RE: मज़ेदार अदला-बदली
मज़ेदार अदला-बदली--3
गतांक से आगे..........................
अलका के शरीर मैं २२० वाट का करंट दौड़ने लगा.......
उसके शरीर में रह रह कर ऐंठन पड़ रही थी.......
वो अपने कूल्हों को बुरी तरह से पटक रही थी..............
तभी दिलीप ने, जो अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था, बुरी तरह से मचल रहे विचलित कूल्हों को अपने दो मज़बूत हाथों से थाम लिया.........
अब अलका एकदम जकड़ ली गई..................
उसके मुंह से आन्हे निकालने लगी..............
तभी दिलीप के हाथ कूल्हों से फिसलकर जांघो की ओर बढाने लगे.............
और फिर एक झटके से दोनों जांघो को यथा-संभव दूर फैला दिया............
अब चिकनी और सपाट चूत जो कि योनी-रस से सराबोर थी मनोज के ठीक मुंह के सामने थी...........
अलका के साथ ऊपर जो सात लोग कृत्य कर रहे थे उसके घोर प्रभाव से अलका कि चूत एक झरने में तब्दील हो गई............
रह रह कर अमृत कलश छलक रहा था..............
मनोज से ये दिलकश नज़ारा और नहीं देखा गया और वो बस उस अमृत कलश से छलक रहे जाम का रसास्वादन करने के लिए आगे बड़ा..........
ऊपर हमारे भाई लोग अपने हाथों को अलका की कंचन काया पर अविरल फिसला रहे थे.............
शायद ही कोई अंग बचा होगा जो मर्दों कि ज़द से बाहर हो............
हर जगह मरदाना छाप छोड़ी जा रही थी...............
अलका को लग रहा था की बस कोई उसके शरीर को बुरी तरह से तोड़ डाले...........
इतनी तरंगे उठा रही थी उसमे.................और तभी................
दिलीप ने अब अपनी अंतिम छाप छोड़ने का फैसला किया...............
वो तुरंत अलका के योनी-फलकों को अपने हाथों से फैलाते हुवे........
झुका और अपने होंठो से उसके दाने पर जोरदार आक्रमण कर दिया..............बस यही वह क्षण था जब.............
अलका की एक जोरदार चीख उस विशाल कक्ष में गूंजी.............
ये चुदास से भरपूर प्री-आर्गाज्म चीख़ थी............
अलका अपनी मंजिल से जरा दूर थी.....................
ये महसूस होते ही सारे के सारे मर्द तेज़ी से अपने काम को अंजाम देने लगे.............
दिलीप कि चुसी और चटाई बुरी तरह से जारी थी....
जितना दिलीप का मुंह अलका की चूत में घुसता...........
उतना ही अलका चीख़ रही थी...............
और फिर अलका जोर से दहाड़ कर ढेर हो गई..............
पूर्ण रूप से संतुष्ट और निढाल............
एक लाश की भांति पड़ी थी जिसकी सांसे अस्त व्यस्त अंदाज़ में चल रही थी............
सभी मर्द उसे छोड़ कर हटे........................
(उधर दुसरे बिस्तर पर...................)
सागर अपने आस पास ८ नग्न सौंदर्य को एकसाथ पाकर उत्तेजना के शिखर पर था.................
इस पल की तो कभी कल्पना भी नहीं की थी उसने ................
और ये प्रत्यक्ष घटित होने जा रहा था....................
उसका लंड रह रह कर उछाले खा रहा था..............
वो अपने हाथ और पैर फैला कर पीठ के बल लेट गया..............
लंड अपनी पूर्ण कठोरता के साथ.............ऊपर नीचे हो रहा था............
सभी सुंदरियों ने आसपास घेरा बना लिया और ....................
फिर घुटनों के बल.........पलंग के ऊपर सागर के समीप आने लगी...............
समीप आते आते वो धीरे धीरे झुकने लगी.......
अब चारो तरफ से सागर को अपने शरीर की तरफ बढते हुवे सिर्फ चूचियां ही चूचियां नज़र आ रही थी..............
और फिर एक एक करके सभी ने अपने अपने चुचचे उसके शरीर पर सटा दिए............
एक साथ नौ जोड़े चुच्चे जैसे ही उसके शरीर के संपर्क में आये................
उसे लगा.... अठारह बिजली के नंगे तार चारों ओर से उसे चुभो दिए गयें हों..............
एक दम जोर का झटका बहुत जोरों से लगा उसे.......
और फिर सभी ने एक लय में उन चुच्चों को सागर के शरीर से रगड़ना शुरू कर दिया.........
२ चूचियां उसके मुंह में, चार चेस्ट पर, चार पेट पर और दो उसके लंड और जांघो पर........
कोई दो मिनट तक उसकी ऐसी ही रगड़ाई होती रही..............
सागर के मुंह से गूं गू कि आवाजें आ रही थी............
अचानक उसके हाथ हरकत में आये.....................
उसके दोनों हाथ दो नंगे शरीरों के निचे दबे हुवे थे................
उसने अपनी दोनों हथेलियों से कुछ ढूँढना शुरू किया..............
तुरंत ही उसे दो जोड़ी रसीली चूंते मिल गई............
उसने अपनी हथेलियों से चूतों को मसलना चालू कर दिया............
जिन जिन गोरियों कि चूतें मसली जा रही थी उन्होंने भी साथ देते हुवे अपने कुल्हे थोड़े हवा में ऊपर उठा लिए.........
अब सागर आसानी से बिना झांट वाली एक दम चिकनी चूतों को जोर जोर से मसलने लगा.............
मीनू जिसे अभी तक सागर के पास आने कि जगह नहीं मिल पाई थी.................
उसने सबको पकड़ पकड़ कर हटाया और फिर सागर के ऊपर लेटकर उसे दबोच लिया..........
अब अपने शरीर को उसपर जोर जोर से रगड़ने लगी............
श्वेता जो सागर को अपने बोबे चूसा रही थी वो उठी और घूमकर लंड वाले स्थान पर आई........
मेरी ने अभी अभी लंड से अपने बोबे हटाये थे..............
उसे हटाकर...................झट से लंड पे कब्ज़ा कर लिया............
दोनों हाथों से लंड को कस के पकड़ के मसलने लगी............
मीनू सागर के ऊपर अपना पूरा शरीर जोर जोर से रगड़ रही थी............
श्वेता के लंड पकड़ लिए जाने से वो अब ज्यादा मूवेमेंट नहीं कर पा रही थी...........
इसलिए उसने अपने शरीर को थोडा ऊपर सरकाया और फिर रगड़ना चालू कर दिया.............
इस बीच.......बाकि सभी को जहाँ जगह मिली वहीँ से सागर को छूने, मसलने और रगड़ने लगीं......
दो ने तो अपने अपने बोबे सागर को पकड़ा दिए ..............
वो जोर जोर से उन बोबों से खिलवाड़ करने लगा.............
सागर की बीवी शाहीन ने एकदम से अपना हाथ सागर कि गांड की और बढाया.........
और गांड का छेद महसूस होते ही उसमे एक उंगली घुसेड दी...............
सागर की उन्माद मिश्रित दर्द कि एक कराह सुनाई दी...............
सागर अब जोर जोर से छटपटा रहा था.................
मीनू को जैसे ही लगा कि सागर का किनारा नज़दीक आने वाला है..............
उसने लंड को मसलते मसलते उसे अपने होंठो से लगा लिया........
और फिर एक ही झटके में उसे मुश्टंड लंड को निगल गई............
और फिर अपने सर को जोर जोर से ऊपर निचे करके लंड कि जोरदार चुसाई शुरू कर दी...........
सागर काँप रहा था साथ ही जोर जोर से आह आह भी कर रहा था...............
सभी ने अपनी अपनी स्पीड बड़ा दी...............
शाहीन ने जैसे ही सागर को झड़ने के नज़दीक पाया ...............
उसने अपनी पूरी उंगली उसकी गांड में घचोड़ दी.................
सागर के लंड ने तुरंत भरभरा के मीनू के मुंह में पिचकारियाँ छोडनी शुरू कर दी.............
दोनों हाथों में जो बोबे थे उन्हें कस दे भींच लिए.............
और फिर एक जोर कि डकार लेते हुवे ढेर हो गया...............
मीनू अभी भी लंड को हौले हौले अन्दर बाहर कर रही थी..........
लंड के सहारे सहारे उसका माल रिस रिस कर मीनू के मुंह से बाहर आ रहा था..........
मीनू यथा संभव माल गटक चुकी थी..............
सारी लेडिस अब सागर के पलंग से उठने लगी...............
और फिर मीनू ने लंड बाहर निकला और अपने हाथों पर चिपटे माल को फिर से चाट चाट कर हज़म करने लगी................
अंत में शाहीन ने भी अपनी उंगली उसकी गांड से बाहर निकली........
और फिर अपने शौहर पर एक बहुत ही प्यार भरी निगाह डाली.............
सागर आँख बंद करे अभी अभी गुज़रे तूफ़ान के बाद सुस्ता रहा था...........
फिर वो वहां से उठा खड़ी हुई .................क्योंकि सागर को किनारा मिल चूका था...
एक जोर कि चीख से मेरी झपकी टूटती है. सब चीख कि दिशा कि और देखते हैं. मेरी दोनों हाथ मुंह पर रखे अलका के पलंग के पास दहशत के भाव लिए जड़ हो गई.
सभी लोग दौड़ कर वहां पहुंचे. अलका बेहोश पड़ी थी और उसकी गांड से बहुत खून बह रहा था...................सब सन्न रह गए.
शिल्पा जो कि एक गायनिक सर्जन थी वो तुरंत चेक करने लगी.
एकदम माहौल बदल गया...........सबके सर से सेक्स का भूत काफूर हो गया.
शिल्पा: इसे तुरंत मेरी क्लिनिक ले चलना होगा, कहीं खून ज्यादा न बह जाये......................
और फिर अगले ३-४ मिनट में सब अपने कपड़ो में बाहर.
तय यह हुआ कि ३-४ कपल अलका के साथ जायेंगे..................
और अगले चंद मिनटों में अलका को ले गए................
अब सभी बचे हुवे कपल एक एक करके रोनी और मेरी से बिदा लेने लगे...................
सबके सब एकदम चुप थे और सदमे कि हालत में थे.................किसी ने किसी से कोई बात नहीं की................
मैंने कार में रोमा कि बैठाया और गेट से बाहर आया.........................
मैं: कहाँ चले.................घर जाकर क्या करेंगे.........
रोमा: चलो भोपाल चलतें है पिंकी के घर......... कम से कम छुट्टियाँ को ख़राब नहीं होगी.................
मुझे आईडिया पसंद आता है और मैं मुस्कुराते हुवे कार को भोपाल की और बड़ा देता हूँ.........................
(अब आगे कि कहानी.............रोमा कि जबानी.............)
मुझे बड़ी थकान महसूस हो रही थी तो मैं पीछे कि सीट पर सोने चली गई........................
जैसे ही आँख बंद की, अलका वाला सीन आँखों के सामने आने लगा..............
बार बार उस से बचने कि कोशिश करने लगी परन्तु वो घटना पीछा ही नहीं छोड़ रही थी..................
फिर मैंने सोचा इस से पीछा छुड़ाने का एक ही रास्ता है कि मैं अपनी ज़िन्दगी के अच्छे फ्लैशबैक में जाऊं ................
और मेरा मन अतीत के पन्ने पलटने लगा......................
कॉलेज के समय में मैं बहुत ज्यादा शर्मीली लड़की थी...........परन्तु दिखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत
थी.......जवानी भी समय से पहले ही मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गई थी...........
पिंकी मेरे से सिर्फ सवा साल छोटी थी और मेरे एकदम विपरीत उसका स्वाभाव था........चंचल, शोख और बिंदास............
पापा मम्मी दोनों इंग्लैंड में डॉक्टर थे और हम दोनों बहने हॉस्टल में साथ-साथ रहते थे....................
एक दिन मेरे चचेरे भाई का फ़ोन पिंकी के पास आया और फिर पिंकी ने मुझसे उसके साथ घूमने जाने की इज़ाज़त मांगी..............
मुझे पता था कि मेरे मना करने पर भी उसे करना तो अपने मन की ही है.............सो मैंने उसे हाँ कह दी.....
पिछले कई दिनों से ये दोनों ऐसे ही लगातार घुमने जा रहे थे..............पूछने पर पिंकी हर बार असंतोषजनक जवाब देती थी..............
आज मुझे लगा कि ये कहाँ जाते हैं......क्या करते हैं इसका पता लगाना चाहिए और मैंने उसकी जासूसी करने का निश्चय किया...............
मैं: चल मैं भी अपनी कोचिंग में जारही हूँ.................
और फिर हम साथ ही नीचे आये...............मिंटू, मेरा कज़न, जैसे ही अपनी बाईक पर पिंकी को बैठा कर जाने लगा मैंने भी अपनी एक्टिवा उसके पीछे लगा दी और बड़ी ही सावधानी से पीछा करने लगी............
शहर के बाहर की सड़क पर आते ही मुझे मिंटू के पापा का गोदाम नज़र आया जो काम न आने वाली कपडे कि गठान को रखने के काम आता था. वहां अक्सर ताला ही लगा रहता था.
आसपास एकदम सुनसान था.
मिंटू ने गेट के बाहर बाईक रोकी. वहां पर दो लड़के उनका इंतज़ार कर रहे थे....... सबने मिंटू से हाथ मिलाया
और फिर वो सब अन्दर चले गए..........
मैंने काफी दूर अपनी एक्टिव पार्क की और गोदाम के गेट पर आई................
मेरी आशा के विपरीत बाहर का लोहे की ग्रिल वाला छोटा सा गेट सिर्फ अन्दर से बिना ताले के लगा हुआ था........
मैं वहां कई बार आ चुकी थी तो मुझे पता था कि वो कैसे खोला जाता है.................
मैंने बिना आवाज़ किये वो खोला और फिर चुपचाप गोदाम के मैं हाल की और बढ़ चली..................
काफी अँधेरा था वहां..............मैंने मोबाइल कि रौशनी में सामान से बचाते बचाते हाल में पहुंची...............
उन सब कि आवाज़ हॉल के कोने की तरफ से आ रही थी......................
वहां पर बहुत सारी कपडे से भरे बड़े बड़े बोरे पड़े थे................
मुझे छुपाने के लिए जगह की कोई कमी नहीं थी......................
में कुछ बोरो के ऊपर चढ़ कर ऐसी जगह पहुँच गई जहाँ से जरा ही गर्दन ऊपर करके उस कोने वाली जगह को देखा जा सकता था...............
वहां बोरियां हटा कर जगह बना ली गई थी.................
और बहुत सारे कपड़ो का ढेर बना कर उस पर बड़ी बड़ी चादरें बिछी. वो उनके लिए मिनी बिस्तर का काम कर रहा था....और बिस्तर भी एकदम मुलायम जैसे डनलप का बेड हो..........
वहां पर काफी लोगों के बैठने की जगह थी..................
वहां पर हलकी सी रौशनी आ रही थी.................
लेकिन ऐन उनके सर पर बोरियों के बड़े से ढेर के ऊपर जहाँ में छिप बैठी थी वहां ना के बराबर रौशनी थी.....................
फिर भी मैं लगातार झाँक कर देखने के बजाय उनकी आवाज़ सुन ने का प्रयास कर रही थी.........और बीच बीच में सावधानी से उन लोगों कि हलकी सी झलक भी लेती जा रही थी.............
वो चारों उस बिस्तर नुमा जगह पर बैठ गए...............
मिंटू: वो दोनों कितनी देर में आयेंगे............
एक: बस आते ही होंगे..............
वे दोनों लडके थोड़े सहमे से बैठे थे..............मिंटू का व्यक्तिव ऐसा था कि उससे सब डरते थे.....
कुछ देर में बाकी दोनों लड़के भी आ जाते हैं......................
मिंटू: जा.... ये लाक मार दे गेट पर.........
मुझे गेट खुला मिलने का कारण अब समझ आया.......मेरी किस्मत अच्छी थी जो मुझे बालकनी कि सीट मिल गई...........सीट भी क्या पूरी बर्थ ही मिल गई.............मैं पेट के बल आराम से नरम और मुलायम कपड़ों के ढेर पर लेटी हुई थी................और आने वाली आवाजों से निचे चल रही गतिविधियों को समझने का प्रयास कर रही थी.................
चूँकि अब नीचे ६ लोग हैं..............झांक कर देखने की रिस्क कम से कम ले रही थी...............
एक नज़र डाली नीचे तो देखा पाचों लड़के एक घेरा बना कर बैठ गए हैं..............
पिंकी जरा दूर एक कुर्सी पर बैठ गई है........................
पिंकी बहुत खुश नज़र आ रही थी.............
तभी मिंटू अपने बैग से कुछ निकालता है..................और सबके बीच में रखता है...............समझ में आये कि क्या है उससे पहले ही पिंकी जोर से कुर्सी आवाज़ के साथ खिसकाती है .........सबकी नज़रें उधर उठती है और
मैं डर के एकदम फिर दुबक जाती हूँ.......................
और फिर सुन सुन कर जायजा लेने का प्रयास करती हूँ...........................
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क्रमशः................................
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