ओं शिखा" मैने उसकी ओर बढ़ते कहा "वा तुम्हारे लायक नही है , और इतना होने के बावजूद भी तुम्हे उसकी फ़िकरा है"
"वा मेरे पति हैं अमन" उसने दोहराया "मैं उनके नाम का मंगलसूत्र पहनती हूँ और उनके नाम का सिंदूर लगती हूँ" उसने अपने गले में पड़ा मंगलसूत्रा हाथ में ले कर मुझे दिखाते हुए कहा.
"तो फिर उसी के पास क्यों नही चली जाती" मैने भड़क कर कहा "मेरे पास मुँह उठा कर क्यों चली आती हो?"
मैने रुक कर कहा "तुम अपनी फीलिंग्स मेरे सामने बोल देती हो , लेकिन मैं कुछ कहूँ तो तुम्हारा रोना धोना शुरू"
"अच्छा? ऐसा क्या कह दिया मैने?" उसने मुझसे सवाल किया
"आज भी मेरा तुमसे सेक्स करने का कोई मूड नही था...तुम्हारी खातिर तैयार हुआ और तुम हो की मेरे हंसने से तुम्हे तकलीफ़ होती है" मैने तेज़ आवाज़ में कहा
"देखो शिखा मैं तुम्हारा पति नही हूँ जो तुम्हारे इशारे पर नाचू, मेरी अपनी फीलिंग्स हैं और उनको एक्सप्रेस करने से तुम मुझे रोक नहीं सकती" मैने खिड़की की ओर देखते हुए कहा , मैने सिगरेट सुलगा ली थी.
"तुम्हारा पति क्या तुम्हे इतनी खुशी दे सकता है?" मैने धुआ छ्चोड़ कर कहा "नही ना ? तभी तुम मेरे पास आई"
यह सुनना था की शिखा बिजली की तेज़ी से बिस्तर से उठ खड़ी हुई और तेज़ कदमो से चलकर मुझे पीछे से आ दबोचा
एक झटके से मुझे घुमाया और "चटाक़" की आवाज़ से कमरा गूँज उठा
ऐसा झन्नाटे दार झापड़ खा कर मैं तो अपनी सुध बुध ही भूल गया , एक पल तो समझ ही नही आया की क्या हुआ , अपने बाए हाथ से मैं अपना गाल सहला रहा था
"क्या? कहा तुमने मैं तुम पर ज़बरदस्ती करती हूँ?" उसने चीख कर कहा
"तुम्हारा सेक्स करना को मूड नही होता?"
"नही शिखा मेरा वो मतलब नही था" मैने समझाते हुए कहा
"मैं क्या खुद तुम्हारे पास चल की आई थी ?" उसने गुस्सा कर पूछा और बगल में रखा फ्लवर पॉट उठा कर मेरी और फेंका
"छणाक" की आवाज़ से वो मेरी पीछे वाली दीवार से टकरा कर टूटा
वा तो अच्छा हुआ की लास्ट मोमेंट पर मैं कूद कर अलग हट गया , वरना उस फ्लवरपॉट से बच नही पता
"वा तुम थे अमन जिसने मेरे साथ प्यार की पींगे बधाई" वा पैर पटकते बोली
"वा तुम थे अमन जिसने मुझे प्यार करना सिखाया , वह तुम थे जिसके साथ मैने जिंदगी के कुछ हसीन पल गुज़रे, वा तुम थे जिसने मुझे अपने प्रेम जाल में फँसाया और अपनी सेक्स की भूख मिटाई , और अब तुम कहते हो की तुम्हे सेक्स का मूड नही होता?"
"शिखा" मैं उसकी ओर लपका और उसके खुले बाल पकड़ लिए
"मैं तुमसे अपनी जान से भी ज़यादा प्यार करता हूँ शिखा"
"छोड़ो मुझे तुम जैसे लोग सिर्फ़ अपने आप से प्यार करते हैं" उसने मेरी बाहों में कसमसा कर कहा.
उसने रोते कहा "अगर राजन बाप बन सकता तो मैं तुम्हारे पास आती भी नहीं" उसने अपने दोनो हाथों से मुँह छुपा लिया
"मेरे पति राजन ने औलाद की उम्मीद हो छोड़ दी थी , वह तो मेरे सास ससुर थे जिन्होने उसे मुझे तलाक़ देने को कहा"
"बिल्डिंग के औरतें मेरी पीठ पीछे मुझे बांझ कहती है , जानते हो मुझे कैसा लगता है ?" उसने मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए कहा "तुम नहीं समझोगे.
"शिखा , जब तुम्हें मालूम है कि तुम्हारा पति बाप बनने के काबिल नहीं तो छोड़ क्यों नहीं देती उसे?" मैने एक एक शब्द पर ज़ोर देते कहा "तलाक़ दे दो उसे , और मेरे साथ चलो , हम शादी करेंगे और कहीं दूसरे शहर बस जाएँगे"
"नहीं " उसने भड़क कर कहा "मुझे यह साबित करना है कि कमी मुझमें नहीं राजन में है" उसका चेहरा तमतमा गया
"मेरे प्रेग्नेंट होते ही जब राजन खुश होगा तब मैं यह राज सबके सामने जाहिर कर दूँगी कि मेरे पेट में पल रहा बीज किसका है" उसने कहा
"इससे क्या फायदा?" मैने पूछा
"मुझे राजन को मज़ा चखाना है" उसने मुत्ठियाँ भींचते हुए कहा
"देखो शिखा , तुम जो मेरे पास आती हो और मेरे साथ सेक्स करती हो यह सब तुम माँ बनने के लिए नहीं करती"
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