Hindi Sex Stories By raj sharma
07-18-2017, 12:18 PM,
#32
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
महीना बीत गया पर समीज़ के उपर से उसकी बढ़ी हुए चुचि को मापने के अलावा अनिल अपने लक्ष्या की तरफ एक कदम भी नही बढ़ा पाया था. महीने के अंत में फीस देते समय जब दिव्या के पिताजी ने दिव्या की पढ़ाई के बारे में पूचछा तो अनिल का सारा फ्रस्ट्रेशन बाहर आ गया. उसने खुल कर दिव्या की शिकायत की. दिव्या के पिताजी नीरस हो कर बोले "देखिए सर, हमारा काम फीस देना है, पढ़ना इसका काम है और पढ़ाना आपका. अगर पढ़ाई नही करे तो आप इसे जो जी में आए सज़ा दीजिए. मैं और दिव्या की मा एक शब्द नही बोलेंगे". 'जो जी में आए सज़ा दीजिए' ये शब्द कान में पड़ते ही अनिल का लंड खड़ा हो गया. उसने सर झुकाए, आँखे भरी हुई, चेहरा लाल, खड़ी दिव्या को देखा और उसके पिताजी से आग्या ले हॉस्टिल वापस आ गया. रात भर अनिल यही सोचता रहा अपनी इस नयी आज़ादी का लाभ वो कैसे उठाए. 

अगले दिन अनिल का लंड सुरू से ही खड़ा था. सलवार, समीज़ और ओढनी में बिस्तर पर दिव्या बैठी थी और सामने कुर्शी पर अनिल. दिव्या जब भी कुच्छ लिखने के लिए झुकती, उसकी ओढनी नीचे गिर जाती और फिर वो ओढनी ठीक करने लगती. ओढनी के कारण अनिल को दिव्या के अमूल्या निधि का भरपूर नज़ारा नही मिल रहा था. उसने चाइ आने तक इंतेज़ार किया, फिर खुद को मिली आज़ादी से उत्तेजित अनिल ने दिव्या के जिश्म पर से ओढनी खीच कर साइड में रख दी. "इससे बार बार डिस्टर्ब हो रही हो, बिना इसके रहो". दिव्या चुपचाप अपने गुरु की आग्या मानते हुए झुक कर पढ़ाई में लग गयी. अब अनिल को दिव्या की पुर्णवीकसित चुचियों के आकार का सही अंदाज़ लग रहा था और उसके आकार ने कदाचित् अनिल के लंड का आकार बढ़ा दिया था. अब जब भी दिव्या नीचे झुकती उसकी समीज़ से उसकी गोल चुचियों का कुच्छ हिस्सा अनिल को दिख जाता जो उसके लंड में रक्त संचार बढ़ा उसे उत्तेजित कर देता. अगले दिन से दिव्या पढ़ने बिना ओढनी के ही आई और अगले कुच्छ दिनो में अनिल को दिव्या के ब्रा के कलेक्षन की पूरी जानकारी मिल चुकी थी और उसे दिव्या की गुलाबी निपल्स के भी दर्शन हो चुके थे. पर बात आगे नही बढ़ रही थी. सिर्फ़ देख कर उसका मंन नही भरता. दिव्या को पढ़ा कर लौटने पर वो अक्सर हिला कर अपने लंड के जोश को ठंढा करता फिर सोता. वो दिव्या के जिश्म तक पहुँचने की नयी तरकीब सोचने लगा. 


अगले दिन अनिल ने उस बेचारी जान को टरिगॉनओमीट्री के सारे आइडेंटिटीस याद करने का होमवर्क दे दिया. अनिल अच्छि तरह से जानता था कि दिव्या की मंदबुद्धि में ये आइडेंटिटीस कभी नही घुसने वाले हैं. पर उसका उद्देश्या उसके दिमाग़ में फ़ॉर्मूला घुसाना नही अपितु उसकी चूत में अपना लंड घुसाना था. दिव्या अनिल की उम्मीद पर पूरी तरह से खरी उतरी. अनिल ने झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा "तुम पढ़ाई बिल्कुल नही करती, ऐसे काम नही चलेगा. जब तक तुम्हे पनिशमेंट नही मिलता तुम पढ़ाई नही करोगी. चलो मुर्गी बनो" ये सज़ा अनिल को बचपन में स्कूल में मिला करती थी, पर इसमे उसे दिव्या की गांद को नज़दीक से देखने का मौका मिलता. बेचारी दिव्या रुआंसी हो चुप चाप अनिल की बगल में खड़ी हो गयी. उसके लाल गाल देख कर अनिल के जी में आया अभी उसे बाहों में भर कर चूम ले. पर उसने कहा "रोने धोने से काम नही चलेगा. जब तक तुम्हे सज़ा नही मिलेगी तुम्हारा पढ़ाई में ध्यान नही लगेगा". दिव्या जब फिर भी नही हिली तो अनिल खड़ा हो गया और गुस्से में कहा "मैने तुमसे कुच्छ कहा है?" दिव्या ने रोती हुई कहा "मुझे मुर्गी बनना नही आता" अनिल को ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी. वो दिव्या के पीछे उसके बदन के एकदम नज़दीक खड़ा हो गया और एक हाथ उसके पीठ पर और दूसरी हाथ उसकी चुचि पर रख कर बोला "नीचे झुको". दिव्या की चुचि को इससे पहले किसी मर्द ने नही च्छुआ था. उसके पूरे बदन में सनसनी दौड़ गयी, मानो उसे करेंट लगा हो. वो रोनो धोना सब भूल गयी थी, उसके आँसू ना जाने कहाँ गायब हो गये थे और उसके दिल की धड़कन अचानक बढ़ने लगी. अनिल के हाथ का दबाव उसकी चुचि पर बढ़ने लगा, वो दिव्या के धड़कते दिल को अपनी हथेलियों पर महशूस कर सकता था. जब दिव्या झुक गयी तो उसने उसे अपने पैर के पीछे से हाथ ला कान पकड़ने को कहा. फिर अनिल का शरारती हाथ दिव्या की टाइट और पूरी तरह से विकसित गांद पर गया और उसने गांद को मसल्ते हुए कहा "इसे उपर उठाओ" फिर अपने हाथ को उसकी गांद पर भ्रमण कराते हुए उसकी चूत पर अपनी उंगली को दबाया. चूत पर सलवार के उपर से उंगली के दबाव ने दिव्या को जैसे पागल बना दिया. उसे ऐसा एह्शास पहले कभी नही हुआ था. उसे सर जी की ये सज़ा पसंद आ रही थी. चूत पर उंगली पड़ते ही एक सनसनी सी दिव्या के पूरे बदन मे होते हुए उसके चूत तक पहुँची और गीलापन बन बाहर आ गयी. दिव्या ने पहले ऐसा कभी महशूष नही किया था. वो उठ कर सीधा टाय्लेट भागना चाहती थी. पर अनिल का हाथ उसकी गांद के आयतन, द्राव्यमान और घनिष्टता मानो सब माप लेना चाहता हो. उसका व्याकुल लंड अपने आगे चूत को देख पॅंट फाड़ कर बाहर निकलने को बेचैन हो रहा था. पर इस डर से की कहीं कोई चला ना आए, अनिल उसके गांद का मज़ा अधिक समय तक नही ले सकता था. उसने थोड़ी ही देर में दिव्या को उठ जाने को कहा.
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Hindi Sex Stories By raj sharma - by sexstories - 07-17-2017, 12:39 PM
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