RE: Nangi Sex Kahani रिश्ते अनजाने
मेरी नौकरी एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में थी , जाहिर था वर्किंग अवर्स इधर उधर होते थे. घर पर कोई नहीं था , बूढ़ी माँ भाई और उसके परिवार के साथ दिल्ली में रहतीं थी और मैं यहाँ नौकरी के वास्ते पुणे में रहता था.
सामने रहने वाले राजन बेंद्रे एक मल्टी नॅशनल बॅंक के आई टी डिपार्टमेंट में एवीपी था और खूब कमाता था इसी वजह से वह खुद को दूसरों से उँचा समझता , बिल्डिंग में रहने वाले ज़्यादातर लोग रिटाइर्ड बॅंक के एंप्लायीस थे और
सीधे साधे थे .
उनमें सबसे उँची हैसियत बेंद्रे की ही थी इसलिए लोगों से ऐंठा रहता. लोग बाग उसकी अमीरी से काफ़ी जलते और पीठ पीछे खूब गालियाँ देते.
उसकी बीवी शिखा बेंद्रे जितनी खूबसूरत दिखती थी उतनी ही खूबसूरत और उम्दा लड़की थी , हमेशा बिल्डिंग के लोगों की मदद में आगे रहती थी , बिल्डिंग में कई घरेलू फंक्षन्स में लोगों के यहाँ उसका आना जाना होता . हालाँकि
वह राजन जितनी पढ़ी लिखी तो न थी लेकिन संस्कृत में उसने एम ए किया था और अब वह पीएचडी करना चाहती थी , लेकिन राजन को उसका आगे पढ़ना या नौकरी करना सख़्त नापसंद था. अपना खाली वक्त काटने वह बिल्डिंग
के क्लब हाउस में वीकेंड को बड़ों को योगा सिखाती और छोटों संस्कृत श्लोक , लेकिन उसके पति राजन को यह भी पसंद नहीं था.
एक दिन शनिवार की शाम को ऑफीस से घर आते वक्त मैं पीने का सामान ले आया , दोस्तों के साथ पीने का प्रोग्राम था .
तो मैं जल्दी घर आ कर तैयारियाँ करने लगा . फ्रिज खोला तो पता चला बर्फ जमाना भूल गया था , अब बाज़ार जाने की हिम्मत नहीं बची थी मैने सोचा , पड़ोसियों से पूछा जाए मैने बेंद्रे के घर की बेल बजाई और कुछ देर बाद
दरवाज़ा खुला , सामने देखा शिखा खड़ी थी , शायद अभी अभी नहा कर आई थी .
"ओह अमन जी आप? अंदर आइए न " उसने स्वागत करते हुए कहा और मुस्कुराइ
" जी नहीं ठीक है , मैं तो बस थोड़ी बर्फ माँगना चाहता था , घर पर मेहमान आने वाले हैं" मैने कहा
"जी आप कुछ मिनट बैठिए , मैं अपनी पूजा ख़त्म कर आपको बर्फ देती हूँ , तब तक आप बैठ कर टीवी देखिए' उसने समझते हुए कहा.
अब मरता क्या न करता , कुछ देर यहीं बैठ कर बोर होना था , सोचा बैठे बैठे इसी को देख कर अपनी आँखों की प्यास मिटाई जाए. मैं अंदर आ कर सोफे में बैठ गया और वह पूजा घर की तरफ चली गयी जो सोफे से दिखता था .
मैने देखा सामने शू रॅक के उपर फेंग शुई के बंबू ट्री रखा हुआ था उसी के बगल में एक फोटो फ्रेम रखी थी जिसमे राजन और शिखा की शादी की तस्वीर थी.
"ओह , इन गहनों को पहने और शादी के जोड़े में शिखा कितनी खूबसूरत दिख रही है , जैसे कोई अप्सरा हो"
मैने सोचा और इधर उधर देखा दीवारों पर सर्टिफिकेट फ्रेम टँगे हुए थे . जो शिखा ने कई कॉंपिटेशन में जीते थे.
"अच्छा तो शिखा इतनी ट्रडीशनल होते हुए भी टॅलेंटेड है" मैने मन ही मन सोचा
"शुभम करोती..." मुझे शिल्पा के श्लोक सुनाई दिये.
मेरा मन मे उसके लिये रेस्पेक्ट और भी बढ़ गयी , की इतनी अमीर होते हुए भी वह अपनी जड़ों को नहीं भूली. वहीं उसका बदतमीज़ पति जो किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं करता. मैं यही सोच कर हैरान था की इतने में शिखा
आरती का थाल पकड़े मेरी ओर आई
"लीजिये अमन जी आरती लीजिये" और मुस्कुराई
मैने चुपचाप "आरती ली और अपने मुंह पर हाथ फेरे.
" माफ करियेगा लेकिन पूजा के कारण मैने आपको चायपानी तक नहीं पूछा" उसने माफी मांगते कहा
"जी वह सब रहने दीजिये , मुझे बस इस कंटेनर में बर्फ दे दीजिये , चाय पीने मैं फिर कभी आऔंगा" मैने कहा
"जी अभी लीजिये" वा कंटेनर ले कर अंदर गयी और बर्फ से भर कर उसे मुझे थमाया.
"कुछ मदद लगे तो बताईयेगा" वह हंस कर बोली
"जी जरूर" मैने उसको थॅंक्स कहा और अपने फ्लॅट चले आया.
अंदर पँहुचा तो पता चला दोस्*त लोगों को ऑफीस में काम आया.है इसलिये वो देर से आयेंगे , मैने सोचा शाम के वक़्त घर बैठ कर बोर होने से अच्छा है थोड़ा बाहर घूम लिया जाए
मैं फ्लॅट के बाहर निकला तो शिखा मेरी ओर पीठ कर ताला लगा रही थी.
उसने पंजाबी सूट पेहना हुआ था और उसकी लम्बी चोटी उसकी कमर के नीचे लटक रही थी , मैं उसकी खूबसूरती को देख ही
रहा था कि वह पीछे मुड़ी
"ओह अमन जी अच्छा हुआ जो आप बाहर आ गये , देखिये ना ये ताला जाम हो गया , प्लीज़ ताला लगने में मेरी मदद कीजिये"
वह बोली
"लाइये" मैं उसकी ओर बढ़ा "ताला चाभी मुझे दीजिये , मैं लगता हूँ टाला" कह कर मैने उसकी ओर हाथ बढ़ाया.
लेकिन उसने अपना हाथ खींच लिया "न.. नहीं आप मुझे यह टाला लगाना सिखाईये , राजन बाज़ार से नया ताला कल ही लाये हैं
अगर उन्हें पता चला कि मुझे यह ताला लगाना नहीं आता तो बहुत नाराज़ होंगे" उसने घबराए हुए कहा
"अरे छोडिये शिखा ज़ी , ताला लगने में कौन सी बड़ी बात है ? मैं आपको सिखाता हूँ आप ताला लगाइये"
"जी अच्छा"
वह मुड़ी और ताला लगने लगी , मैं उसके एकदम करीब जा कर पीछे खड़ा हो गया , उधर मेरा लंड भी उसकी फूली गांड़ को
देख कर बड़ा होने लगा हालांकि वह ताला लगने की अभी भी कोशिश कर रही थी.
मैने उसके करीब जा कर उसके बदन से उठति भीनी भीनी खुश्बू को महसूस किया ही था की उसने ताला लगा कर जोर से
झटका दिया और वह पीछे हटी.
उसके एकदम से पीछे हटने की वजह से उसके सिर से मेरी नाक टकरा गयी , और मैने उसके खुशबूदार काले घने बालों को
सूंघा , उसकी बम भी मेरे कड़क लॅंड से टकरा गयी,
"ओह अमन जी सॉरी आपको लगी तो नहीं?" उसने चिंतित हो कर पूछा
मैं अपनी नाक को सहला रहा था
"अपना हाथ हटाओ मुझे देखने दो" उसने मेरा हाथ हटते कहा
"अरे आपकी नाक से तो खून आ रहा है" उसने परेशान होते हुए कहा
"अरे ये मामूली चोट है मैं मुँह धो कर आता हूँ" मैने कहा
"नही.. नही आपको मेरी वजह से चोट लगी है, आइए में आपको डॉक्टर जोशी के पास ले चलती हूँ"
"अरे शिखा जी ये मामूली चोट है आप परेशन मत होइए"
"नही अमंजी आप इस चोट को इग्नोर ना करे , आपको मेरे साथ चलने में ऑक्वर्ड हो रहा है तो मैं डॉक्टर साहब को बुला लाती हूँ , वह पहले फ्लोर पर ही रहते हैं" उसने समझाते हुए कहा
"जैसा आप ठीक समझे" मैने हार कर कहा , मुझसे उसकी बात काटी नही गयी
"जी अच्छा , आप अंदर जा कर आराम कीजिए मैं डॉक्टर को ले आती हूँ" कहकर वह तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगी.
इधर मैं घर आ कर मुँह धोया और सोफे पे बैठ गया लेकिन खून अभी भी बह ही रहा था, दरवाज़ा मैने जान बूझ कर खुला ही रखा.
10 मिनिट बाद वह हाँफती हुई उपर आई और बेल बजाई .
"अरे शिखा जी आइए बैठिए"
"डॉक्टर साहब किसी एमर्जेन्सी केस में हॉस्पिटल गये हैं"
"जी कोई बात नही , आप मेरे वजह से तकलीफ़ ना लें , मैने जख्म धो लिया है"
"लेकिन अभी भी आपकी नाक से खून बहना बंद नही हुआ"
"वो रुक जाएगा , आप आराम से बैठिए तो सही?" मैने कहा
"एक मिनिट" कह कर वा उल्टे पाँव अपने फ्लॅट की ओर भागी
"अब ये कहाँ चली गयी? बेफ़लतू में मेरे कारण टेन्षन लेती है" मैने परेशान होते हुए सोचा. नाक तो कम्बख़्त अभी भी दुख रही थी और खून था की साला रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
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