RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--16
उस बात को तीन चार दिन बीत गये जब राज ने पहली बार महक की
गॅंड मारी थी. महक का पति अभी भी शहर से बाहर टूर पर था.
महक अपना समय घर के काम काज मे या फिर शाम को किसी क्लब मे
जाकर व्यतीत कर रही थी. अपने आपको लाख व्यस्त रखने के बावजूद
महक राज को बहोत मिस कर रही थी... बार बार उसकी आँखों के
सामने वो सब कुछ आ जाता जो राज ने उसके साथ किया था. क्लब मे वो
दूसरे मेंबर्ज़ के साथ काम मे हाथ बँटाती जैसे की कोई शो
ऑर्गनाइज़ करना हो या फिर कोई पार्टी वग़ैरह.... .
ऐसे ही क्लब मे बैठी वो राज के ख़यालों मे खोई हुई थी... की
किसी ने उसे पुकारा... "हा महक ....कहाँ खोई हुई हो?"
"ह्म" महक ने जवाब दिया.
"क्या सोच रही हो?" किसी ने फिर कहा.
"महक ने पलट कर देखा.... वो रजनी शर्मा उसकी साथी मेंबर थी.
"मुझे वो हिसाब चाहिए जो कल रात की डिन्नर पार्टी का तुम लीख
रही थी.... क्या बात है... बहोत खोई खोई हो?" रजनी ने पूछा.
"नही ऐसा कुछ नही है." महक ने जवाब दिया... साथ ही अपने
ख़याल पर वो शर्मा गयी... वो ख़यालों मे विनय और वरुण से
चुद्वा रही थी.
"पर तुम्हारे चेहरे से तो लगता है की ज़रूर कोई बात है." रजनी
ने फिर कहा.
रजनी क्लब ऑर्गनाइज़ेशन हेड थी. कुछ साल पहले उसके पति का
देहांत हो गया था.... रजनी अकेली रहती थी.. लेकिन उसने अपनी एक
अलग पहचान बना ली थी.. वो दीखने मे काफ़ी सनडर भी थी.. उसकी
और महक की उमरा एक जैसी ही थी.. लेकिन शरीर से वो महक से 15
साल छोटी लगती थी. रजनी काफ़ी लंबी थी.. करीब 5'8 की हाइट...
काले लंबे बॉल जो उसके कंधों तक आते थे.. गोल चेहरा... भारी
हुई चुचियाँ जो किसे भी आकर्षित कर सकती थी... अपने बदन के
दम पर जो वो चाहती वो हासिल कर लेती थी... वो विधवा थी और
मर्दों का साथ उसे पसंद था.. और इस खेल की वो एक माहिर खिलाड़ी
थी.. इसलिए जब महक ने "कुछ नही" कहा वो तुरंत समझ गयी.
"ऐसा कुछ ख़ास नही बस मुझे अपने पति की बहोत याद आ रही
थी." महक ने थोड़ा सोच कर कहा.
"ठीक है अगर कुछ नही है तो कोई बात नही," रजनी ने कुछ
शंकित स्वर मे कहा, "तो फिर तुम मुझे वो हिसाब दे रही हो ना?"
"अभी नही थोड़ी देर बाद मे देती हून." महक ने कहा.
महक ऑफीस मे गयी और हिसाब टायर करके उसे रजनी के दे दिया.
फिर वो वॉश रूम मे गयी और अपने पर्स से अपना सेल फोन निकाल
कर राज का नंबर मिलाने लगी. जब राज ने कोई जवाब नही दिया तो
उसने उसे स्मस कर के बता दिया की वो उससे मिलना चाहती है.
महक का जब फोन आया तो राज उस समय समुद्रा के कीनरे अपने कुछ
दोस्तों के साथ मज़े ले रहा था. हर बार की तरह राज ने फोन नही
उठाया..... उसे महक को तरसाने मे माज़ा आने लगा था.... जब उसकी
एक दोस्त प्राची ने देखा की राज फोन का उत्तर नही दे रहा है तो
उसने उससे पूछा की कौन है.
"अरे एक रंडी है जिसे आज कल में चोद रहा हूँ," राज ने सच सच
कहा... "और वो चाहती है की इस समय भी में जाकर उसकी चूत
बजाऊँ."
"हां ऐसी कई औरतें हैं आज कल." प्राची ने खिलखिलते हुए कहा.
"और तुम भी उनमे से एक हो." राज ने जवाबद दिया.
"हां वो तो हूँ... तुम्हारा लंड ही इतना प्यारा है की जो एक बार इसका
स्वाद चख लेता है दीवाना हो जाता है." प्राची ने कहा.
शाम तक महक राज को तीन चार फोन कर चुकी... लेकिन फिर भी
उसने जवाब नही दिया..... तब उसने सोच लिया की वो एक ऐसा मेसेज
छोड़ेगी की वो तुरंत फोन करेगा.
"में तुम्हारी छीनाल रंडी महक हूँ.... जल्दी आओ.... मेरी चूत
और गॅंड तुम्हारे मोटे लंबे लंड के लिए तड़प रही है." कहकर
उसने फोन रख दिया.... उसे विश्वास था की वो जल्दी उसे पलट कर
फोन करेगा.
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