RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी... वो याद करने
लगी किस तरह राज ने उससे फोन पर बात करते हुए उकसाया था....
"काश इस समय में तुम्हारा लंड चूस रही होती." उसने कहा. "क्या
में तुम्हारा लंड चूसों?"
"हां" उसने जवाब दिया. राज को महक की ये सेक्सी बातें सुनकर मज़ा
आने लगा और वो अपने लंड को ज़ोर से घिसने लगा.
महक को भी इस नये खेल मे मज़ा आने लगा....."में तुम्हारा लंड
चूसना चाहती हूँ... अपनी जीएब तुम्हारे लंड पर घूमना चाहती
हूऊं... और जब तुम्हारा पानी छूटने वाला हूऊ तो में चाहती
हूँ की तुम मेरी चुचियों को अपने रस से नहला दो."
महक की मीठी और सेक्सी आवाज़ ने जादुई असर किया राज पर और उसका
लंड झटके मारने लगा. उसकी गोलैईयों मे उबाल तेज होने लगा.
महक उस लम्हे को याद करने लगी जब शाम को राज ने उसकी चुचियों
को अपने वीर्या की पिचकारी से नहलाया था. वो उसी लम्हे को राज के
साथ इस समाय बाँटना चाहती थी.
"तुम्हे पता है जब तुम मेरी चुचियों पर अपना मदन रस चिड़क कर
चले गये तो में तुम्हारे जाने के बाद उस रस को चट्टी रही.
तुम्हारे वीर्या का स्वाद बहोत अक्चा है." उसने कहा.
"वो मेरे वीर्या को छाती और उसे स्वाद अक्चा लगा"... इस ख़याल ने
ही राज के लंड को और उतेज़ित कर दिया और उसके लंड ने झटका खाते
हुए पिचकारी छ्चोड़ दी... एक लंबी धार ज़मीन पर गिरी फिर दूसरी
फिर तीसरी.... वो हुंकार भर कर अपने लंड का पनी छोड़ता रहा.
महक ने फोन पर उसकी हुंकार सुनी और उसे खुद पर गर्व होने लग
की उसने सिर्फ़ बात करके उसका पानी छुड़वा दिया ठीक उसी तरह जिस
तरह उसने उसकी चूत की प्यास बुझाई थी. राज की हुंकार और
सिसकारियाँ सुन कर उसे आनंद हो रहा था.
जब राज की साँसे थोडी संभली तो उसने फोन पर कहा, "अगली बार जब
तुम्हारा पति जब सहर के बाहर चला जाए तो मुझे फोन करना."
कहकर उसने फोन रख दिया.
महक ने भी फोन रख दिया और अपने कपड़े ठीक कर वहीं सोफे पर
लेट गयी. वो इतना थक चुकी थी की कब उसे गहरी नींद ने आ घेरा
उसे पता ही नही चला.
महक के पति को सहर के बाहर जाने मे अभी दो हफ्ते पड़े थे और
वो पागल हुए जा रही थी... उसकी चूत मे खुजली मची हुई थी...
एक आग लगी हुई थी... उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो क्या
करे... उसने राज को फोन नही किया था... वो नही चाहती थी की
उसके पति को किसी प्रकार का शॅक हो या फिर वो पकड़ी जाए......
अपने पति के साथ वो पहले से कहीं उग्र हो गयी थी... हर समय वो
उसे किसी ना किसी अदा या हरकत से उत्तेजित करने लगी... लेकिन वो था
की जैसे उसे किसी चीज़ का असर ही नही होता था.. अपनी तड़पति बीवी
की भावनाओ को वो पढ़ नही पता था.. उसके बदन से निकलती आग को
वो एहसास नही कर सका.. और हर बार की तरह अपना मतलब निकाल वो
उसे तड़प्ता छ्चोड़ देता.
|