RE: मज़ेदार अदला-बदली
मज़ेदार अदला-बदली--8
गतांक से आगे..........................
मैंने पिंकी को छोड़ा और रवि के लंड की ओर लपकी. उसे धक्का देकर गिराया और उसकी टाँगे चौड़ी करके अपने हाथों से उसका लौड़ा थाम लिया और उसे अपने मुंह में गप्प से गायब कर दिया. अब मैं बड़े ही कड़क तरीके से उसका लंड चूसने लगी. रवि ने अपना एक हाथ पिंकी के थूक से सने बोबे पर रख दिया और उनसे खेलने लगा और मैंने उसको अगले दो मिनट में ही झडा दिया. उसका माल मेरे मुंह से रिस रिस कर पुनह: उसके लंड के सहारे बहने लगा. मैंने अब अपना सर उसकी जांघ पर टिका दिया और अगले दो तीन मिनट उसके लंड को चूसती ही रही.....रवि का लंड थोडा ढीला हो गया था और मैंने सारा का सारा माल चट कर डाला.
कुछ देर के आराम के बाद रवि उठा....साथ ही साथ पिंकी भी उठ गई. रवि ने मेरे पीठ पर हाथ फिराने चालू किये और पूछा कि तू तो रह गई. चल हम दोनों मिल कर तेरी चूत का पानी निकाल देते है तो मैं बोली अभी थोड़ी देर बाद देखते हैं, परन्तु पहले मेरी बात सुनो. एक बहुत ही जरूरी बात करनी है.
और फिर मेरी बात सुनते सुनते दोनों की आँखे फैलती चली गई..
सुबह मेरी ९ बजे आँख खुली. रवि मेरी बगल में सोया पड़ा था. रात में जब उन दोनों को अपनी योजना बताई तब वे दोनों एकदम रोमांचित हो उठे थे. फिर हमने मिलकर सब कुछ तय किया और फिर मैं अपने कमरे में सोने आ गई. रवि ने कहा कि पिंकी के साथ एक और राउण्ड निपटाकर तुम्हारे कमरे में सोने आ रहा हूँ.
बाहर से पिंकी और अमित की आवाजें आ रही थी. मैं तुरंत बाथरूम में घुस गई. तैयार होकर मैंने रवि को उठाया और बाहर चली गई.
दोपहर में खाने की टेबल पर-
अमित: तो रवि, खाने के बाद का क्या प्रोग्राम है.
रवि: यार अमित, यहाँ आये हैं तो मिंटू का नया फर्म हाउस भी देख आयें, उसे पता चला तो बहुत नाराज़ होगा. रोमा को साथ ले जा रहा हूँ, वो एक बार जा चुकी है वहां.
अमित: ठीक है यार पर वहां ज्यादा रुकना मत, शाम को कहीं चलेंगे साथ.
खाने के बाद सब वाश बेसिन हाथ धोने चले जाते हैं. मैं पास ही बाथरूम की तरफ हाथ धोने बढ जाती हूँ और गिले फर्श पर पैर रखते ही में पेट के बल गिरने का नाटक करते हुए एक जोरदार चीख मारती हूँ. रवि मुझे उठा कर बाहर बेड पर लिटा देते हैं. थोड़ी देर बाद मैं बताती हूँ कि अब मैं काफी ठीक हूँ. रवि बोलता है कि चलो मैं अकेला ही मिंटू से मिलकर आ जाता हूँ परन्तु तभी पिंकी बोलती है कि वो रवि के साथ चली जाती है दीदी तब तक आराम कर लेगी. अगले पंद्रह मिनट में दोनों जल्दी ही लौट कर आने का बोल कर निकल जाते हैं.
अभी तक सब कुछ हमारी योजनानुसार ठीक चल रहा था.
अब मैं अमित को बोलती हूँ कि मैं कमरे में जाकर आराम करना चाहती हूँ और उठ कर जैसे ही कमरे की तरफ चलने लगती हूँ, उईईइ की आवाज़ के साथ पैर पकड़ लेती हूँ. अमित कहता है कि मेरे कंधे का सहारा ले लो और फिर एक हाथ उसके कंधे पर रख कर धीरे धीरे रूम में जाकर लेट जाती हूँ. अमित परदे लगाकर बोलता है कि दीदी आप आराम करो मैं हॉल में टी वी देख रहा हूँ, कुछ काम हो तो आवाज़ लगा देना.
अब योजना के दुसरे चरण के लिए मुझे एक घंटे इंतज़ार करना था.
एक घंटे बाद मैं कराहते हुए अमित को आवाज़ लगाती हूँ. वो आकर पूछता है क्या हुआ.
मैं: लगता है गिरने के कारण नाभि फिर सरक गई है, बड़ा तेज़ पेट में दर्द हो रहा है.
अमित: डॉक्टर को लेकर आता हूँ अभी.
मैं: नहीं ये डॉक्टर वाली प्रॉब्लम नहीं है, मुझे अक्सर ऐसा होता है और रवि ये देसी तरीके से ठीक कर देता है.
और फिर मैं जोर जोर से कराहने लगती हूँ. और अमित की कोई बात नहीं सुनती हूँ बस पेट पकड़ कर कराहने लगती हूँ.
अमित घबरा कर रवि को फ़ोन लगा कर उसे सब बताता है. कुछ देर बात करके आखिर में वो बोलता है....... ओके मैं देखता हूँ ........
फिर फ़ोन कट करके बाहर चला जाता है......२ मिनट बाद वापिस आता है. मैं कराहते हुवे पूछती हूँ क्या हुआ.
अमित मेरे पास आकर मेरी सर पर हाथ फेर कर चिंतित स्वर में कहता है कि रवि को तो वापिस आने में बहुत वक़्त लगेगा क्योंकि वो होशंगाबाद रोड पर जाम में फंस गए हैं तो पिंकी ने सुझाव दिया कि पास वाली निधि भाभी को बुला लाओ उन्हें फ़ोन पर समझा कर बता देंगे कि क्या और कैसे करना है.
मैं: तो फिर?
अमित: निधि भाभी के यहाँ तो ताला लगा है.
पिंकी तो पता था कि भाभी आज बाहर गई हुई है तो वहां अमित को ताला ही तो मिलना था.
मैं: तो और कोई भाभी या आंटी को बुला दो.
अमित: और तो कोई नहीं रहता आस पास.
मैं फिर से थोडा तड़पने का नाटक करती हूँ. अमित बेचारा डर के फिर रवि को फ़ोन लगता है. इस बार वो स्पीकर चालू कर देता है. उधर से पिंकी की हेल्लो की आवाज़ आती है और वो पूछती है कि निधि भाभी को फ़ोन दो मैं समझाती हूँ क्या करना है.
अमित: पिंकी, निधि के यहाँ तो ताला लगा है.
पिंकी: मर गए, अमित तुम्हे पता है दीदी का दर्द बढ गया तो बहुत तकलीफ होती है उन्हें. हमें तो अभी भी २ घंटे से काम नहीं लगेंगे बहुत लम्बा जाम लगा है.
फिर वो रवि से पूछती है कि अब क्या करें. रवि उससे पूछता है कि तुम्हे और अमित को एतराज़ ना हो तो अमित ही हेल्प कर दे रोमा की.
पिंकी: पर जीजू उसमे तो.........मुझे पता है आप दीदी का कैसे इलाज़ करते हैं........कैसे कर पाएंगे अमित वो सब......और शायद दीदी तो राज़ी ही न हो उस सब के लिए..........हाँ, हालात को देखते हुए, मुझे कोई एतराज़ नहीं है.........मैं दीदी की ऐसी हालत बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ.
रवि: तो जल्दी जल्दी बताओ अमित को कि क्या करना है, रोमा बेचारी तड़प रही होगी......हे भगवान् हमें भी अभी जाम में फँसना था.
पिंकी: अमित, जरा फ़ोन को स्पीकर पे तो करना दीदी की रजामंदी लेनी हैं.
अमित: फ़ोन स्पीकर पे ही है और दीदी तुम्हारी बात सुन रही है......तो जल्दी बताओ क्या करना है. दीदी बहुत दर्द में है.
पिंकी: अमित, ये इतना आसान नहीं होगा तुम्हारे लिए और दीदी के लिए तो जरा भी नहीं, इसलिए पहले उनसे तो पूछ लूं ......दीदी, अमित कर देगा तुम्हारा इलाज़, तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं.
दीदी.............दीदी.........
...सुन रही हो क्या.........
अमित: पिंकी, शायद दर्द बहुत ज्यादा है वो सुन तो रही है पर बोल नहीं पा रही है.
पिंकी: अमित ............बस तुम सुनो और समझ कर ठीक तरह से करना............अब वक़्त गंवाने का कोई फायदा नहीं.......तुम बस ये सोचना कि तुम डॉक्टर हो और तुम्हारे सामने जो है वो तुम्हारी मरीज़ है और तुम्हे उसे ठीक करना है. जरा भी मत शर्माना.
अमित: ऐसा क्या करना है मुझे.
पिंकी: अभी बताती हूँ............
तभी मैं बोलती हूँ................अमित, दर्द बर्दाश्त नहीं होता अब तो........... आआआआआआ ..............समझ लो पिंकी से कैसे करना है........आआआआआआआआ.......
मेरी हरी झंडी देख कर अमित तेज़ी से फ़ोन पर क्या करना है वो पिंकी के मुंह से सुनता है.............सुनते सुनते उसे इतनी शर्म आने लगती है कि वो स्पीकर ऑफ करके कान में लगाकर सुनने लगता है. उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ती साफ़ नज़र आ रही थी और पसीना पसीना हो रहा था........मैं बेसुध सी होने का नाटक करते हुए कनखियों से उसे देखती जा रही थी...........हमारी योजना एकदम सही जा रही थी.
अमित: (धीरे से), ये सब मैं कैसे कर पाउँगा, तुम एक बार और सोच लो कोई और रास्ता है क्या...........
अरे मेरे भोंदू महाराज और कोई रास्ता नहीं है, आज तुझे मुझसे कोई नहीं बचा पायेगा..........मुझे ये सोचते हुए मुस्कराहट सी आने लगती है पर मैं दबा जाती हूँ. अभी तो मुझे बहुत कुछ दबाना है, पुरे इलाज़ के दौरान कंट्रोल रखना है और मैं कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार थी.
अमित: ठीक है पिंकी, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ, दीदी ठीक हो जाये बस.....................ओके, बाय.
फ़ोन बंद करके वो एक मिनट मुझे देखता है और जैसे ये निश्चय करने का प्रयास कर रहा था कि वो करे या न करे...........पर और कोई रास्ता नहीं था उसके पास, उसकी प्यारी और पतिव्रता बीवी ने उसे ऐसा करने का बोला है. वो जल्द ही अपने अपराध बोध को झटक कर मेरे पास आया और सर पे हाथ फेरा कर बोला दीदी धीरज रखो मैं जल्दी ही कुछ करता हूँ. और फिर वो पिंकी के बताये अनुसार गरम तेल और घिसा चन्दन लाने के लिये किचन में घुस गया.
मेरी योनी ने अभी से पनियाना शुरू कर दिया. देखती हूँ ये भोंदू महाराज आज मेरे से कैसे बचेगा.
जब से पिंकी की सुहागरात हुई है पिंकी ने अपने इस भोंदू की चुदाई के ऐसे गुण गान किये कि मैं पिंकी से जलने लगी थी. दीदी ऐसे चोदता है, वैसे चोदता है. गोद में उठा के चोदता है, हवा में निचे लटका के चोदता है, गर्दन में उल्टा लटका कर चूसता चुसवाता है, इतनी ताक़त है मेरे दारा सिंग में. और जब मैंने पिंकी से पूछा कि यार मेरी चूत का भी भुरता बनवा ना अपने पहलवान से तो पिंकी गंभीरता से बोली थी कि ये हनुमान भक्त भोंदू महाराज बहुत स्ट्रोंग केरेक्टर वाले हैं, मेरे अलावा किसी और को चोदना तो बहुत दूर, हाथ तक नहीं लगायेंगे किसी को. मैं अमित से चुदने के लिए बहुत आतुर हो उठी. और उसपे तुर्रा ये कि हर रोज़ दोपहर फ़ोन पर पिंकी, पिछली रात की चुदाई के किस्से सुना सुना कर, सुना सुना कर, पागल करती रही. अमित बॉडी बिल्डिंग और कराटे का चेम्पियन था और देखने में बहुत ही आकर्षक. उसकी सेक्स पॉवर से पिंकी बहुत ज्यादा संतुष्ट थी और कभी कभी तो उसे ही खुद अमित के हाथ जोड़ने पड़ते थे कि मेरे बाप अब तो सोने दे, कितना चोदेगा, थकता ही नहीं है, रुकता ही नहीं है, सांड जैसी पॉवर और खिलोने जैसा उठा कर हर तरह के पोज़ में बेहतरीन चुदाई. लंड भी उसका सांड जैसा . जब पिंकी ने इस मामले में मेरी कोई भी मदद करने में अपनी लाचारी जताई थी तभी से मैंने ठान लिया था कि मैं पिंकी के पिंकू का धर्म भ्रष्ट करके ही रहूंगी चाहे जो हो और आज वो मौका हाथ लग गया था . कल रात जब मैंने रवि और पिंकी को ये योजना सुनाई तो वो दोनों फटाक से तैयार हो गए.
क्रमशः................................
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