RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मैं पानी के हौड़े पर उकड़ू हो कर बैठ गयी. मेरी राइट साइड पर अस्तबल था. मेने अपनी स्कर्ट को जाँघो तक चढ़ा लिया. पॅंटी पहनी न्ही थी. इसलिए चूत पूरी ओपन थी. इतने मे पहलवान जी आते हुए दिखाई दिए.. मैं पानी मे देखने लगी.
वो पानी लेने आया, हाथ मे बाल्टी थी. वो झुक कर पानी उठा ही रहा था कि उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. फिर उसकी नज़र मेरी चूत की तरफ गयी. पर मैं पानी मे देखती रही. मुझे पूछा- कोन हो बेटी. मेने कहा शायरा, शादी मे आई हू. आप कोन है? पहलवान ने कहा कि उसका नाम प्यारे है और वो वहाँ काम करता है.
मे- प्यारे जी, ये पानी बहुत गहरा है ना?
प्यारे- अरे न्ही बेटी, रूको मैं दिखाता हू.
ये कहकर उसने अपनी धोती खोल के हौड़े के कोने पर रखी और पानी मे उतर गया. असल मे उसका मकसद मेरी चूत को पास से देखना था. शाम हो गयी थी, सॉफ न्ही दिख रही होगी दूर से. पानी उसके कमर तक था. वो दो कदम बढ़ा के मेरे सामने आ गया. नज़र उसकी मेरी चूत पर थी पर बात मुझसे कर रहा था.
प्यारे- देखा, मेने कहा था ना पानी गहरा न्ही है.
मे- हां.
प्यारे- तुम भी आके देखो, कितना ठंडा पानी है.
मे- न्ही न्ही, मुझे डर लगता हे.
प्यारे- डरने की कोई बात न्ही.
मे- मेरे कपड़े भीग जाएँगे.
प्यारे- अरे तो उसको साइड मे रख दो, जैसे मेने रखे हैं. गीले नही होंगे.
वो एकदम मेरे सामने खड़ा था पानी मे, उसकी नज़र से मेरी चूत सिर्फ़ 3/4 इंच दूर थी. मेरी चूत पर बाल न्ही थे. एकदम चिकनी. वो उसी को देख रहा था. मेने ज़रा गौर से देखा, उसने अपनी धोती तो उतार दी थी, नीचे कुछ पहना हुआ भी था या नही? शाम के अंधेरे उजाले मे ऐसा लगा कि उसने कुछ पहना हुआ नही हे. मेने भी उसको देखने की सोची.
मे- पर मेरी सहेली भीतर अस्तबल मे है.
प्यारे- तो क्या हुआ, वो मना थोड़ी करेगी.
मे- फिर भी, वो देखेगी तो?
प्यारे- कुछ न्ही होगा, तुम कपड़े सूखी जगह पर रख दो, बाहर निकलो तब पहन लेना.
मे- ओके आती हू.
मेने उसके सामने ही टॉप उतारा, समीज़ उतारी. अब सिर्फ़ स्कर्ट थी.. मेने उसके बटन खोले और नीचे सरका के उतार दी. अब मे उसके सामने नंगी थी. चोर नज़रो से देखा, प्रिया अस्तबल के भीतर से देख रही थी.. प्यारे को देखा. वो आँखे फाड़ के मुझ को नंगा देख रहा था, उसका एक हाथ पानी मे था.
पहले मैं हौड़े के किनारे पर बैठी. प्यारे ने मेरा हाथ पकड़ के पानी मे उतार दिया. मेरा बॅलेन्स खराब हुआ. उसने अपने दोनो हाथो से मेरी दोनो चुचि पकड़ ली और सहारा देने लगा. मेने भी संभलते संभलते हुए उसको पकड़ने की कोसिस की और उसका लंड मेरे हाथ मे आ गया. मेने उसको छ्होरा नही.
मे- कितनी फिसलन है पानी मे.
प्यारे- वो तो हे, पर अब ठीक हे, तुम अब नही गिरोगि.
मे- हां, पर आपने मेरी चुचि क्यू पकड़ी,, हाथ भी पकड़ सकते थे.
प्यारे- तुमको गिरने से बचाने के लिए जो सामने आया वो पकड़ लिया.
मे- मेरा हाथ पकड़ लेते. अगर मेने पाइप न्ही पकड़ा होता तो ज़रूर गिर जाती.
प्यारे- हां सही कहा. पाइप पकड़ के रहना, गिरोगि नही.
मे- पर मेने पहले जिस पाइप को पकड़ा था वो छोटा और मुलायम था.
प्यारे- ये वही पाइप है बेटी.
अंधेरा हो गया था… प्रिया कब बाहर आ कर खड़ी हो गयी मालूम न्ही हुआ, वो हौड़े के बाहर से देख रही थी. मेने फिर फिसलने की आक्टिंग की, प्यारे ने फिर मेरी चुचि पकड़ ली, सीधा खड़े होने के बाद भी उसने चुचि नही छ्होरी. वो उसको दबाने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था. प्रिया का मन भी हुआ पानी मे आने का.. उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पानी मे आ गयी.
मे- प्रिया, आजा, देख कितना ठंडा पानी है
प्रिया- हां शायरा. वाकई.
मे- मालूम? अगर मेने पाइप न्ही पकड़ा होता तो डूब जाती.
प्रिया- देखु तो कोन सा पाइप.
प्रिया ने पानी क भीतर हाथ डाला और उसने भी लंड पकड़ लिया.
प्रिया- शायरा ये पाइप न्ही है.
मे- तो क्या हे, इतना हार्ड तो पाइप होता है.
प्रिया- प्यारे जी, आप बताओ ये क्या है?
प्यारे- ये मेरा लंड है. शायरा ने इसको पकड़ के खुद को बचाया.
प्रिया- देखु तो ,, और ये कहकर प्यारे का लंड पकड़ लिया.
मैं हौड़े की दीवार की तरफ मूह करके खड़ी हो गयी, मेरी पीठ प्यारे की तरफ थी. मेने घूम कर देखा प्यारे प्रिया को चूम रहा था, प्रिया उसके लंड को पानी मे मसल रही थी. फिर प्यारे ने मेरे पीछे से आकर मेरी बाँहो के नीचे से हाथ डाला और मेरे बूब्स पकड़ लिए. और दाबने लगा. उसका लंड मेरी गंद से टकरा रहा था.
प्रिया ने मेरी चूत मे उंगली घुसा दी और हिलने लगी. मुझे मस्ती आ गयी. मेने अपने पैरो को फैला दिया.. प्रिया दूसरे हाथ से प्यारे का लंड तैयार कर रही थी जैसे वो घोड़े का करती थी.. अब मुझे समझ मे आया कि वो मेरी चुदाई देखना चाहती थी. जब उसका लंड तैयार हो गया तो वो मेरे सामने आ गयी और मुझे किस करने लगी.
प्यारे का लंड छु कर मुझे इतना तो एहसास हो गया था कि इस तरह के लंड से मैं पहले भी चुद चुकी हू, इसलिए मन मे कोई ख़ौफ़ न्ही था. मेने भी प्रिया की चुचि दबानी शुरू कर दी. इधर प्यारे ने अपना लंड मेरी चूत मे घुसाने की कोसिस की. मेने प्रिया से कहा अगर चुदाई देखनी है तो पानी से बाहर आना पड़ेगा, पानी मे कुछ न्ही दिखेगा.
प्रिया राज़ी हो गयी और बाहर आ गयी, मुझे और प्यारे को बाहर आने बोला. हम तीनो बाहर आ गये. अब मेने प्यारे के लंड देखा. वो तना हुआ था और चूत मे घुसने को तैयार था. मेरी चूत भी तैयार थी. मेने खुद को कुतिया की पोज़िशन मे किया. प्यारे मेरे पीछे अपने घुटनो पर बैठ गया,
अब उसका लंड एकदम सीधा था. प्रिया ने मेरी चूत फेलाइ और प्यारे ने अपना लंड उसमे घुसा दिया.. थोड़ा आह के बाद लंड पूरा चला गया और चुदाई शुरू हो गयी.. प्रिया को देख के मज़ा आ रहा था.
मे- प..री..या.. आ आ …. तू…झे..भी… चु…दवा…ना … है ?
प्रिया- हां, पर तुम पहले चुद लो, तुम्हारे बाद मेरा नंबर.
मे- आग…आर…उसका… लंड… दुबा…रा…टाइट…न्ही…हुआ…तो? आ… आहह
प्रिया- हो जाएगा. मास्टर जी से एक बार मे 3/4 बार चुद्ति हू, हर बार उनका लंड चूस के टाइट करती हू, इसका भी कर दूँगी.
मे- ठ… ईक…है ,, हां .प्या.. रे.. ज़ोर ….से ज़ोर… से
प्यारे पहलवान तो था ही. मेरी कमर पकड़ के इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्का लगा रहा था कि मेरा पूरा सरीर हिल रहा था. फिर अचानक उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी गंद मे घुसा दिया. और जबरदस्त तरीके से पेलने लगा.. लंड के नीचे की बॉल हर थाप के साथ मेरी चूत को टक्कर मार रही थी… करीब 15 मिनिट के बाद उसने अपना जूस मेरी गंद मे निकाल दिया. और मुझे अलग कर दिया.
अब प्रिया का नंबर था.. उसने प्यारे के लंड को चूसना शुरू किया. वो फिर टाइट हो गया. उसने प्यारे को ज़मीन पर लिटाया और कहा कि वो प्यारे को चोदेगि. प्यारे का लंड सीधा उपर की तरफ टाइट खड़ा हुआ था. वो प्यारे के उपर आई, अपनी दोनो टाँग प्यारे के दोनो साइड मे की, थोड़ी सी चूत फैलाई और लंड पर रख दी.
अब वो उसपर बैठने लगी.. लंड उसकी चूत मे जाने लगा. वो उसपर बैठती चली गयी.. धीरे धीरे उसने पूरा लंड अपनी चूत मे समा लिया. अब वो लंड पर गोल गोल घूमने लगी और अपनी गंद हिलाने लगी. प्यारे चुद रहा था और प्रिया चोद रही थी.. मेने अपनी चूत प्यारे क मूह पर रख दी. वो चाटने और चूसने लगा.. 15/20 मिनिट तक प्रिया की चुदाई के बाद उसका रस निकल गया..
आज हम दोनो बहुत खुस थी.. हमारी चुदाई हुई थी, सरीर हल्का हो गया. प्यारे और हमने अपने कपड़े पहने.. कल भी यही प्रोग्राम के लिए हमने प्यारे को कह दिया.. हम दोनो सहेलिया हवेली की तरफ खुशी खुशी चल दिए.. आज पहले दिन ही हमारा काम हो गया था.. 9 दिन और बचे थे.. हमने प्लान बनाया कि प्यारे तो है ही, अगर कोई एक और मिल जाए तो ट्राइ करेंगे.
हवेली पहुचे. आंटी बोली कहाँ थी तुम दोनो . हमने कहा कि हम गार्डेन मे थी,, गाओं की फ्रेश एर खा रही थी,, सहर मे ये सब कहाँ? आंटी बोली ओके बेटी, जब तक यहाँ हो, तुम दोनो खूब एंजाय करो.. फिर ये मौका नही मिलेगा.. हम दोनो सहेलियो ने एक दूसरे को देखा और मुस्करा दी… हां हम खूब एंजाय करेंगे..
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त....
|