RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
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करीब पांच बजे भौजी फिर उठीं और मेरा बुखार चेक करने लगीं| जैसे ही उनके हाथ का मुझे स्पर्श हुआ मैं एक दम से जग गया|
भौजी: अरे ...सॉरी मैंने आपको उठा दिया|
मैं: कोई बात नहीं...मैं वैसे भी उठने वाला था|
भौजी: अभी पौने पाँच हुए हैं.... आप सो जाओ|
मैं: अरे बाबा मैं बहुत तारो-ताजा महसूस कर रहा हूँ|
भौजी: आप मेरी बात कभी नहीं मानते|
मैं: क्या करें! वैसे आप कुछ भूल नहीं रहे?
भौजी: क्या?....... ओह! आपकी Good Morning Kiss ना.... वो अभी नहीं मिलेगी|
मैं: क्यों?
भौजी: आप मेरी बात जो नहीं मानते|
मैं: हाय तो आपकी Good Morning Kiss के लिए वापस सो जाएँ?
भौजी: हाँ..... तब मिलेगी|
मैं: चलो ठीक है ना तो ना सही... पर देख लो अगर अभी नहीं दी तो सारे दिन ना लूंगा...और ना ही लेने दूँगा|?
भौजी: ठीक है! देखते हैं!
मैं उठा...ब्रश, कुल्ला, sponge bath लिया और कपडे बदल के तैयार हो गया| चाय पी... और तभी माँ ने कमरे में तंगी टी-शर्ट देख ली|
माँ: अरे ये टी-शर्ट किसकी है?
मैं: जी मेरी|
माँ: तूने कब ली ये टी-शर्ट?
मैं: जी ...वो.....
इतने में भौजी नाश्ता लेके आ गईं;
भौजी: माँ.... वो मैंने दी है| (आज पहली बार उन्होंने माँ के सामने उन्हें माँ कहा था|)
भौजी के मुँह से माँ सुन के माँ को थोड़ा अलग लगा! पर उन्होंने कुछ कहा नहीं| पर उनके चेहरे पे मुझे कुछ अलग भाव दिखे| शायद उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी की भौजी उन्हें माँ कह के पुकारेंगी|
माँ: बहु... क्यों लाइ तू इसके लिए टी-शर्ट? जर्रूर इस नालायक ने ही माँगी होगी| क्यों रे लाडसाहब?
भौजी: नहीं माँ....वो घर में माँ और पिताजी इनसे मिलना चाहते थे| आखिर इनके कहने पर ही तो मैं मायके गई थी| अब इनसे मिलना तो हो नहीं पाया इसलिए माँ-पिताजी ने मुझे कहा की तुम एक अच्छी सी टी-शर्ट गिफ्ट कर देना| तो उस दिन मैं अपने भाई के साथ बाजार गई थी| वहाँ मुझे ये टी-शर्ट पसंद आई तो मैं ले आई|
माँ: तू झूठ तो नहीं बोल रही ना?
भौजी: नहीं माँ
माँ: बेटा क्या जर्रूरत थी पैसे खर्च करने की|
भौजी: माँ ये तो प्यार है...... अम्म्म….. माँ-पिताजी का!
(भौजी ने जैसे-तैसे बात को संभाला|)
मुझे नहीं पता की माँ के दिल में उस वक़्त क्या चल रहा था| पर हाँ एक बात तो तय थी की माँ को ये बात कहीं न कहीं लग चुकी थी|कुछ देर बाद माँ अपने कामों में लग गई और मैं वहीँ बैठ रहा| करीब दस बजे बड़की अम्मा आईं उन्हें बाजार जाना था किसी काम से तो वो माँ को साथ ले गईं| पिताजी और नादके दादा तो पहले से ही खेत पर थे| घर पे अब, मैं, भौजी, वरुण और रसिका भाभी ही बचे थे| मैं रसोई के पास छप्पर के नीचे तख़्त पे बैठा था| भौजी मेरे पास बैठीं थीं और रसिका भाभी नहा के अभी-अभी निकलीं थीं| वो वहीँ खड़ी अपने बाल सुख रहीं थीं| जैसे ही रसिका भाभी बड़े घर की ओर बढ़ीं भौजी ने मुझसे कहा;
भौजी: अब तबियत कैसी है आप की?
मैं: Fit and Fine !!!
भौजी: तो आप यहाँ बैठो मैं नहा के आती हूँ|
मैं: यार नहाना तो मुझे भी है|
भौजी: तो आप पहले नहा लो|
मैं: हम्म्म ....
भौजी: साथ नहाएं?
मैं: नेकी ओर पूछ-पूछ !
मैं ओर भौजी फटा-फ़ट उनके घर में घुस गए ओर भौजी ने जल्दी से दरवाजे की कुण्डी लगा दी| दिल में तरंगे उठने लगीं थी ओर मन उतावला हो रहा था| पर मैं हाथ बांधे खड़ा था...खुद को समेटे हुए| भौजी दरवाजा लगा के आईं और मेरे सामने खड़ी हो गईं| फिर उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पे रख दिए ओर हमारी आँखें एक दूसरे से मिलीं! मैंने अपने दाहिने हाथ से भौजी के बाएं गाल को सहलाया और भौजी ने अपनी गर्दन भी उसी दिशा में मोड़ ली जिधर मेरा हाथ था| मैंने सीधे हाथ से उनकी गर्दन को पकड़ा और उन्हें अपनी ओर खींचा| भौजी मुझे Kiss करना चाहतीं थीं और इसलिए उन्होंने अपने होठों से मेरे होठों को छूने की कोशिश कि पर मैंने उनके और अपने होठों के बीच एक ऊँगली रख दी|
भौजी: क्या हुआ?
मैं: कुछ भी तो नहीं|
भौजी: फिर मुझे Kiss करने से क्यों रोका?
मैं: भूल गए सुबह की बात?
भौजी: ऑफ ओह्ह !!! Please lemme kiss naa!!!
मैं: ना
भौजी: awww
भौजी: प्लीज.... आगे से कभी नहीं मना करुँगी|
मैं: ना
भौजी: जब घी सीढ़ी ऊँगली से ना निकले तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है| Kiss तो मैं कर के रहूंगी|
मैं: Give it your best shot!
भौजी: Oh I Will!!!
इतना कह के उन्होंने मेरी टी-शर्ट पकड़ के मुझे अपनी ओर खींचा पर मैंने अपनी गर्दन दूर कर ली| उन्होंने मेरी टी-शर्ट के अंदर अपने हाथ डाले और मेरी छाती पे फिराने लगीं| गिर हाथों को ऊपर गले तक ले गईं और मेरी टी-शर्ट गर्दन से निकाल फेंकी| नीचे मैंने जीन्स पहनी हुई थी...भौजी ने उसका बटन खोला...फिर जीप खोली और हाथ अंदर डाल के मेरा लंड को कच्छे के ऊपर से पकड़ लिया| उसे पकड़ के वो सहलाने लगीं| मेरी नजर उनके चेहरे पे थी और भौजी बड़े ही सेक्सी तरह से अपने होठों को काटती ..कभी एक डैम सिकोड़ के Kiss करने की आकृति बनाती| फिर उन्होंने नीचे बैठ के मेरी जीन्स उतार डाली|अब मैं सिर्फ कच्छे में रह गया था, पर जिस तरह से भौजी मुझे Tease कर रहीं थीं मन बेकाबू होने लगा था|भौजी ने बैठे-बैठ ही मेरा कच्छा निकाल फेंका|अब मैं पूर्ण नंगा था|भौजी कड़ी हो गईं और मुझे निहारने लगीं, जैसे आज पहली बार ऐसे देखा हो? वो बार-बार अपने होठों पे जीभ फिरा रहीं थीं ...कभी-कभी अपने गुलाबी होठों को दाँतों तले दबा भी लेतीं थी|
मैंने आँखों के इशारे से उन्हें बताया की आपने अभी तक कपडे पहने हुए हैं| जब उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो मैंने खुद आगे बढ़ कर उनके पल्लू कोखींचा जिससे उनके वक्ष सामने से नंगे हो गए| मतलब मैं उनका क्लीवेज देख पा रहा था| मन तो कर रहा था की खींच के भौजी के सारे कपडे फाड़ दूँ वॉर वो जंगलीपना होता| बड़ी मुश्किल से खुद को रोक और सहज दिखाया| शायद एक पल को तो भौजी भी हैरान थी वो था ही इतना कातिलाना सीन|
मैं: क्या देख रहे हो?
भौजी: हैरान हूँ ...कैसे कंट्रोल कर लेते हो खुद को? मेरा तो मन कर रहा है की खा जाऊँ तुम्हें|
मैं: मैं वहशी नहीं हूँ.... जो टूट पडूँ आप पर और आपके कपडे फाड़ डालूँ|
भौजी: हाय!!! आपकी इसी अदा के तो कायल हैं हम|
मैं: हमारे सारा दिन नहीं है, मैं जा रहा हूँ नहाने| (मैंने भौजी को छेड़ा)
भौजी: आप यहाँ नहाने आये हो?
मैं: तो और किस लिए आया हूँ मैं? मैं नहाऊँगा और आप मेरी पीठ मलोगे!
भौजी: हुँह...जाओ मैं बात नहीं करती आपसे|
भौजी मुंह मोड़ के कड़ी हो गईं| मैं जानता था की उनका गुस्सा जूठा है इसलिए मैं उनके पीछे एक दम से सट के खड़ा हो गया| मेरा लंड उनकी नितम्ब में अच्छे तरीके से चुभ रहा था| मैंने अपने हाथों को उनकी कमर से होते हुए पेट पे ले जाके लॉक कर दिया| अब भौजी मुझसे बिलकुल चिपक के खड़ीं थीं और मेरा लंड उनकी नितम्ब में धंसा था| भौजी के मुंह से सिसकारी फुट निकली.... मैंने अपने हाथ ऊपर की और ले जाने शुरू किये और उनके ब्लाउज के अंदर घुसा दिए| उनके स्तन मेरे हाथों में थे और मैं उन्हिएँ बड़े प्यार से सहला रहा था| इधर भौजी के शरीर ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी थी| उन्होंने स्वयं अपने ब्लाउज खोल दिए ताकि मैं आसानी से उनके स्तनों का मंथन कर सकूँ| ब्लाउज सामने की और से बिलकुल खुला था पर उनकी पीठ का हिस्सा मेरी नंगी छाती को भौजी की पीठ से मिलने नहीं दे रहा था इसलिए मैंने भौजी के स्तनों को एक पल के लिए छोड़ा और स्वयं उनके ब्लाउज को उनके शरीर से जुदा कर दिया| अब मैं पीछे खड़ा उनके गले पे किश कर रहा था और अपने दोनों हाथों से उनके स्तनों के साथ खेल रहा था| भौजी का हाथ अपने आप मेरे सर पे आज्ञा और वो मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ चलाने लगीं और मुझे प्रोत्साहन देने लगीं|मैंने अपना एक हाथ उनकी साडी के अंदर डाला और भौजी की योनि पे अपनी ऊँगली से स्पर्श किया| भौजी समझ गईं की मैं चाहता हूँ की वे अपनी साडी उतार दें| इसलिए उन्होंने अपने साडी जल्दी-जल्दी में खींचना शुरू कर दी| और देखते ही देखते उनकी साडी जमीन पे पड़ी थी| मैंने अपने दोनों हाथों से भौजी के पेटीकोट का नाद खोला और वो सरक के नीचे गिर गया| भौजी मेरी ओर पलटी ओर मुझे एक बार फिर Kiss करना चाहा| पर मैं फिर से अपनी गर्दन को उनके होठों की पहुँच से दूर रखने में सफल रहा|
भौजी: (मुझसे विनती करते हुए) प्लीज...प्लीज ... एक Kiss दे दो|
पर पता नहीं क्यों उन्हें तड़पाने में मुझे बहुत मजा आरहा था|
मैं: दे देता .... पर एक दिन Late आने की सजा तो मिलनी चाहिए ना?
भौजी: आपकी ये सजा मेरी जान ले लेगी| आप चाहे मुझे खाना मत दो..पानी मत दो... पर आपकी ये kiss ना देने की बात....हाय!!!
इससे पहले की भौजी तीसरी बारकोशिश करतीं, मैं स्वयं नीचे बैठ गया और उनकी नंगी योनि कपाटों पर अपने होंठ रख दिए| भौजी ने एक दम से मेरा सर पकड़ लिया और बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगी| मैंने भी उनकी योनि में अपनी जीभ प्रवेश करा दी और उनकी योनि से रास की एक एक बूँद को अपनी जीभ से खाने लगा| भौजी के मुंह से "सी..सी...सी....सी..." की आवाजें निकल रहीं थी| मैंने अपना मुंह पूरा खोला...जितना खोल सकता था और उनकी योनि को अंदर भर लिया| इसी दौरान मैंने अपनी जीभ उनकी योनि के अंदर-बहार करने लगा| भौजी की हालत ख़राब होने लगी| उन्होंने खड़े-खड़े ही अपनी एक टांग उठा के मेरे बाएं कंधे पे रख दी| अब तो उनकी योनि पूरे तरीके से मेरे मुंह में आ पा रही थी| पांच मिनट.....बस इतना ही टिक पाईं वो और उन्होंने अपना झरना बहाना शुरू कर दिया| ऐसा झरना जिसकी एक-एक बूँद मेरे मुंह में समां गई|भौजी स्खलित होने के बाद एक पल के लिए लड़खड़ा गईं, मैंने उन्हें सहारा दे के संभाला|
भौजी: उम्म्म्म.... मुझे जरा एक पल के लिए बैठने दो|
मैं: क्यों क्या हुआ? तबियत तो ठीक है ना?
भौजी: हाँ....बस चक्कर सा लगा| वो आज बहुत दिनों बाद इतना बड़ा Orgasm हुआ की... चक्कर सा आ गया|
मैं: आपने मेरी जान ही निकाल दी थी| चलो आप लेट जाओ और थोड़ा आराम करो तब तक मैं जल्दी से नहा लेता हूँ|
भौजी कुछ नहीं बोलीं...और ना ही लेटीं| मैंने जैसे ही पानी का लोटा सर पे डाला तो मेरी कंप-कंपी छूट गई| मेरी पीठ भौजी की ओर थी ओर मैंने साबुन लगा रहा था| तभी भौजी के हाथ मुझे मेरी पीठ पे महसूस हुए| वो पीछे से आके मुझसे चिपक के खड़ी हो गईं| उनके स्तन मेरी पीठ में धंसे हुए थे| फिर उन्होंने ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया जैसे वो अपने स्तनों से मेरी पीठ पे साबुन मल रहीं हों|मैं: आप आराम कर लो|
भौजी: हाय...कितनी चिंता है आप को मेरी! पर इतना सेक्सी सीन का फायदा उठाने का मुका कैसे छोड़ दूँ|
ये कहते हुए उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और नीचे बैठ के मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया| लंड सिकुड़ चूका था, पर जैसे ही भौजी के जीभ ने उसे छुआ वो एकदम से खड़ा हो गया| जैसे कोई inflatable raft तैयार हो जाती है! भौजी ने उसे अपने दोनों होठों से पकड़ा और जीभ से चाटने लगीं| मैंने उन्हें कन्धों से पकड़ा और खड़ा किया| फिर उन्हें उल्टा घुमाया और खड़े-खड़े ही लंड को पकड़ के उनकी योनि के भीतर प्रवेश करा दिया| फिर उनकी दायीं टांग को पकड़ के उठा दिया और पीछे से धक्के लगाना शुरू कर दिया|करीब दस मिनट की धकम-पेली के बाद मैं उनके भीतर ही झड़ गया| मेरे झड़ने के तुरंत बाद ही भौजी भी दुबारा स्खलित हो गईं|
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