RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक जब शांत होकर तोड़ा ढीली पद गयी तो राज ने उसे उसपर से
उठने को कहा, "आज में तुम्हे एक नई चीज़ सिखाता हून," उसने
कहा, "ज़रा सोफे का सहारा लेकर झुक जाओ."
महक ने अपने दोनो हाथ सोफे की पुष्ट पर रखे और नीचे झुक
गयी... उसके चूतड़ हवा मे उठ गये थे. राज उसके पीछे आया और
उसने अपनी दो उंगलियाँ उसकी गीली चूत मे डाल दी. अपनी उंगलियों को
आक्ची तरह उसकी चूत मे घूमा घूमा कर उसने गीली कर ली....
फिर उसने बिना कुछ उससे कहे अपनी उंगली उसकी सुखी गॅंड मे घुसा
दी. महक उसकी इस हरकत से चौंक पड़ी... उसे राज की उंगलियाँ अपनी
गॅंड के अंदर तक महसूस हो रही थी..... राज अब अपनी उंगलियों को
उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने लगा.
महक झुके हुए उसकी उंगलियों का मज़ा अपनी गॅंड मे लेने लगी. ये भी
उसके लिए एक नई चीज़ थी... उसने ना तो सुना था ना ही कहीं पढ़ा
था.... धीरे धीरे उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकालने
लगी.... राज की उंगलियाँ अपनी गॅंड मे उसे आक्ची लगने लगी थी.
राज ने अपनी उंगलियाँ उसकी गॅंड से निकली और एक बार फिर उसकी चूत
मे दल कर अपनी उंगलियों को गीला करने लगा.... अपनी उंगलियों को
उसकी चूत से निकाल इस बार उसने दो की बजाए टीन उंगलियाँ उसकी गॅंड
मे घुसा दी.... महक को तोड़ा दर्द हुआ लेकिन एक अजीब सा एहसास भी
महसूस हुआ.... थोड़ी देर अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने के बाद
उसने अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली..... उसने अपने खड़े लंड को पकड़ा
और उसकी चूत मे पेल दिया..... थोड़ी देर लंड को अंदर बाहर करने
के बाद जब उसका लंड पूरी तरह उसकी चूत से बहते रस से चिकना हो
गया तो उसने लंड को उसकी चूत से निकाला और उसकी गॅंड के छेड़ पर
रख अंदर घुसा दिया.
ऊऊईईईईई माआअ...... ..मर गयी रे...." महक दर्द से कराह उठी.
राज का लंड जब उसकी गॅंड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुसा तो
महक दर्द के मारे छटपटा उठी.... अपने होठों को भींचते हुए
उसने अपनी चीख को दबा लिया... राज ने अपने लंड को तोड़ा बाहर
खींचा और एक ज़ोर का धक्का मारते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी गॅंड
मे पेल दिया. राज अब अपने लंड को उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने
लगा. थोड़ी ही देर मे महक का दर्द कम होने लगा और उसके चूतड़
खुद बा खुद राज के धक्कों का साथ देने लगे.
महक को अपनी गॅंड की पहली चुदाई मे मज़ा आने लगा और वो अपना
हाथ नीचे की और लेजकर राज के लींद की गोलियों से खेलने
लगी.... फिर अपने हाथ को अपनी चूत पर रख वो जोरों से उसे
मसालने लगी....
राज ने देखा की महक अब अपने चूतड़ पीछे की और कर उसके लंड का
मज़ा लेने लगी है तो वो फिर उससे गंदी गंदी बातें करने
लगा.....
"मज़ा आ रहा है ना तुम्हे?..... अपनी गॅंड मे मेरा लंड अक्चा लग
रहा है ना...?"
"ह्म्म्म्म" वो इतना ही कह पाई.
"मेने सुना नही ज़रा ज़ोर से बोलो ना?"
"हाआँ...." उसने जवाब दिया.
"मुझे बताओ तुम्हे मेरा लंड कैसा लग रहा है..?"
"ऑश ऱाज़ बहोट आछा लग रहा है.... ओ हां चोडो इसी तरह मेरी
गॅंड को फाड़ दो.... तुम्हारा लंड बहोट अक्चा है...." महक सिसकते
हुए बोली.
राज जोरों से उसकी गॅंड मारने लगा. उसके छूतदों को पकड़ वो ज़ोर के
धक्के मारते हुए अपने लंड को अंदर तक पेल रहा था.
"ऑश हां इसी तरह चोडो मुझे ऑश हां गॅंड मारो मेरी.....
ज़ोर से मारो ऑश हां और जोरों से मेरा छूटने वाला है.." महक
अपनी चूत को रगड़ते हुए सिसक रही थी.
अपनी चूत को मसल मसल कर महक झाड़ गयी... राज का लंड भी
पानी छोड़ने को लिए तय्यार था... उसने अपना लंड बाहर निकाला और
महक को घूमा कर घुटनो कल बीता दिया.. वो अपना पानी महक की
चुचियों पर छोड़ना चाहता था.. जैसे ही वो घूमकर बैठी राज
अपने लंड को मसालने लगा और एक हुंकार भरते हुए उसे वीर्या की
पिचकारी महक की चुचियों पर छोड़ दि..ऽउर उसका वीर्या उछालता
हुआ महक की चेहरे उसकी बलों और चुचियों पर गीर्ने लगा.
"ऑश ऱाज़ हाआँ आअज नहला दो अपनी ईश रंडी को अपने पानी से...
हाआँ छोडो और छोड़ू..." महक उसके वीर्या को अपनी छाती पर
मसालते हुए बोली.
अपना पानी छोड़ने के बाद राज ने अपने कपड़े पहने और कहा, "फिर
जल्दी ही मिलते है मेरी जाआं." ईटन कहकर वो चला गया.
महक वही बैठी राज के वीर्या को अपने शरीर पर मसालते हुए अपने
इस नये आनंद को एहसास करने लगी.... उसे ये रणदीपन मे मज़ा आ
रहा था... अब उसे अपने पति की कोई परवाह नही थी... वो इस नई
सुख का पूरा आनंद लेना चाहती थी.... उसे अपने पति पर गुस्सा आ
रहा था की आज तक इतने सालों से उसने उसे इस चरम सुख से
वंचित रखा था... और वो जानती थी राज अब उसे हर वो सुख से
परिचय कराएगा जिसे वो आज तक ना पा सकी थी... यही सोचते हुए
वो बातरूम मे घूस गयी.
|