RE: Kamukta Kahani मेरी सबसे बड़ी खुशी
मेरी दोनों बाहों को उसने कस कर पकड़ लिया। मेरे मन में तरंगें उठने लगी। मन गुदगुदा उठा। नाटक करती हुई मैं जैसे छटपटाने लगी। तभी उसके एक हाथ ने मेरी चूची दबा दी और मुझे पर झुक पड़ा। मैं अपना मुख बचाने के इधर उधर घुमाने लगी। पर कब तक करती, मेरे मन में तो तेज इच्छा होने लगी थी। उसने मेरे होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उसे चूसने लगा। मैं आनन्द के मारे तड़प उठी। मेरी चूत लप-लप करने लगी उसका लौड़ा खाने के लिये। पर अपना पेटीकोट कैसे ऊपर उठाऊँ, वो क्या समझेगा।
"भैया ना कर ऐसे, मैं तो लुट जाऊंगी... हाय रे कोई तो बचाओ !" मैं धीरे से कराह उठी।
तभी उसने मेरा ब्लाऊज़ उतार कर एक तरफ़ डाल दिया।
"अब भाभी, यह पेटीकोट उतार कर अपनी मुनिया के दर्शन करा दो !"
मैंने उसे जोर से धक्का दिया और यह भी ख्याल रखा कि उसे चोट ना लग जाये। पर वो तो बहुत ही ताकतवर निकला। उसने खड़ा हो कर मुझे भी खड़ा कर दिया। मेरा पेटीकोट उतार कर नीचे सरका दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी थी, मेरे सारे बदन में सनसनी सी फ़ैल गई थी। इतने समय से मैं चुदने का यत्न कर रही थी और यहां तो परोसी हुई थाली मिल गई। बस अब स्वाद ले ले कर खाना था। उसने कहा,"भाभी, मेरा लौड़ा देखोगी ... ?"
"देख भैया, ये मेरा तूने क्या हाल कर दिया है, बस अब बहुत हो गया, मुझे कपड़े पहनने दे."
"तो यह मेरा लौड़ा कौन खायेगा?" कहकर उसने अपना पजामा उतार दिया।
आह ! दैया री, इतना मोटा लण्ड। मुझे तो मजा आ जायेगा चुदवाने में। मेरे दिल की कली खिल उठी। मैंने मन ही मन उसे मुख में चूस ही लिया। वो धीरे से मेरे पास आया और मुझे लिपटा लिया।
"भाभी, शरम ना करो, लड़की हो तो चुदना ही पड़ेगा, भैया से चुदती हो, मुझसे भी फ़ड़वा लो !"
वो मुझे बुरी तरह चूसने और चूमने लगा। उसका कठोर लण्ड मेरी चूत के नजदीक टकरा रहा था। मेरी चूत का द्वार बस उसे लपेटने के चक्कर में था। तभी भैया का एक हाथ मेरे सर पर आ गया और उसने मुझे दबा कर नीचे बैठाना चालू कर दिया।
"आह, अब मेरा लण्ड चूस लो भाभी, शर्माओ मत, मुझे बहुत मजा आ रहा है।"
मैं नीचे बैठती गई और फिर उसका मस्त लण्ड मेरे सामने झूमने लगा। उसने अपनी कमर उछाल कर अपना लौड़ा मेरे मुख पर दबा दिया। मैंने जल्दी से उसका लाल सुर्ख सुपाड़ा अपने मुख में ले लिया।
"अब चूस लो मेरी जान, साले को मस्त कर दो।"
मुझे भी जोश आने लगा। उसका कठोर लण्ड को मैं घुमा घुमा कर चूसने लगी। वो आहें भरता रहा।
"साली कैसा नाटक कर रही थी और अब शानदार चुसाई ! मेरी रानी जोर लगा कर चूसो !"
तभी उसका रस मेरे मुख में निकलने लगा। मैं मदहोश सी उसे पीने लगी। खूब ढेर सारा रस निकला था।
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