RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
जब वरुण के लंड ने पानी फैंकना बंद किया तो महक उसके वीर्या को
अपनी चुचियों पर आक्ची तरह मलने लगी... और साथ ही अपनी
उनबगलियों मे ले उसे चाटने लगी.
विनय ने जब महक को इस तरह वरुण से कहते सुना तो उसके मान भी
एक ख़याल आ गया, उसने महक को खड़े होने कहा और फिर कहा की वो
ज़मीन पर लेट जाए.
"तुम्हे ये लंड का पानी बड़ा अक्चा लगता है ना...?" विनय ने पूछा.
"हां बहोत अक्चा लगता है की इसी पानी से नहाती रहूं." महक ने
वरुण के वीर्या को अपनी चुचियों पर मलते हुए कहा.
महक के ज़मीन पर लेटते ही विनय उसके उपर चढ़ गया और उसकी
चूत पर बैठते हुए अपने लंड को उसकी चकुहियों की घाटी के बीच
रख दिया.. फिर दोनो हहतों से उसकी चुचियों को अपने लंड पर
दबा धक्के लगाने लगा जैसे की चूत चोद रहा हो.... महक की
चुचियों पर वरुण का वीर्या होने से उसका लंड पूरी तरह गीला हो
गया और बड़ी आसानी से उसकी चुहियों के बीच आगे पीछे हो रहा
था.
महक के लिए ये सब कुछ नया था.. विनय का लंड ठीक उसके मुँह
तक आता और पीछे हो जाता.... उसने अपनी जीब बाहर निकाल ली और
जब भी उसका लंड उसके मुँह तक आता तो वो उसे पानी जीब से चाट
लेती.... विनय को मज़ा आने लगा और उसका लंड पानी छोड़ने को तयार
था....
महक ने देखा की विनय अपना पानी छोड़ने लगा है तो वो वरुण की
तरह उसे भी उकसाने लगी.
"हां छोड दो अपना पानी मेरी चुचियों पर ऑश हाः और ज़ोर से
रागडो मेरी चुचियों को. ओ हां चूओडू."
विनय महक पर से उठा और खड़ा होकर अपने लंड को मसालने लगा.
थोड़ी ही देर मे उसका लंड पिचकारी छोड़ने लगा. वीर्या की धार महक
के चेहरे, उसके बावन पर उसकी चुचियों पर गीर रही थी.
महक थी की उसे और उकसाए जा रही थी, 'हाआँ छोड़ो पानी मेरे
चेहरे पर.... नहला दो मुझे अपने इस अमृत रस से... ओ हां और
छोड़ो.... ओ मज़ा अरहा है.. मुझे अपनी रंडी बना लो..
हां."
विनय के लंड से जब आखरी बूँद भी महक के जिस्म पर गिर चुकी तो
वो नीचे झुका और अपना लंड उसने उसके मुँह पर रख दिया, "मेरी
छीनाल रानी अब ज़रा इसे चाट कर सॉफ भी कर दो...."
महक ने खुशी खुशी अपनी जीब बाहर निकली और उसके लंड को चाट
कर सॉफ करने लगी. जब उसका लंड अची तरफ साफ हो गया तो विनय
खड़ा हुआ और उसने अपने कपड़े पहन लिए. वरुण ने भी वैसे ही किया
और तीनो उसे अपनी अपनी जगह पर बैठ गये और महक को वहीं
ज़मीन पर छोड़ दिया.
थोड़ी देर बाद राज ने कहा की मॅच मे मज़ा नही आ रहा इसलिए उसने
अपने दोस्तों से किसी बार मे जाकर एक दो ड्रिंक पीने के लिए कहा.
उसके दोनो दोस्त उठे और वहाँ से चले गये. राज महक की और देखने
लगा जो अभी भी ज़मीन पर ही लेती हुई थी.
"अब उठो यहाँ से और नहा धो कर तय्यार हो जाओ... शायद मुझे
फिर तुम्हारी ज़रूरत पड़े." राज ने महक से कहा.
राज के दोस्तों के जाने के बाद भी महक वैसे ही लेती रही.. उसे
अपने आप पर शरम नही आ रही थी बल्कि वो अपनी मौजूदा हालात
पर खुश हो रही थी. उसे गर्व था अपने आप पर की 45 साल की होने
के बावजूद वो जवान लकों को रिझा पाने मे कामयाब थी... आज वो हर
वो सब अनुभव कर रही थी जो उसे आज सई कई साल पहले कर लेने
चाहिए थे.... आज जितनी उसकी आत्मा और जिस्म तृप्त हुए थे उतना
कभी नही हुए और वो चाहा रही थी की ये सिलसिला यूँ ही चलता
रहे और कभी ख़तम ना हो.
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