RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
राज ने उसे जिंदगी की उस सचाई से परिचय कराया था जो की एक
इंसान के लिए निहायत ही ज़रूरी है... उसे अपना ये नया जीवन और
संसार अक्चा लग रहा था.
महक वहाँ से उठी और अपने कपड़े ठीक कर अपने घर की और चल
पड़ी. उसे घर पहुँच कर राज के लिए तय्यार होना था या फिर राज
के किसी दोस्त के लिए......
घर पहुँच कर महक ठंडे पानी का शवर बात लिया और एक सेक्सी
ब्रा और पनटी का सेट पहन लिया और उसके उपर सिर्फ़ एक टवल का रोब
डाल राज का इंतेज़ार करने लगी.
राज हर बार की तरह उसे काफ़ी इंतेज़ार करने के बाद पहुँचा. जब
उसने दरवाज़े पर दस्तक दी तो महक ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला.
महक को ये देख कर असचर्या हुआ की राज एकद्ूम अकेला था वरना उसे
उमीद थी की उसके साथ ज़रूर कोई आएगा.... थोड़ा निराश होते हुए
महक ने उसे अंदर आने को कहा. राज के पीछे पीछे हॉल मे आते
आते उसने अपना रोब उत्तर दिया.
राज घूम कर महक को देखने लगा, ब्रा और पनटी मे वो किसी 20 साल
की नौजवान लड़की से कम नही लग रही थी.. उसकी खड़ी चुचियाँ
ब्रा मे क़ैद थी और निपल पूरी तरह टन कर खड़े थे. राज ने अपनी
पॅंट उतार दी और उससे अपना लंड चूसने को कहा.
महक तुरंत राज के पास आई और घुटनो के बाल बथ्ते हुए उसके
लंड को मुँह मे लिया... उसे अब लंड का स्वाद आछा लगने लगा था और
उसे लंड चूसने मे मज़ा आता था. उसे समझ मे आ गया था की
मर्दों को कैसे खुश किया जा सकता है.
"हां मेरी छीनाअल इसी तरह चूस कर मेरे लंड को और खड़ा
करो... ऑश हाआँ आज की रात मेने तुम्हारे लिए खास प्रोग्राम
बनाया है." राज ने उसके मुँह मे धक्के मारते हुए कहा.
महक की समझ मे नही आया की किस तरह का प्रोग्राम उसने बनाया
है.... लेकिन उसे लगा की आज की रात मस्ती मे गुज़रने वाली है..
यही सोच कर वो ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह को उपर नीचे कर उसके लंड
को चूसने लगी. पीछले कुछ दीनो मे राज ने जो कुछ उसे सीखया या
उसके साथ किया था वो सब महक के लिए नया और उत्तेजञात्मक था.
जब राज का लंड पूरी तरह टन कर खड़ा हो गया तो उसने महक को
रुक जाने के लिए. वो ज़मीन पर लेट गया और महक से बोला, "अब तुम
मुझ पर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत मे ले लो और उछाल उछाल
कर धक्के मरो... मेने तुम्हारी चुचियों को उछलते और झूलते
देखना चाहता हूँ."
महक के लिए ये आसान भी नया था.. उसने अपनी पेंटी निकाली और राज
के उपर चढ़ गयी... फिर उसके खड़े लंड को अपनी चूत के मुँह से
लगाया और उस पर बैठती चली गयी. फिर वो धीरे धीरे उछाल
कर उपर नीचे होने लगी. राज ने अपने हाथ बढ़ा कर उसकी
चुचियों को अपनी मुति मे भरा और भींचने लगा.
"म्र्स सहगल तुम सही में बहोत अची रॅंड बनोगी.... अपने आपको
देखो मेरे लिए तुम किस तरह से तय्यार हुई थी... तुम्हे मर्दों को
रिझाने मे मज़ा आने लगा है ना?" राज ने उसकी चुचियों को जोरों
से भींचते हुए कहा.
"हां" उसने हवाब दिया.
"ये सब कर के तुम बहोत गरम हो जाती हो ना?" राज ने पूछा.
"हां बहोत ज़्यादा." महक ने जवाब दिया.
"तुम्हारी चूत गेली हो जाती है... उसमे चिंतियाँ रेंगने लगती
है.. है ना... बतो मुझे तुम किसकी रॅंड हो.....?" राज ने उसके
निपल पर चिकोटी काटते हुए कहा.
मैं तुम्हारी रांड़ हू.. ओ जो तुम क़होगे में करूँगी..." महक
भी उत्तेजना मे बोली.. उसकी चूत मे ुआबल शुरू हो गया था और वो
झड़ने के करीब थी.
"तुम मेरी शादी शुदा रांड़ हो?"
"हां में तुम्हारी शादीशुदा रांड़ हुन...ओह्ह्ह्ह हाआँ "
"तुम्हारा पति तुम्हारी आचे से चुदाई नही करता... है नाअ. तुम्हारी
चूत की प्यास नई बुझता?" राज ने पूछा.
"हाआँ वो मुझे नही चोद्ता जिस तरह से तुम मुझे चोद्ते हो.. हाआँ
ऐसे ही अपनी रॅंड बनाकर रखना मुझे ऑश चोदो मुझे ऑश....
मुझे तुम्हारी रॅंड बनने मे मज़ाअ आता है.. तुमने मेरी चूत की
बरसों की प्यास बुझा दी..." सिसकते हुए वो ज़ोर ज़ोर से उछालने लगी
और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
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